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बुधवार, 20 अप्रैल 2011
चाहिए बालिका वधू सा लंहगा और दादीसा का झूला भी
आपने कोई पुरानी एलबम देखते हुए एक बात गौर की है? उस वक्त की फिल्मों में मौजूद हेयर स्टाइल हो या फिर पहनावा दर्शकों के बीच यह सब हीरो-हीरोइन के नाम से हिट होता था। साधना कट बाल और राजेश खन्ना का स्टाइल पापुलर था। आज टीवी का प्रभाव फिल्मों के मुकाबले ज्यादा है। फैशन ही नहीं कई सारे प्रोडक्ट का विज्ञापन भी सीरियल की कथावस्तु में जोड़ा जा रहा है। फिर चाहे वह मोटरसायकिल का विज्ञापन हो या इंश्योरेंस का या फिर ज्वैलरी की कोई ब्रांड हो। सीरियल ब्रांड को भी प्रमोट कर रहे हैं।
कहने सुनने में यह बात अजीब सी लगती है कि सीरियल दर्शक की जीवनशैली को भी प्रभावित कर रहे हैं इनको देखने की वजह सीरियल की कहानी, अभिनय के अलावा भी बहुत कुछ है। सीरियल के जरिए वह अलग अलग संस्कृतियों से भी रुबरू हो रहे हैं। इस तरह आजकल के सीरियल ट्रेंड सेटर्स के रुप में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इनको देखकर लोग पहनने ओडऩे का सलीका ही नहीं सीख रहे हैं बल्कि वह अपने घर को भी उसी तरह से सजा संवार रहे हैं। सीरियल देखकर सबसे ज्यादा घर में रहने वाली महिलाएं प्रभावित हो रही हैं। अभी हाल ही में मुझको विवाह प्रदर्शनी में जाने का मौका मिला मैंने देखा वहां राजस्थानी झूले की मांग बहुत ज्यादा थी। इसकी वजह जानने की कोशिश की तो पता चला कि बालिका वधू के सेट में ड्राइंगरूम में लगा झूला सबको बहुत पसंद आया था। और लोग इसे अपने ड्राइंगरुम में लगाना चाहते हैं। इसी तरह क्योंकि सास भी कभी बहू थी सीरियल से राट आयरन का फर्नीचर सबकी निगाह में बस गया था। इस तरह टीवी सीरियल्स, रियलिटी शो आदि के जरिए दिखाए जाने वाले फैशन ट्रेंड्स सीधे दर्शकों के ड्राइंग रूम में अपनी पैठ बना रहे हैं। बाजार में परिधान को बेचने के लिए भी सीरियल का सहारा लिया जाता है। धारावाहिकों के चर्चित पात्रों के नाम की साड़ी, ज्वैलरी और बिंदियां बाजार में हैं। कमोलिका का ब्लाउज हो या मंदिरा की बिंदी, आनंदी का लहंगा हो अथवा साधना की चूडिय़ां या फिर रागिनी और ज्योति की साड़ी। बाजार जाकर बस एक बार इनका नाम लेना है और लीजिए आपकी फेवरेट एक्ट्रेस का फैशन चंद मिनटों में आपके सामने हाजिर है।
वागीशा कंटेंट प्रोवाइडर कंपनी, नोएडा, उत्तरप्रदेश।
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3 टिप्पणियां:
आपका विश्लेषण बहुत प्रभावी है. बधाई स्वीकार करें.
Nice post.
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nice post..thanks.
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