शनिवार, 18 मई 2013

पिता से दूरी पर गुरू भी पिता ही


एक अजीब कशमकश से भरा रिश्ता जहां पिता- पुत्र के रिश्ते में एक दूरी है लेकिन मामा को गुरू के रूप में स्वीकार्य है तो वह नाना ही। वह नाना के शिष्य है एक ऐसे शिष्य जो अपने गुरू की कही बात टालता नहीं। अभ्यास का कोई भी क्षण वह गंवाता नहीं। लेकिन एक पुत्र की तरह कोई जिद वह करता नहीं। जो चाहिए उसके लिए मां है। मां तो सबकुछ है पर एक उम्र में आने के बाद मां से भी हिचकिचाहट है। मां समझती है और धीरे धीरे समझाती है। किशोर होते बच्चे के कई सारे सवालों के उत्तर भी मां ही देती है और साथ में बड़ा हो रहा छोटा भाई, जिसे चचेरा भाई उसने जाना ही नहीं, उसकी मदद करता है। वह जानने लगा है कि मैं बड़ा हो रहा हूं। त्रिलोकी की तरह मेरी भी दाड़ी मूंछ उग आई हैं। एक गौरव उसे महसूस होता है पर वह मदद तो नहीं कर सकता अपने भाई को पिटने से बचा नहीं सकता, फिर वह कैसा बड़ा भाई है? अकेले में वह सोचता त्रिलोकी कह रहा है हम बड़े हो रहे हैं, अब हम अकेले बाहर जा सकते हैं, सिनेमा देख सकते हैं।
क्या होता है सिनेमा? वह अचरज से पूछता है क्या तूने सिनेमा देखा है। त्रिलोकी उसे विश्वास में लेता है। वह उसका प्यारा भाई है वह ही उसे साइकिल से ले जाता है । उसके लिए सभी सामान ले आता है। उसने ही तो उसे सबसे पहले वह सब सिखाया जिसे मां करने में हिचकिचाती थी, नहाना धोना, पानी डालना..
त्रिलोकी के जरिए ही तो मैं दुनिया का वह हिस्सा देख पाता हूं जिसे मैं खुद नहीं देख पाता। इन छुट्टियों में पिता जी की ड्यूटी कॉपी जांचने के लिए लगेगी। वहां तो 6 बजे के बाद छुट्टी होती है। तब मुझे त्रिलोकी साइकिल में बिठाकर सिनेमा दिखाने ले जाएगा।
सिनेमा देखकर लौटा हूं। अद्भुत अनुभव है। गीत, संगीत, सौंदर्य, दृश्य का अद्भुत मेल है। मां से कहकर अन्नपूर्णा को संगीत सीखना चाहिए। मुन्नी भी नाटक में भाग ले सकती है। त्रिलोकी नाथ भी हीरो में खूब जमेगा। वैसे श्रीनिवास भी कम नहीं है पर अभी वह बच्चा है। सोचसोचकर वह आप ही हँसने लगा। पर क्या करें यह सारे रास्ते उसके लिए बंद है। पर संगीत वह महसूस कर सकता है।
जिस दोपहर उसने न जाने कितने ख्वाब बुने वह शाम इतनी खतरनाक होगी उसे नहीं पता था। उसे यह भी नहीं पता था कि जिस रिक्शेवाले से त्रिलोकी नाथ का झगड़ा हुआ था वह स्कूल में जाकर शिकायत कर देगा। नाना ने पहले तो त्रिलोकी नाथ को बुलाया तो उसने अपना सिर एकदम झुका लिया। अगर श्रीधर गिर जाता तो?
त्रिलोकी कोई उत्तर दे या न दे न जाने क्या हुआ कि वह किशोर श्रीधर एकदम सामने खड़ा हो गया। अगर ऐसा हो जाता तो बचाता भी वही। इतना यकीन है मुझे कि यह मुझे मरने नहीं देगा। हमने तय कर लिया है कि हम सिनेमा देखने जाएंगे। बस फर्क इतना है कि अब अम्मा, अन्नपूर्णा, मुन्नी भी साथ जाएंगे। इस बार सुना है धार्मिक फिल्म आने वाली है। अम्मा ने हां कर दी है।
चलो त्रिलोकी तुम्हारा बड़ा भाई बोल रहा है, चलो। एक किशोर किस तरह खुद को बड़ा महसूस करने लगता है यह उस उम्र में अपने पिता से मेरा पहला विद्रोह था।
नाना जानते थे। श्रीधर को महसूस हो रहा है कि वह बड़ा भाई है। शरीर से नहीं सही शब्दों के जरिए तो वह उसकी रक्षा कर सकता है आज श्रीधर ने त्रिलोकी को मार खाने से बचा लिया, उसने संरक्षण करना सीखा। नाना भीतर ही भीतर खुश थे पर यह उन्होंने जाहिर नहीं किया। बस खुद रात को जब अम्मा खाना खिला रही थी तो नाना ने कहा कि कोई धार्मिक फिल्म आए तो देख आना। इस सप्ताह रानी साहिबा आएंगी कुछ अच्छा सा बना लेना। तेरे बनाए खाने की तो वह बहुत तारीफ करती हैं और सुन श्रीधर को संभाल यह बड़ा हो रहा है। मुझे मालूम है त्रिलोकी नाथ उसकी बहुत मदद करता है।
रविवार है आज रानी साहिबा आई हैं इस बार बहुत सारी किताबे लेकर आई हैं लेकिन न जाने क्यों मुझे गुनाहों के देवता बहुत पसंद आ रही है।

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

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