
परांठा बनाने की विधि : चार परांठे बनाने के लिए 250 ग्राम गैथ साफ़ कर के रात को भिगो दें. सुबह उसी पानी में उबाल लें. दाल को ठंडा होने के बाद छाननी में निकाल लें. पानी निथरने के बाद दाल को मसल लें. इसमें बारीक कटा प्याज, हरी मिर्च, हरा धनिया और थोडा सा अदरक कद्दूकस कर के मिला लें. नमक स्वाद अनुसार डाल कर अच्छी तरह से मिला लें. तैयार पीठी से भरवां परांठा बना लें और देसी घी से सेक लें. गरम परांठे को चटनी और घी या मक्खन के साथ सर्व करेंभिगोई दाल के बचे हुए पानी में निम्बू निचोड़ कर सूप बना लें. सूप टेस्टी भी होता है और फायदेमंद भी. इस दाल के साथ राजमा भी मिला कर बनाई जा सकती है.
कुल्थी के गुण : इस दाल में खनिजों के अलावा प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट प्रचुर मात्रा में होता है. इस दाल को पथरी- तोड़ माना जाता है. दाल का पानी लगातार सेवन करने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी घुल कर निकलने लग जाती है. इस का एक सरल सा उपाय है की 15-20 ग्राम दाल को एक पाव पानी में रात को भिगो दिया जाए और सुबह खाली पेट पानी पी लिया जाए. उसी दाल में फिर पानी डाल दिया जाए और दोपहर को और फिर रात को पी लिया जाए. ये दाल इसी तरह दो दिन इस्तेमाल की जा सकती है. अन्यथा भी यह किसी और दाल की तरह पकाई जा सकती है. चूँकि ये गलने में समय लेती है इसलिए रात को भिगो कर रख देना अच्छा रहेगा. कुल्थी की दाल का पानी पीलिया के रोगी के लिए भी अच्छा माना गया है. ये दाल उत्तराखंड के अलावा दक्षिण भारत और आस पास के देशों में भी पाई जाती है
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