मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

एक कमरे के कई नाम




पर्सनल स्पेस के लिए विकल्प की तलाश जारी है। बाजार में आज ऐसे कई विकल्प मौजूद हैं जो आपके घर की सुंदरता का ख्याल रखते हुए तैयार किए जा रहे हैं और इसमें इंटीरियर डिजाइनर की भूमिका महत्वपूर्ण है। रूम पार्टिशन के लिए रूम स्क्रीन या फिर रुम डिवाइडर जैसे शब्द भी लोकप्रिय हैं।
 डा. अनुजा भट्ट
एक बट्टा दो या दो बट्टे चार छोटी छोटी बातों से बंट गया संसार। गाने की यह लाइन नव दंपत्ति के लिए फिट बैठती हैं जहां छोटी छोटी बातों से काम बन और बिगड़ सकता है। यह छोटी छोटी बातें जहां घर गृहस्थी को जमाने के लिए जरूरी हैं वहीं घर की साजसज्जा के जरिए आपकी सूझबूझ का भी परिचय देती हैं। गाने की यह लाइन आज के होम इंटीरियर पर फिट बैठती है। खासकर तब पर्सनल स्पेस महत्व रखने लगा है। इस पर्सनल स्पेस की घर से लेकर आफिस तक में मांग उठने लगी हैं ताकि हर कोई अपना काम स्वतंत्रता के साथ कर सके। घर में  पति-पत्नी से लेकर बच्चों तक को पर्सनल स्पेस की जरूरत होती है और आफिस में कर्मचारियों को। इसके अलावा क्रिएटिव फील्ड से जुड़े लोगों को भी ऐसे ही स्पेस की दरकार होती है।
महानगरों में फ्लैट संस्कृति हैं जिसमें 1 कमरे से लेकर 3 कमरों तक के घर होते हैं। अब यह फ्लैट संस्कृति छोटे शहरों में भी बड़ी तेजी के साथ देखी जा रही हैं। ऐसी स्थिति में पर्सनल स्पेस के लिए विकल्प की तलाश हो रही है। बाजार में आज ऐसे कई विकल्प मौजूद हैं जो आपके घर की सुंदरता का ख्याल रखते हुए तैयार किए जा रहे हैं और इसमें इंटीरियर डिजाइनर की भूमिका महत्वपूर्ण है। रूम पार्टिशन के लिए अलग अलग नाम का प्रयोग होता है जैसे रूम पार्टिशन, रूम स्क्रीन या फिर रुम डिवाइडर।
 नए चलन में रूम डिवाइडर के रूप में ग्लास का प्रयोग बढ़ रहा है। आर्ट एंड ग्लास के लोकेश पाठक कहते हैं कि आज ग्लास कई तरह के हैं। ग्लास में प्रिंटिंग से लेकर पेंटिंग तक बाजार में कई तरह से दिखाई दे रही है। अब यह सिर्फ घर की दीवारों में ही नहीं सजी है बल्कि घर के दरवाजे और खिडक़ी से लेकर रूम डिवाइडर के रूप में भी खरीदी जा रही है। इस बात को कहने से गुरेज नहीं कि कला का विस्तार हुआ है और उसको पेष करने के तरीके भी बदल रहे हैं।
 आज ग्लास कई रूप और आकार में हैं । कहीं ग्लास में लाइटिंग इफेक्ट का प्रयोग किया गया है तो कहीं पर एक्वेरियम का प्रयोग भी रूम डिवाइडर के रूप में हो रहा है। ग्लास पेंटिंग का प्रयोग भी यहां देखा जा रहा है जिसमें एयर ब्रशिंग आर्ट, स्ट्रेक ग्लास आर्ट, क्लिन फार्म आर्ट, डीप इचिंग और सर्फेस इचिंग का प्रयोग देखने लायक है।  वाल हैंगिग के जरिए भी कमरे को डिवाइड किया जा सकता है यह प्रयोग ड्राइंग  रूम और डाइनिंग रूम में किया जा सकता है।  वाल हैंगिंग के लिए लकड़ी से लेकर ग्लास, प्लास्टिक, मैटल और क्रिस्टल का प्रयोग किया जा सकता है। डिजाइन में ज्यामैट्रिकल शेप की मांग ज्यादा है। जिसमें ट्राइएंगल, रेक्टेंगल, ओवल, स्ववायर  और सर्किल षेप ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। लाइट के साथ इसका इफेक्ट जादुई  प्रभाव छोड़ता है। स्टेंज और पैनल का भी प्रयोग किया जा रहा है। यह लकड़ी और मार्बल से बनाए जा रहे हैं।  इनको फोल्ड करके भी रखा जा सकता है।  इसमें अधिक्तर मुगल आर्ट का प्रयोग किया जाता है जिसमें महीन नक्काशी देखते ही बनती है। हाथी, घोडे, राजा की सवारी, पषु पक्षी इस तरह की कला की खासियत हैं।
