बुधवार, 8 अगस्त 2018

बदल रही है साेच, बदल रही है जिंदगी




सुप्रभात दाेस्ताें। बारिश की रिमझिम फुहार से आपका मन भी उल्लसित और प्रफुल्लित हाेगा, एेसी आशा है। अभी तक हमने विविध विषयाें पर लेख प्रकाशित किए। जिन विषयाें काे पढ़ने में आपने रुचि दिखाई वह हैं - हेल्थ. पेरेंटिंग, रिलेशन शिप, फैशन,और समाज में सीधा हस्तक्षेप करती कहानियां।
आपका यह चयन दर्शाता है कि आप बदलते हुए समाज की हर नब्ज काे जानना चाहते हैं। समस्या का निदान चाहते हैं। अपनी सेहत काे लेकर जागरूक हैं। फैशन के बारे में पढ़ना चाहते हैं, रिश्ताें की उधेड़बुन से निकलकर उनकाे संवारना चाहते हैं। सबसे अच्छी और रेखांकित करने वाली बात यह है कि आपने अपनी साेच भी बदली है। यह बहुत आसान नहीं हाेता है। परंपरागत ढ़ांचे काे हिलाना आसान नहीं। मुझ अच्छालगा यह जानकर कि आपने एकमत से कहा लड़कियाें काेई वस्तु नहीं जिनकाे दान दिया जाय। मुझे यह भी अच्छा लगा कि लड़कियां नहीं चाहती कि शादी के लिए उनकाे एक प्राेडक्ट की तरह पेश किया जाए और लाेग उनकाे देखें परखें पसंद ना पसंद करें। शक्ल सूरत हेंडसम जैसे शब्दाें काे परे धकेलकर उन्हाेंने साथी के चयन के लिए साेच के मिलने का समर्थन किया। शब्द बदल रहे हैं पहले कहा जाता था
आेह कितना हैंडसम है तेरा हसबैंड.. आज कहते हैं वाउ.. कितना जीनियस है तेरा हसबैंड..
इस तरह के कई बदलाव मैं देख रही हूं। पहले जब हसबैंड खाना बनाने की या चाय बनाने की ही बात करता था ताे लगता है जैसे अगर वह रसाेई में चला गया उसने बर्तन धोए ताे कितना पाप चढ़ जाएगा मन दुःखी हाे जाएगा. आज वाइफ कहती है मेरा ताे दिन बन गया, जायका बदल गया..
सचमुच जायका बदल रहा पति परमेश्वर की जगह एक साथी ने ले ली है।
आप इसी तरह मैं अपराजिता पढ़ते रहिए। हमारे इस ब्लाग काे शेयर कीजिए. क्याेंकि आपकाे अपने मित्राें की रूचि के बारे में पता है

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