बुधवार, 21 दिसंबर 2011



 नया वर्ष है, नव उल्लास है, नव गति है, नव जीवन है।
 ऐसे सुखद क्षणों में अभिनंदन है, सतत नमन है।
 रंगों की फुहार है, रंग सतरंगी हैं ।
  ऐसे में एक खड़ी नवेली लडक़ी सी, कब तक रोकेगी खुद को?
 जल्दी ही बस आने को है।
 अपराजिता
 आने को है ।
 सपने है उसके अपने
 उम्मीदों के पंख लिए वह बस उडऩे वाली है।
 पास खड़ी है सुनने को  एक प्यारा बोल,
 झिडक़ी पर भी मुस्कान लिए, वह फिर बैठगी सपनों की उड़ान लिए।
 इस उम्मीद में फिर आएगी तो चुग्गा  ही वह खाएगी ।
और आपकी बन जाएगी अपराजिता।
 तो मित्रों,
 नई नवेली लडक़ी सी अपराजिता आने को है
 प्यारा से एक बोल बोलकर अपना थोड़ा प्यार उड़ेल दो।
डां अनुजा भट्ट, सीईओ

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