शुक्रवार, 19 मई 2017

महादान है रक्तदान


 पूजा-पाठ के अवसर पर अक्सर हम कभी अन्नदान करते हैं तो कभी वस्त्रदान। मान्यता है दान करने से पुण्य मिलता है। ऐसा हे तो कभी रक्तदान कीजिए और महसूस कीजिए आत्मसंतुष्टि

कभी लंबी ड्राइव पर जाते समय सड़क किनारे आपको कई दुर्घटनाग्रास्त लोग मिलते हैं जो अनजान शहर में अपनों से दूर हैं और मदद मांग रहे हैं। ऐसे में अगर आप रक्तदान करते हैं तो वह जीवन भर आपको याद रखते हैं । रक्तदान से आपकी सेहत पर भी सकारात्मक असर पड़ता है और साथ ही यह एहसास भी होता है कि आप समाज के लिए कुछ कर रहे हैं।
थैलेसीमिया, कैंसर ,सड़क हादसे एवं बड़े ऑपरेशन जैसी कई परिस्थितियों में समय पर खून देकर मरीजों की जान बचायी जाती है।  डोनर के लिए  रक्तदान हृदयाघात और कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों से बचाव और साथ ही मोटापे से भी मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार देश में कुल रक्तदान का केवल 59 फीसदी स्वैच्छिक होता है। ऐसे में आवश्यकता यह है कि स्वेच्छा से खून देने वालों की संख्या बढ़े और यह तभी संभव है जब रक्तदान करने के संबंध में व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया जाये।
कई लोग समय-समय पर रक्तदान करते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो  इच्छा होते हुए भी रक्तदान नहीं कर पाते। इसकी वजह उनके मन में पल रही गलतफहमियां हैं जो वास्तव में निराधार हैं। आइए जानते हैं रक्तदान से जुड़े कुछ भ्रम और कुछ अहम बातें।
रक्तदान को लेकर सबसे बड़ा भ्रम यह है कि  शरीर में खून की कमी हो जाएगी। लेकिन बता दें कि खून देने के 48 घंटे बाद ही रक्त की क्षतिपूर्ति हो जाती है। यदि आप स्वस्थ हैं तो तीन महीने में एक बार आराम से रक्तदान कर सकते हैं।
लोग सोचते हैं कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है और सेहत को नुकसान पहुंचता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। सच्चाई यह है कि ये दिल की बीमारियों की संभावना कम करता है और शरीर में फालतू आयरन जमने से रोकता है
 कुछ लोग इस वजह से रक्तदान नहीं कर पाते क्योंकि वह सोचते हैं कि ऐसा करने से दर्द होगा। लेकिन इसमें बस सुई चुभने भर का एहसास होता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।
बड़ी उम्र के लोग भी रक्तदान कर सकते हैं लेकिन इसके लिए डॉक्टर पहलेे कुछ मेडिकल टेस्ट करते हैं और रिपोर्ट सामान्य आने पर ही रक्तदान कर सकते हैैंं।
यदि आप रक्तदान करने जा रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें जिससे कि आप सुरक्षित और आराम से रक्तदान कर सकें।
रक्तदान करने से पहले आयरन रिच हैल्दी फूड खाएं।
पूरी नींद लें।
खूब पानी पिएं।
रक्तदान से पहले  फ्राईड फूड और आइसक्रीम न खाएं।
रक्तदान के बाद दिन में खूब पानी पिएं। शराब तथा धूम्रपान से दूर रहें।  लॉन्ग ड्राइव और तेज धूप में न जाएं।
यदि आप प्लेटलेट डोनेट कर रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि आपने रक्तदान से दो दिन पहले तक एस्प्रिन टेबलेट का सेवन न किया हो।
अपना डोनर कार्ड और आईडी प्रूफ भी साथ लेकर चलें।
रक्तदान करते समय रिलेक्स रहें, म्यूजिक सुनें, दूसरे डोनर से बातचीत करते रहें।
रक्तदान के बाद रिफरेशमेंट एरिया में स्नैक और ड्रिंक का आनंद लें।

रक्तदान कौन नहीं कर सकता:-

अगर कोई एड्स से ग्रस्त है तो उस व्यक्ति को रक्तदान नहीं करना चाहिए।
कैंसर के मरीजों को रक्तदान नहीं करना चाहिए।
अगर टैटू या कोई कॉस्मेटिक सर्जरी करवाई है तो रक्तदान करने के लिए कम से   कम चार महीने तक इंतजार करना होगा।
प्रेग्नेंट महिलाएं रक्तदान नहीं कर सकती हैं।
17 साल से कम उम्र के लोग रक्तदान नहीं कर सकते।
अगर पिछले 12 महीने में हेपेटाइटिस या पीलिया से ग्रस्त हुए हैं तो भी आप रक्तदान नहीं कर सकते।

डॉक्टर बेहद अनिवार्य परिस्थितियों में किसी मरीज में खून चढ़ाते हैं। खून संक्रमण से लड़ता है और जख्मों को भरने में मदद करता है। इसकी कमी से जान जा सकती है। ऐसे में रक्तदान एक तरफ जहां मरते हुए व्यक्ति के लिए “संजीवनी” है वहीं दानकर्ताओं के लिए सबसे बहुमूल्य वस्तु जिसे देकर वह कई जिंदगियां बचा कर आत्मसंतुष्टि के साथ -साथ बेहतर स्वास्थ्य का ‘हकदार’ बन सकता है।


अब तक कई लीटर खून दान करने वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रेसविक और अमेरिका के फ्लोरिडा के मेनडेनहाल आज भी तंदुरुस्त हैं तथा उन्हें एक भी दवा की जरूरत नहीं है।
दक्षिण अफ्रीका के क्रेसविक 18 साल की उम्र में सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गये थे। किसी अजनबी के खून से नयी जिन्दगी पाने वाले क्रेसविक नेे कई जिंदगियों में खुशबू और रंग भरने का व्रत लिया।  क्रेसविक को नियमित रूप से सर्वाधिक खून देने वाले व्यक्ति के रूप में वर्ष 2010 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया गया। लंबे समय तक खुशमिजाज और स्वस्थ बने रहने का राज क्रेसविक इन शब्दों में व्यक्त करते हैं, “खून का कतरा-कतरा अहमियत रखता है।  मौके पर पहुंच कर मौत को मात देने वाले खून की यह खूबी मेरे स्वस्थ मन का राज है और धूम्रपान से दूरी मेरी सेहत का मंत्र।” 
कैंसर से पत्नी फ्रैनकी की मौत और अपने दो जवान बेटों को भी खोनेे के बाद भी मेनडेनहाल ने रक्तदान करने से मुंह नहीं मोड़ा।  उन्होंने तीन मौतों के गहरे सदमे से उबरने के लिए इस पुण्य काम को अपनी जीवन शैली में शामिल किया। वह प्लेटलेट्स के माध्यम से हर साल छह गैलन खून देकर कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे कई लोगों की मदद कर रहे हैं। मेनडेनहाल के शब्दों में “ईश्वर ने मुझे जो कुछ भी दिया है मैं उसका ऋणी हूं और खून दान देकर उसके प्रति अपना दायित्व निभाने का अदना-सा काम कर रहा हूं। 

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कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...