शनिवार, 4 अगस्त 2018

किकी चैलेंज- खतराें के खिलाड़ी मत बनिए आप- डा. अनुजा भट्ट


  पिछले  दिनाें साेशल मीडिया पर किकी चैलेंज ने जबरदस्त धूम मचायी और इसका असर सड़काें पर नजर आया। युवाआें से लेकर उम्रदराज लाेगाें ने इसमें हिस्सा लिया। आनंद के अतिरेक में उनकाे पीछे आ रही गा़ड़ी का हार्न भी नहीं सुनाई दिया। ड़्राइवर से माफी मांगने के बजाय वह उसपर नाराज हाेते नजर आए क्याेंकि उन्हाेंने उनके आनंद में खलल डाला।  डांस  करना आनंदित ताे  करता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप सड़क जाम कर दें। वैसे भी जब हम किसी भी चीज के साथ चैलेंज शब्द का प्रयाेग कर  देते हैं ताे फिर हर आदमी औरत चाहें वह  किसी भी उम्र का क्याें न हाे जाेरआजमाइश करने लगता है।  फिर इस जोरआजमाइश में उसका पूरा कुनबा टूट पड़ता है। फेसबुक लाइव आते ही उसके रिश्तेदार से लेकर सारे दाेस्त इस मुहिम में शामिल हाे जाते हैं। और हर शहर हर गांव हर कस्बे से एेसी खबरे आने लगती है।  हर क्षेत्र  के लाेग फिल्मी लोग. नाैकरी पेशा लाेग, व्यापारी. बेराेजगार सब  शामिल हाे जाते हैं।
 लेकिन जब यह नशा स्कूली बच्चाें टीनएजर पर पड़ता है ताे फिर वैसा ही नजारा आते देर नहीं लगेगी जैसा  ब्लू व्हैल गेम खेलते समय हुई थी। तब यह फनचैलेंज बनाम एडवैंचर, एक्सीडेंट में बदलने लगेगा और हम हाथ मलते रह जाएंगे। किशाेर मन काे जब एक बार  उकसा दें ताे फिर वह बार बार उस काम काे करता है। फन और उन्माद में फर्क काे महसूस करना सीखना चाहिए। हम सब लाेग एक अंधी दाैड़ में भागते जा रहे हैं।  और मीडिया भी इस तरह की खबराें काे महत्व दे रहा है। आखिर इस तरह के फन का क्या मतलब है जहां सड़के जाम हाे जाए। लाेग समय पर आफिस न पहुंच पाएं। बीमार सड़क पर कसमसाते रहे। सुरक्षा व्यवस्था की धज्जियां  उड़ जाएं और हम हँसते रहे, गुदगुदाते रहे, फाेटाे शेयर करते हैं चाहे हमारे पीछे काेई तड़प तड़प कर मर जाए।
 देस भक्ति की भावना ताे हमारे भीतर से गायब हाेती जा रही है। बच्चाें काे इससे काेई सराेकार नहीं क्याेंकि हम एेसे संस्कार देने में अब काेई रूचि नहीं दिखा रहे। हम फन की तलाश में है चाहे  वह फन कितना भ हिंसक और बेहूदा क्याें न हाे। हम नाचना चाहते हैं, हम मदमस्त हाेना चाहते हैं  दुनिया जाए भाड़ में.. यही हमारी साेच बनती जा रही है। आपके बच्चे भी आपके साथ इस हिंसक खेल में साझेदारी कर रहे हैं। इस खेल में हार या जीत  नहीं है यहां है खुला चैलेंज... मैं कर सकता हूं.. आपमें है दम ताे  काीजिए.. खाेलिए गाड़ी का दरवाजा और बाहर  निकलकर कीजिए किकी डांस.....

कोई टिप्पणी नहीं:

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...