सुबह सुबह वह इसी साेच के साथ उठी कि आज से वह अपनी जिंदगी काे नया रंग
देगी। पता नहीं ईश्वर ने कितना जीवन दिया है इसलिए वह अपने सपनाें काे
हकीकत में बदलेंगी। रिया, मीना, प्रतीक और संज्ञान भी ताे है सब ने अपनी
जिंदगी का एक टुकड़ा अपने लिए भी रखा है। अभी हाल ही में संज्ञान काे
पुरस्कार मिलाऔर उसने कितने खूबसूरत तरीके से उसका जश्न मनाया। जबिक उसकी
बीवी काे उसके इन सारे कामकाज में काेई दिलचस्पी नहीं। उसे ताे शायरी समझ
ही नहीं आती। जाती थी ना पहले संज्ञान के
साथ ध्यान हमेशा घड़ी में रहता था। पर संज्ञान ने शायरी का जुनीन न छाेड़ा
और आज देखाे। और यह प्रतीक जब देखाे तब घर के कचरे में से कुछ न कुछ बनाता
नजर आता। उसकी बीवी ने पानी की पुरानी बाेतल फैंक दी और वह उठा कर ले आया।
उसकी बीवी काे कचरा पसंद नहीं और प्रतीक काे कचरा सहजने में मजा आता
है। पुरानी बाेतल से उसने बहुत खूबसूरत पाट बनाए हैं । फेसबुक में कल उसकी
पाेस्ट देखी हैरान हूं। बदला नहीं प्रतीक। रिया और मीना ने भी कहां बदला
खुद का। रिया ताे वैसी ही बिंदास है नपहले डरती थी और न अब। हम कहते थे
पुलिस में चले जा। पर वह पुलिस में ताे नहीं गई पर विधायक बन गई।हर समय
लाेगाें से घिरी रहती है। शहर में उसका नाम है। बदनामी भी मिलती है। पर
उसका अपना स्पेस ताे है ना। मीना के बारे में भी सुन ही लाे। उसकी एक अजीब
सी आदत थी। दब भी सहेलियाें में झगड़ा हाेता ताे वह जिसने झगड़ा किया उसके
साथ हाे लेती। उससे बार बार पूछती कि तूने एेसा किया क्याें। हम उससे
नाराज हाेते। लेकिन वह चाेर की हमदर्द बन जाती। पिछले दिनाें एेेसे ही एक
किताब पर नजर पड़ी अपराध के भीतर की तलछट लेखिका का नाम देखा मीना। तुरंत
प्रकाशक काे फाेन करके मीना का नंबर मांगा।
इस एक महीने से मैं इसी पशाेपेश में हूं कि सबने अपना आकाश चुन लिया मैं ही अंधेरे में क्यूं रहूं। जुगनू ताे अंधेरे में ही टिंटिमाते है। कल रात कई जुगुनू मेरा आत्मविश्वास बढ़ा रहे थे.........
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अब कहानी का विस्तार आप दें। यही है प्रतियाेगिता
इस एक महीने से मैं इसी पशाेपेश में हूं कि सबने अपना आकाश चुन लिया मैं ही अंधेरे में क्यूं रहूं। जुगनू ताे अंधेरे में ही टिंटिमाते है। कल रात कई जुगुनू मेरा आत्मविश्वास बढ़ा रहे थे.........
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अब कहानी का विस्तार आप दें। यही है प्रतियाेगिता
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