भारत की स्थिति तो विदेशों से भी ज्यादा खराब है। महिलाएं घर परिवार और कामकाज के दबाव में बहुत तरह की दिक्कतों को झेल रही हैं। उनसे यह उम्मीद की जाती है कि वह हर जगह एकदम फिट हो। मानसिक तनाव को दूर करने के लिए उनके पास कोई सटीक रास्ता नहीं है। तनाव को कम करने के लिए सिर्फ एक रास्ता है सच्ची खुशी। पर खुशी क्या होती है इसका अहसास वह खो चुकी हैं। खुलकर हँसे भी कई दिन बीत गए। पति और परिवार के साथ मिलकर अपने मन की बात कहने का वक्त नहीं। परिवार चलाने के लिए पैसे कमाने का दवाब भी है तो बच्चों की सही परवरिश का जिम्मा भी। सबकुछ संभलने के चक्कर में वह खुद को खो रही है और इसलिए वह फ्रस्टेशन में है। भावनात्मक अनुभूति को महसूस करने की शक्ति उसके भीतर से विलुप्त होती जा रही है। वह इससे छुटकारा पाने के लिए नशे की तरफ अपने कदम बढ़ा रही है। भारत में भी महिलाआं द्रारा नशा करने की प्रवृत्ति जोर पकड़ती जा रही है।
ब्रिटेन की ज्यादात्तर नई माँएं इस कदर दबाव महसूस कर रही हैं कि उन्होंने खूब शराब पीना शुरू कर दिया है। यही नहीं उनके पार्टनर भी खूब पीने लगे हैं यानी सुपर डैड भी। हालत यह हो गई है कि ज्यादातर बच्चे ऐसे मां-बाप के साथ रहने पर मजबूर हैं जो खतरनाक स्तर तक शराब के आदी हो चुके हैं। जहां शराब उनके लिए तनाव से निजात दिलाने वाला माध्यम बन रही है वहीं इससे उनके बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। जाहिर है कि भविष्य में इस तरह के परिवारों का समाज पर बहुत बुरा असर पड़ने जा रहा है। यह किसी भी समाज के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। ऐसा होने का एक कारण एकल परिवारों का बढ़ते चले जाना है। पहले बुजुर्गों के साथ रहने से परिवार का माहौल खासा आत्मीय और सुकूनदेह हुआ करता था लेकिन जब से परिवार में उनके लिए जगह नहीं रही तब से मॉम सीधे-सीधे बच्चों की डिमांड के निशाने पर आ गई। इसके अलावा एफएमसीजी की आक्रामक मार्केटिंग टीवी और पब्लिक स्कूलों का माहौल बच्चों का इस तरह से ब्रेनवाश कर रहा है कि वे साधारण मम्मी-डैडी से संतुष्ट ही नहीं हैं उन्हें सुपर मॉम-डैड ही चाहिए। इन हालात में मॉम पर दबाव और बढ़ जाता है। वे चाह कर भी सहज नहीं रह पातीं और थोड़ी शांति के लिए नशे की शरण में चली जाती हैं। इसका संबंध महिला के कामकाजी होने-नहीं होने से नहीं है।
संभलिए अभी वक्त है
भारत में भी पिछले कुछ दशकों में परिवार का आकार छोटा होता गया है। एकल परिवारों की कामकाजी महिलाओं की अपनी परेशानियां हैं। उन पर भी दोहरी जिम्मेदारी है। बड़े शहरों में यह और अधिक है। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि परिवार में पारिवारिकता के भाव को नजरंदाज न किया जाए। इसके लिए सबसे जरूरी चीज है आत्मीय संवाद। जब यह कम होने लगता है तब तनाव की शुरुआत होती है। यह फिर धीरे-धीरे हमें डिप्रेशन की तरफ ले जाता है। एक-दूसरे को उसकी जिम्मेदारियों और सीमाओं के साथ समझने वाला संवाद परिवार को बचा सकता है।
ब्रिटेन की ज्यादात्तर नई माँएं इस कदर दबाव महसूस कर रही हैं कि उन्होंने खूब शराब पीना शुरू कर दिया है। यही नहीं उनके पार्टनर भी खूब पीने लगे हैं यानी सुपर डैड भी। हालत यह हो गई है कि ज्यादातर बच्चे ऐसे मां-बाप के साथ रहने पर मजबूर हैं जो खतरनाक स्तर तक शराब के आदी हो चुके हैं। जहां शराब उनके लिए तनाव से निजात दिलाने वाला माध्यम बन रही है वहीं इससे उनके बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। जाहिर है कि भविष्य में इस तरह के परिवारों का समाज पर बहुत बुरा असर पड़ने जा रहा है। यह किसी भी समाज के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। ऐसा होने का एक कारण एकल परिवारों का बढ़ते चले जाना है। पहले बुजुर्गों के साथ रहने से परिवार का माहौल खासा आत्मीय और सुकूनदेह हुआ करता था लेकिन जब से परिवार में उनके लिए जगह नहीं रही तब से मॉम सीधे-सीधे बच्चों की डिमांड के निशाने पर आ गई। इसके अलावा एफएमसीजी की आक्रामक मार्केटिंग टीवी और पब्लिक स्कूलों का माहौल बच्चों का इस तरह से ब्रेनवाश कर रहा है कि वे साधारण मम्मी-डैडी से संतुष्ट ही नहीं हैं उन्हें सुपर मॉम-डैड ही चाहिए। इन हालात में मॉम पर दबाव और बढ़ जाता है। वे चाह कर भी सहज नहीं रह पातीं और थोड़ी शांति के लिए नशे की शरण में चली जाती हैं। इसका संबंध महिला के कामकाजी होने-नहीं होने से नहीं है।
संभलिए अभी वक्त है
भारत में भी पिछले कुछ दशकों में परिवार का आकार छोटा होता गया है। एकल परिवारों की कामकाजी महिलाओं की अपनी परेशानियां हैं। उन पर भी दोहरी जिम्मेदारी है। बड़े शहरों में यह और अधिक है। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि परिवार में पारिवारिकता के भाव को नजरंदाज न किया जाए। इसके लिए सबसे जरूरी चीज है आत्मीय संवाद। जब यह कम होने लगता है तब तनाव की शुरुआत होती है। यह फिर धीरे-धीरे हमें डिप्रेशन की तरफ ले जाता है। एक-दूसरे को उसकी जिम्मेदारियों और सीमाओं के साथ समझने वाला संवाद परिवार को बचा सकता है।
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