मंगलवार, 3 जनवरी 2012

रोशनी हो हर जगह


अनुजा भट्ट 

जीवन के लिए रोशनी चाहिए।  पेड़-पौधे भी बिना रोशनी के विकसित नहीं हो पाते। कम रोशनी में पढऩे वाले बच्चों की आंखें कमजोर हो जाती हैं। जिन छोटे बच्चों को रोशनी नहीं मिलती वह कमजोर हो जाते हैं, यह तथ्य है।  विटामिन डी हमारे लिए बहुत जरूरी है। लेकिन प्राकृतिक के साथ कृत्रिम रोशनी की भी जरूरत होती है। अंधेरे में तो पक्षी रह सकते हैं मनुष्य नहीं ।  फिर भला कौन सुनना चाहेगा, क्या तुम उल्लू हो? अब अपने क्या अपने घर के बारे में भी कोई ऐसी बात नहीं सुनना चाहेगा जिससे उसकी कम समझ का पता चलता हो।  वह अपने साथ-साथ अपने घर के मेकओवर के बारे में भी जानना चाहता है। मेकओवर की इसी श्रृंखला में प्रस्तुत है घर की रोशनी-
 एक घर तभी सुविधाजनक लगता है जब उसमें  संतुलन हो । यह संतुलन हर जगह नजर आना चाहिए फिर चाहे वह कमरों को लेकर हो या फिर फर्नीचर से जुड़ा हो।  इसके अलावा जो सबसे महत्वपूर्ण है, और जिस पर हम ध्यान नहीं देते वह है घर की रोशनी ।  अमूमन  घर की रसोई, बाथरूम, बालकनी, सीढिय़ों में हम कम रोशनी का इस्तेमाल करते हैं। इसके पीछे हमारी सोच है कि यहां रोशनी की ज्यादा जरूरत नहीं । हमारा यह सोचना गलत है। इन जगहों पर पर्याप्त रोशनी की जरूरत होती है क्योंकि इनका संबंध हमारे स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों से जुड़ा है।
 रोशन करें घर सारा
आजकल अलग-अलग अलग कमरों के लिए  विभिन्न डिजाइनों की लाइट्स  का चलन है। लाइट्स के लिए  डिजाइन का चुनाव करते समय घर की थीम, कलर और इंटीरियर को ध्यान में  रखा  जाता है। इसके अलावा कमरों के आकार प्रकार पर भी ध्यान दिया जाता है। रोशनी के प्रभाव से घर को छोटा या बड़ा दिखाया जा सकता है। रोशनी आपके मूड को दर्शाती है।  अलग अलग रंग अलग मूड को प्रकट करता है। इन दिनों एक ही कमरे में कई तरह की लाइट लगाने का फैशन है जिसे रिमोट कंट्रोल से ऑफ या ऑन कर सकते हैं।
  नए ट्रेंड्स में लंबी लाइट्स
 बिजली की कम खपत वाली लाइट्स जैसे एल इ डी, सी एफ एल, टी 5 ट्यूब्स सजावटी लैंप  के लिए प्रयोग में लाई जा रही हैं । इनको लगाने का खर्च ज्यादा  है पर बिजली का खर्च ज्यादा नहीं है।  60 वाट के बल्ब से जो रोशनी मिलती है वह 15 वाट के सीएफएल से  भी मिल जाती है। लाइट्स लकड़ी की फिनिंशिंग में ज्यादा पसंद की जा रही है।  नए ट्रेंडस के रूप में कांपेक्ट लाइट्स  पसंद करने वालों की संख्या ज्यादा है। कांपेक्ट के लिए स्टील और ग ्लास  का प्रयोग किया जा रहा है।  कार्नर लाइट्स में अब कॉर्नर स्टैंड की बजाय लंबी  लाइट्स का चलन बढ़ा है. लकड़ी या धातु के  फ्रेम  का ट्रेंड बरकरार है पर शेड्स के लिए कपड़े की जगह कागज और बांस ने ले ली है। ट्यूब लाइट और छोटी और बड़ी ऑटोमेटिक लाइट बालकनी और  दरवाजे पर अभी भी अपनी जगह बनाए हुए है।
 झूमर झूमे झूमकर
शेंडलियर भी अब ड्राइंगरूम अलावा अन्य कमरों  में दिखाई दे रहा है।  हां, पर  इसका वह परंपरागत रूप बदल गया है। अब भारी भरकम शेंडलियर की जगह छोटे छोटे झूमरों ने ले ली है जिसमें नग नगीनों की जगह पर अब छोटे छोटे रंगीन बल्ब और घंटियां है। यह  घुमावदार होने के अलावा अब सपाट डिजाइन में भी है, जिसमें नक्काशी की जगह या तो पेंटिंग ने ले ली है या फिर यह गहरे रंगों में पेंट हैं। सतरंगी ज्यादा चल रहे हैं।
वेरायटी ही वेरायटी
  लाइटिंग के बाद सबसे जरूरी हैं - लैंपशेड्स। लैंपशेड्स खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह बहुत ज्यादा बड़े न हों ताकि दूसरे कमरे में इनको आसानी से लगाया जा सके। आजकल अंडाकार, आयताकार, पिरामिड, चौकोर, त्रिकोण सभी तरह के डिजाइन हैं। लिविंग रूम में टेबल लैंप कॉर्नर टेबल के साथ लगाएं।  जहां पर टेबल लैंप रखा  हो वहीं पर सोफा रखें ताकि बैठकर पढ़ा जा सके। फ्लोर लैंप का प्रयोग अतिरिक्त लाइट के लिए किया जाता है यहां भी चौकोर, गोलाकार या ज्यामितिक डिजाइन है । लाइट्स ऐसी हंै जिससे फर्श गर्म न हो  और पैर जले नहीं।  रंगबिरंगे पत्थरों के बीच जलती हुई ये लाइट्स बहुत सुंदर लगती हैं।
  रंग से भरें रोशनी को
अभी भी अधिकतर घरों में सफेद और पीली लाइट्स का ही प्रयोग किया जाता है, जबकि बहुत सारे रंगों की लाइट्स बाजार में है। हमें उनका प्रयोग करना चाहिए क्योंकि हर रंग का अपना एक प्रभाव होता है। जैसेे वर्कप्लेस में सफेद रंग ठीक  है पर बेडरूम में भी यह रंग नहीं जंचता।  सुंदर घर को रखें सुरक्षित
किस कमरे के लिए कितनी रोशनी की जरूरत है इसका आकलन करने के बाद लाइट्स लगाई जाती हैं, ताकि घर को भव्य बनाया जा सके।  लाइट्स का चुनाव करने से पहले सोचना चाहिए कि लाइट्स कहां लगाई जा रही हंै, क्या वह उपयुक्त जगह है पानी का रिसाव तो वहां पर नहीं होता, जो लाइट्स लगार्ई गई है  वह ठीक से काम कर रही है या नहीं, आपके कमरे को कितनी रोशनी चाहिए, क्योंकि हर कमरे की  जरूरत अलग होती है उससे ज्यादा या कम लगाने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वह कमरे के तापमान बढ़ा देती हैं इससे बिजली की खपत भी ज्यादा होती है।

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