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फाेटाे क्रेडिट- एलविन गुप्ता |
मां बनने के बाद महिलाओं की जिम्मेदारियां दुगनी हाे जाती है। कई महिलाओं को इन दोनों के बीच तालमेल बैठाने में दिक्कत होती है। बच्चे के जीवन में आने के बाद मां का खाना-पीना, सोना-जागना उसकी आदतों पर निर्भर हो जाता है। मातृत्व के इस सफर काे इन टिप्स के जरिए आप आसान बना सकती हैं।
- शिशु को कम से कम तक पांच से छह महीने तक मां का दूध जरूर दें। इसके अलावा उसे कुछ भी नहीं दें। मां का दूध बच्चे के लिए संपूर्ण आहार होता है। जब आपका शिशु छ: माह का हो जाए तब आप उसे दूध के साथ ही दलिया, खिचड़ी, चावल, फल आदि भी देना शुरू कर दें। बच्चों के नाखून बहुत जल्दी बढ़ते हैं। जिससे वे खुद को चोट पहुंचा सकते हैं साथ ही लंबे नाखूनों में गंदगी जमा होने का भी डर होता है। इसलिए समय समय पर नाखून काटते रहें।
- गीलेपन से शिशु को इंफेक्शन का खतरा सबसे ज्यादा होता है इसलिए समय समय पर देखते रहें कि शिशु गीले में तो नहीं सो रहा है। उसकी नैपी को बार-बार बदलें व उसकी त्वचा को सुखे मुलायम कपड़े से साफ करें।
- शिशु को स्वच्छ रखने व बीमारियों से बचाने के लिए उसे रोज स्नान कराएं। इससे उसे नींद भी अच्छी आएगी और वो दिनभर तरोताजा महसूस करेगा। मालिश से शिशु की हड्डियां मजबूत बनती हैं साथ ही शरीर की गतिविधियां भी बढ़ती है। नहलाने से पहले शिशु की मालिश करना सबसे अच्छा है।
- अगर आपका शिशु सरकने की कोशिश करने लगा है तो फर्श पर कोई भी नुकीली, धारदार, खुरदरी चीज नहीं रखें। बच्चा सहारा लेकर खड़ा होना सीख रहा है तो टेलीफोन या गुलदस्ते इत्यादि उसकी पहुंच से दूर रखें। बच्चे को हमेशा मुलायम व आरामदायक कपड़े पहनाएं। कई बार ऐसा होता है कि बच्चे को स्टाइलिश दिखाने के लिए माता-पिता उन्हें ऐसे कपड़े पहना देते हैं जिससे बच्चों को परेशानी होती है।
- बच्चों को किचन से दूर रखें क्योंकि दुर्घटना होने की संभावना सबसे ज्यादा किचन में ही होती है। किचन का सारा सामान बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
- कई बार बच्चों को कोई तकलीफ होने पर वे लगातार रोते रहते हैं। अक्सर ऐसा तब होता है जब बच्चे के पेट में दर्द होता है।
- शिशु के सारे टीके समय पर लगवाएं। ये टीके बच्चों को बीमारियों से बचाते हैं।
- बच्चों की आदत होती है कि वे जमीन से उठाकर कुछ भी मुंह में डाल लेते हैं। इसलिए घर की ठीक से सफाई करनी चाहिए।
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