सोमवार, 16 अप्रैल 2018

प्यारा रिश्ता सास बहू का- साेमा सुर

बेटी,बहू ,पत्नी और मॉ की जिम्मेदारियों को निभाने के बाद अब मेरी सास बनने की बारी है। बेटे ने अपने लिए जीवनसाथी ढूंढ ली है। सोचा था, उसके लिए लड़की मै ढूंढगी पर फिर मैने खुद को समझाया कि मै भी तो उसकी पसंद की ही लड़की ढूंढती। अच्छा है उसने ही चुन ली, वरना हमारे पड़ोसी शर्मा जी को अपने बेटे के लिए 2 साल तक लड़की ढूंढनी पड़ी थी। जब सुधा (हमारी होने वाली बहू) को पहली बार देखा तो बड़ी खुशी हुई कि मेरे बेटे ने इतनी अच्छी लड़की पसंद की। लेकिन ये खुशी थोड़ी देर मे ही काफूर हो गयी। मेरी बहन ने सुनते ही कहा," बस.... दीदी, सुंदर लड़कियाँ तो अपने रूप रंग के घमंड मे ही रहती है।" मैने कहा,"नही नहीं बहुत पढ़ी लिखी, MNC मे जॉब करने वाली है सुधा।" इतना सुनते ही वो बोली फिर तो दीदी आप को किचन से कभी छुट्टी नही मिलने वाली । सुधा को देखकर जितनी खुशी हुई थी बहन की बातो से ठंडी हो गई । फिर शुरू हुई शादी की  shopping। मेरा बेटा जिसने कभी अपनी शर्ट नही खरीदी थी, बड़े शौक से सुधा के कपड़े खरीदने लगा। मुझे बहुत अच्छा लगा, चलो जिम्मेदार हो रहा है मेरा बेटा । पर साथ मे गई मेरी बेटी ने हँसकर कहा," देखा मॉ, भाई को तो कभी हमारे लिए कपड़े लेने नही आये अब तो सुधा के complexion से match करके dresses ले रहा है।" अचानक ही मन उदास हो गया सच ही तो कह रही है बेटी ,जब भी shopping के लिए कहती तो वो हमेशा बहाने बना देता था । मै क्या करूँगा जा कर ? मेरे समझ नही आता। कितना time लगाते हो आप लोग । ये सारी बातें सुनने से अच्छा था कि मै अकेले ही चली जाया करती थी। और देखो तो अब कैसे कर रहा shopping, office से leave लेकर। बस अब तो रोज की बाते हो गयी जो भी सुनता बेटे की शादी होगी मेरे लिए उनकी आँखो मे तरस साफ दिख जाता । और सबकी बाते सुन सुन कर मेरे मन मे सुधा के लिए  प्यार से ज्यादा नफरत घर करने लगी । मुझे भी अब लगने लगा बहु मेरे बेटे को मुझसे दूर कर देगी । ये बाते मै किसी से कह नही पी रही थी क्योकि मन तो ये जानता था कि मै गलत हूँ । अब शादी को सिर्फ 2दिन बचे थे । करने को इतना काम था पर मन ही नही कर रहा था कुछ करने को।  शाम को बेटे ने आकर बताया मॉ सुधा बहुत upset है , मुझे कुछ बता नही रही आपसे बात करना चाहती  है। मैने कहा ठीक है । मै उससे मिलने चली गयी। उसने मेरे पैर छु़ये फिर गले से लिपट गई एक छोटे से बच्चे की तरह। काफ़ी देर तक इधर उधर की बाते करने के बाद वो बोली ,"मम्मी  जी मै बहुत परेशान हूँ । जो भी मिलता है वो डरा जाता है, सास ये कहेंगी, सास वो कहेंगी । सास को ये बात पसंद होगी सास को वो बात नापसंद होंगी । मुझे बहुत डर लग रहा है । मै तो आपकी बेटी बनकर आपके घर आना चाहती हूँ। जब मै गलती करूँ आप मुझे डाँटे । जब मै कुछ अच्छा करूँ आप खुश हो जाएं। जैसे मैं अपनी मॉ को हर बात बताती हूँ वैसे ही आपको भी बताऊँ  । मैने उसे आगे कुछ भी कहने नही दिया । उसका हाथ थामकर  कहा," बेटा ऐसा ही होगा। न तो तू मेरी बहु होगी ,न तो मै तेरी सास । तू एक मॉ के घर से दुसरे मॉ के पास आ रही है ।" वो फिर से मुझसे लिपट गई।  
घर वापस आते हुए मै सोच रही थी कि जैसा मेरे साथ हो रहा था वही सब सुधा के साथ भी हो रहा है। मेरे बेटे के पैदा होने  के बाद से ही मैंने सोच रखा था जो भी गलत मेरे साथ हुआ था वो मै अपनी बहू के साथ नही करूँगी पर  मै उसी रास्ते पर चलने लगी थी । हमारे हितैषी अनजाने ही पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो कर अपनी सोच हम पर थोप देते है। 
 कोई भी बहु घर तोड़ने का सोच कर शादी नही करती और न तो कोई सास, बहु को सताने को ही जीवन का ध्येय समझती है । हम पहले से ही अपनी सोच बना लेते है बहु है तो ऐसा ही करेगी , सास है तो ऐसा ही करेगी । फिर गलतफहमियों की वजह से वही सारी बातें सच  हो जाती है। पर मैने अपने आप से और सुधा से वादा किया है, मै गलतफहमियो की वजह से हमारे इस प्यारे से रिश्ते को खराब नही होने दूँगा । 
ये कहानी हर बहु और सास की है , क्या ये आपकी भी कहानी है ??? अगर है तो comments जरूर करे ।

कोई टिप्पणी नहीं:

Special Post

विदा - कविता- डा. अनुजा भट्ट

विदा मैं , मैं नहीं एक शब्द है हुंकार है प्रतिकार है मैं का मैं में विलय है इस समय खेल पर कोई बात नहीं फिर भी... सच में मुझे क्रि...