 फेब्रिक का प्रयोग भी कमरों की सज्जा के लिए लिए किया जाता है। पर्दे का प्रयोग यू ंतो बहुत पुराना है पर अब नए स्टाइल के साथ दिखाई दे रहा है। यहां पर्दे लकड़ी के फ्रेम में लगाए जा रहे हैं और इन पर्दों पर खूबसूरत पेंिटंग की गई हैं। यहां पेंटिंग के कई स्टाइल हैं जो देश विदेश की कला को सामने ला रहे हैं। एक तरह से आधुनिक और परंपरागत कला का इसे मेल कहा जा सकता है। यह पर्दे फेब्रिक के ही नहीं हैं। नए चलन में लैदर से बने पर्दों की डिमांड ज्यादा है। इस समय होम फर्निशिंग के लिए लैदर की डिमांड अंन्तरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा है। होम डिवाइडर के रूप में यह खासे लोकप्रिय हैं।लैदर एल.टी.एच.आर कंपनी की निवेदिता गुप्ता कहती हैं कि लैदर का प्रयोग गारमेंट से लेकर फर्नीचर हर जगह हो रहा है। ् आजकल लैदर में भी आपको कई तरह के रंग मिल जाएंगे। लैदर से बने पर्दे और कारपेट की मांग इस समय सबसे ज्यादा है। डेकोरेशन पीस के रूप में भी यह सराहे जा रहे हैं।
 फाउंटेन का प्रयोग भी डिवाइडर के रूप में हो रहा है लाइटिंग के साथ यह बहुत सुंदर लगता है।  मार्बल से बनी आकृतियां इसके लिए बेहतर विकल्प है। मार्बल के बने शिव लिंग का सा आभास देती आकृतियां कुछ क्षण ठहरने को विवश करती हैं।
 फर्नीचर का प्रयोग भी डिवाइडर के रूप में हो रहा है। पहिए लगी लंबी बुक सेल्फ से भी यह काम किया जा सकता है और जब फिर से बड़े कमरे की जरूरत हो तो इसे हटाया जा सकता है। लंबी सी दिखने वाली समान ऊंचाई की यह बुक सेल्फ कई भागों में डिवाइड हो सकती है और इसे कहीं भी रखा जा सकता है। डिवाइडर का प्रयोग कमरे में चेंज लुक के लिए भी किया जा रहा है। ताकि एक ही घर हमें बार बार नया लगे।  बांस से बने पर्दे का प्रयोग जहां खिड़कियों में किया जा रहा है वहीं इसका प्रयोग रूम डिवाइडर के रूप में भी हो रहा है। पर यहां बास से बनी जालियां है और डिजाइन में गोल गोल लच्छों का प्रयोग है। बहुत सारे मैटेरियर, कलर, स्टाइल और साइज में इसे बनाया जा सकता है। और इनको लगाने का तरीका भी अलग अलग हो सकता है। कहीं यह घर की छत से जुड़े होते हैं जब वाल हैंगिग के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। कहीं यह आधी ऊँचाई तक होते हैं। लकड़ी, फेब्रिक, बांस, राट्स, लेदर, ग्लास, मेटल, विनायल क्रिस्टल, बीड््स और प्लास्टिक से बने यह रूम डिवाइडर समय की जरूरत को बहुत खूबसूरती के साथ पेश कर रहे हैं। आज घर हो या आफिस हर जगह कला के रंग सजे हैं। कला के कद्रदान बढ़ते जा रहे हैं और इसी के साथ उसको पेश करने का तरीका भी बदल रहा है। कला के कद्रदान अब एक खास वर्ग तक सीमित नहीं हैं। अब हर घर कलात्मक रंग में रंगा दिखना चाहता है। बाजार में आज ऐसी कई  कंपनियां आ गई हैं  जो हर वर्ग का ख्याल रखते हुए अपने उत्पाद बाजार में पेश कर रही हैं।


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