शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

बहुरानियां फंस रही हैं सेक्स के जाल में- वागीशा कंटेंट कंपनी



जल्द से जल्द अमीर बनने की चाहत में अच्छे परिवार की बहुरानियां सेक्स के शिकंजे में फंस रही है। पश्चिमी  उत्तरप्रदेशउत्तरतमीपनी उंगलियां पर नचाने वाला एक गिरोह वेस्टर्न यूपी में आजकल सक्रिय है। गिरोह अपनी महिला एजेंटों के जरिए बड़े घरों की महिलाओं को अपने जाल में फंसाता है।
पूरी तरह से उनके शिकंजे में आने के बाद वह उनका शारीरिक शोषण शुरू कर देता है। अपने और परिवार की खातिर महिलाएं चुपचाप वह करती हैं, जो गिरोह के लोग उनसे कहते हैं। फिर इन्हीं महिलाओं को पैसे का लालच देकर उनके जरिए नए शिकार तलाश किए जाते हैं।
एक बार इनके चंगुल में आने के बाद महिला चाहकर भी बाहर नहीं निकल पातीं। पुलिस के एक आला अधिकारी का कहना है कि उन्हें भी इस मामले की भनक लगी है, लेकिन शिकायत न मिलने की वजह से इस मामले में कुछ नहीं कर पा रहे हैं। कैसे चलता है यह धंधा, इस पर रोशनी डाल रहे हैं प्रेमदेव शर्मा।
किटी पार्टियों पर रहती है नजर
मेरठ की पॉश कालोनी में रहने वाले बड़े घरों की महिलाओं और लड़कियों पर इस गिरोह की नजर रहती है। इस घिनौने काले कारोबार का शिकार बन चुकी कविता (काल्पनिक नाम) का कहना है कि इस कारोबार को चलाने वाले लोगों ने कुछ महिलाओं को भी एजेंट के रूप में अपने साथ रखा हुआ है। इन महिला एजेंटों की नजर रईस परिवार की उन महिलाओं पर होती है, जो मौज मस्ती के लिए किटी पार्टी, क्लब और अन्य संस्थाओं में जाती है। पहले महिला एजेंट रईस परिवारों की ऐसी महिलाओं का विश्वास जीतती है। फिर धीरे-धीरे उन्हें मुनाफे का लालच देकर शारीरिक शोषण का शिकार बनाती हैं। इन्हें इन लोगों ने डिब्बा कारोबार का नाम दिया है।
थोड़ा पैसा, मोटा मुनाफा
कविता के अनुसार पॉश इलाकों की रईस महिलाएं लगभग हर दूसरे-तीसरे दिन किसी न किसी होटल, रेस्टोरेंट, फॉर्म हाउस आदि में किटी पार्टी के नाम पर इक_े होकर मौज-मस्ती करती हैं। इसी में शामिल महिला एजेंट उन्हें एमसीएक्स और शेयर बाजारों के 2 नंबर में संचालित डिब्बा कारोबार में थोड़ा सा पैसा लगाकर मोटा मुनाफा कमाने का लालच देती हैं।
शुरू में बरसते हैं नोट
बड़े परिवारों की महिलाओं और लड़कियों पर शुरुआती दौर में इस बिजनेस में खूब नोट बरसाए जाते हैं। जब इन महिलाओं को इस धंधे में मुनाफा दिखता है तो वो अपने परिवार से छिपकर बिजनेस में ज्यादा पैसा लगाना शुरू कर देती हैं।
फिर होता है तगड़ा घाटा
महिलाओं का डिब्बा कारोबार में ज्यादा पैसा लगने के बाद इन्हें बिजनेस में भारी घाटा करवा दिया जाता है। गंवाया पैसा मुनाफे समेत वापस पाने की लालच की शिकार महिलाएं देखते ही देखते लाखों की कर्जदार हो जाती हैं। कर्जदार होने पर मध्यस्थ महिलाओं के माध्यम से ही कारोबारी किसी न किसी बहाने से इन महिलाओं से कुछ कोरे कागजातों और स्टांप पेपर पर साइन करवा लेते हैं। महिलाओं को शुरू में लाखों रुपये कर्ज के रूप में दे दिए जाते हैं।
गिरोह का असली खेल
यह सब कुछ होने के बाद शुरू होता है गिरोह का असली खेल। लाखों रुपये की कर्जदार हो चुकी इन महिलाओं पर पैसा वापसी के लिए दबाव बनाया जाता है। उनसे कहा जाता है कि वह पहले कर्ज उतारें, फिर कारोबार में पैसा लगाएं। कारोबारियों के तकादे और परिजनों की निगाह से घाटे को छिपाने की जुगत में महिलाएं जहां-तहां से पैसों का बंदोबस्त करने में लग जाती हैं। इसी दौरान इन महिलाओं को पैसा देने के नाम पर शहर के बाहरी इलाके में बने होटलों में बुलाकर उनका शारीरिक शोषण किया जाता है। पुलिस का कहना है कि इस संबंध में उन्हें भनक तो मिली है, लेकिन शिकायत न मिलने के कारण वह कुछ कर नहीं पा रहे हैं।
जुबान खोलने को तैयार नहीं
शिकंजे में फंसी महिलाएं इस गिरोह के हाथों में कठपुतली बनकर नाच रही हैं, लेकिन सामाजिकमर्यादा और परिवार के सामने शर्मसार होने से बचने के लिए वे जुबान खोलने को तैयार नही हैं।उनकी यही कमजोरी गिरोह की ताकत बनी हुई है।
क्या है 'डिब्बा' कारोबार
एमसीएक्स के अवैध कारोबार को ही डिब्बा कारोबार कहते हैं। एमसीएक्स यानी मल्टि कमॉडिटीएक्सचेंज 2 तरीके से संचालित किया जाता है। एक तो इसको सरकार से लाइसेंस शुदा लोगसंचालित करते हैं, जिसमें इन कारोबारियों को सारा कारोबार नंबर 1 में करना होता है। इसी तरहशेयर बाजार में किए जाने कारोबार के लिए सेबी के नियमों का पालन करते हुए लाइसेंस शुदाशेयर ब्रोकर काम करते हैं। लेकिन बाजार में अवैध तरीके से भी यह धंधा संचालित किया जाताहै।
शेयर खरीदने के नाम पर बेनामी पैसा खरीद-फरोख्त में लगाया जाता है, जिसमें सिर्फ मुंहजबानी पैसा लगा दिया जाता है। हार-जीत होने पर पैसा घटता-बढ़ता रहता है। इसी प्रकारसोना-चांदी, पीतल, तांबा आदि में भी 2 नंबर में पैसा लगाया जाता है, जिसे एक नंबर में किएजाने पर वायदा कारोबार और 2 नंबर में किए जाने पर डिब्बा कारोबार कहा जाता है। डिब्बाकारोबारी अधिकतर सोने-चांदी के दिन प्रतिदिन घटते-बढ़ते दामों पर पैसा लगवाते हैं

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