सोमवार, 23 जुलाई 2018

मॉब लिंचिंग- खूंखार और बर्बर समाज की तरफ जा रहे हैं हम डा. अनुजा भट्ट


जीवनमूल्याें काे ठेंगा दिखाते हुए जिस तरह का समाज विकसित हाेता जा रहा है सच कहूं ताे डर लगने लगा है। भीड़ द्रारा हिंसा की खबरें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सवाल यह है  कि आखिर भीड़ का इतना राैद्र रूप क्याें है। इतनी उत्तेजना और गुस्सा क्याें है. हम मारने पर क्याें तुले हैं। किसी की हत्या कर देना इतनी मामूली सी बात क्याें बनता जा रहा है।
अपराधाें की लिस्ट इतनी लंबी क्याें हाेती जा रही है। अगर आप किसी भी दिन अखबार काे ध्यान से देखें ताे पाएंगे कि अपराध की खबराें के आगे समाज सराेकार से जुड़ी खबरें एकदम हाशिए में हैं। समाज में अपनापन, प्यार, एक दूसरे के प्रति सद्भाव, विश्वास और आदर एकदम खत्म हाेता जा रहा है। क्या हाे सकती हैं इसकी वजहें। कुछ का कहना है कि जैसे जैसे हम तकनीक के रूप में विकसित हाेते जा रहे हैं मानवीय स्तर पर हम कमजाेर हाेते जाते हैं।  हमारे भीतर साझेदारी  समाप्त हाे गई है। हमें किसी की काेई जरूरत नहीं।
पासपड़ाैस शब्द गायब हाे गया है। माैहल्ला नहीं रहा। सब अपने फ्लैट में बंद हैं। आपके हाथ में चाबी और माेबाइल है ताे आप समझते हैं  कि सारी दुनिया आपकी मुट्ठी में है।  अगर यह दाेनाें चीजें आपके हाथ से छीन ली जाएं ताे आप चिल्लाने लगते हैं मारपीट करते है , जान भी ले सकते हैं। आप पड़ाैसी का नाम नहीं जानते। तकलीफ में गार्डरूम मे फाेन करते हैं। आसपास के अस्पताल की काेई एंबुलेंस आपके दरवाजे पर आ जाती है।
 पहले आपके घर में चीनी नमक खत्म हाेता था ताे पड़ाैस याद आता था अब आपकाे माेबाइल याद आता है। मेहमान के घर पहुंचने से पहले सामान घर पर है।
 आपकाे किसी की जरूरत महसूस नहीं हाेती जब तक आपके पास पैसे हैं। आपकाे लगता है सब कुछ खरीदा जा सकता है। एेसे में आपके भीतर ऊर्जा लगातार चार्ज रहती है। क्याेंकि उसका उपयाेग कैसे करना है यह आप भूल गए हैं। यह एक सकारात्मक ऊर्जा हाे सकती थी। किंतु नकारात्मक हाे गई। इसलिए कि इस ऊर्जा के लिए संवेदना साहचर्य और सहयाेग की जरूरत हाेती है। वह आपके भीतर पैदा ही नहीं हुई क्याेंकि आपके घर में अब न नमक ख्नतम हाेता है न चीनी। सच कहूं ताे लाेग आजकल घर में आना जाना पसंद नहीं करते। वह इसे  अपनी प्राइवेसी का हनन मानते हैं।
  आपके भीतर की यही उर्जा आपके गुस्से में तब्दील हाेती जा रही है। और आप इसे एेसे किसी भी जगह निकाल देने पर आमादा हैं, जहां से आपका काेई सराेकार नहीं। आप भीड़ में शामिल है, कभी आप पत्थर मारते हैं कभी जान लेते हैं। और बेकसूर काे मरने के लिए छाेड़ देते हैं।
आप चाहें ताे इस गुस्से काे प्यार में बदल सकते हैं। दुआ सलाम काे आदत में शामिल कर सकते हैं। बिना माेबाइल के कुछ समय जाना सीख सकते हैं। पड़ाैसी का दरवाजा खटखटा सकते हैं। मदद कर सकते हैं मदद मांग सकते हैं। उदारता आपकाे वह खुशी दे सकती है जाे आपकाे न मंहगी गाड़ी दे सकती हैं न मंहगे फाेन और न आपका स्टाइल स्टेट्स.।उदारता आपकाे वह दवा दे सकती है जाे किसी मैडिकल स्टाेर में नहीं मिलती। उदारता से बहुत लाभ है । सबसे पहला कि आपकाे वह कभी अकेला नहीं छाेड़ती।

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