आप सप्तसदी के साथ फेरे लें, निकाहनामा पढ़ें या फिर कोर्ट में हलफनामा पेश करें लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते की डोर पूरी उम्र मजबूत ही रहेगी।
रिश्तों की मजबूती के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। आज पचास साल की परिपक्व उम्र में तलाक के मामले सामने आ रहे हैं और बीते 20 वर्षों में यह आंकड़ें लगभग दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं। अग्रेंजी में इसके लिए ग्रे डायवोर्स शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।
तलाक की स्थिति किसी के लिए भी खुशी देने वाली नहीं होती। क्या आपकी शादी भी ऐसे किसी दोराहे पर खड़ी है? शायद आपके जीवन-साथी ने आपके भरोसे को तोड़ा हो या फिर बार-बार होने वाले झगड़ों की वजह से आपके रिश्ते में पहले जैसी मिठास नहीं रही। आपके मन में यह भी खयाल आता होगा, ‘शायद हमें तलाक ले लेना चाहिए।’
तलाक का फैसला जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। पहले इस बारे में अच्छी तरह सोच-विचार कर लीजिए। यह जरूरी नहीं कि तलाक लेने से आपकी जिंदगी में छाए परेशानी के काले बादल छँट जाएँगे। तलाक से एक समस्या तो हल हो जाती है, लेकिन उसकी जगह एक नयी समस्या खड़ी हो जाती है।
1 पैसे की समस्या
माया को अपनी शादी के 25 साल बाद पता चला की उसके पति का ऑफिस में साथ काम करनेवाली किसी महिला के साथ नाजायज संबंध है। वह कहती है, “जब मुझे यह बात पता चली तो कुछ समय अलग रहने के बाद, माया ने आखिरकार तलाक लेने का फैसला किया। जैसे ही हम एक-दूसरे से अलग हुए, मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गयी। शादी टूटने पर अक्सर पत्नी को भयंकर आर्थिक समस्या से जूझना पड़ता है। कुछ महिलाओं के लिए यह वाकई मुश्किल होता है, क्योंकि उन्हें बच्चों की देखभाल करनी होती है, नौकरी ढूँढ़नी होती है, साथ ही तलाक की वजह से मानसिक तनाव से भी गुजरना होता है।
2 माता-पिता की जिम्मेदारी
नीलू कहती हंै, “जब मुझे पता चला कि मेरे पति का किसी के साथ संबध हैं तो उसने अपने पति को तलाक दे दिया। वह यह नहीं कहती कि उसने गलत फैसला लिया, मगर वह कबूल करती है, “अपने बच्चों के लिए माँ-बाप दोनों की भूमिका निभाना मेरे लिए सबसे बड़ी मुश्किल थी। “कोर्ट ने मुझे अपने 16 साल के बेटे को अपने साथ रखने की इजाजत दी। मगर जब एक बच्चा जवानी की दहलीज पर कदम रखता है तो वह बड़ा मुश्किल समय होता है और मेरे लिए अकेले अपने बेटे की परवरिश करना बहुत मुश्किल था। मुझे अकेले ही सारे फैसले लेने पड़ते थे।
जो तलाकशुदा माता-पिता अलग-अलग रहते हैं, लेकिन बारी-बारी से अपने बच्चों की परवरिश करते हैं, तो उन्हें अपने पूर्व पति या पत्नी के साथ मिलकर कुछ नाजुक मामलों पर फैसला करना होता है। अपने पूर्व पति के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाए रखना आसान नहीं होता।
3 तलाक का असर आप पर
जीवन को जब पता चला कि उसकी पत्नी उसे धोखा दे रही है तो उसे ऐसा लगा कि दुनिया उजड़ गयी हो। वह कहता है, “पहले-पहल तो मुझे इस बात पर बिलकुल यकीन नहीं हुआ। मैं वाकई अपनी जिंदगी का हर दिन अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बिताना चाहता था।” मगर पत्नी की बेवफाई की वजह से मैं ऐसी उलझन में पड़ गया। जीवन कहता है “जब लोग उसके बारे में उल्टी-सीधी बातें करते हैं तो उन्हें लगता है कि इससे मेरे दिल को सुकून मिलेगा। पर ऐसा बिलकुल नहीं होता। प्यार इतनी जल्दी नहीं मिटता।”
तलाक के बाद एक इंसान कई तरह की भावनाओं से गुजरता है। अगर आपका तलाक हो चुका है, तो आप भी जरूर इस दौर से गुजरे होंगे। जो हसीन पल आपने साथ बिताए थे वे आपको रह-रहकर याद आते हैं और आप सोचते हैं ‘वह मुझसे कहता था कि वह मेरे बगैर नहीं जी सकता। क्या वह मुझसे हमेशा झूठ बोलता था? आखिर यह सब क्यों हुआ?’”
4 तलाक का असर बच्चों पर
रितेश एक तलाकशुदा पिता है। वह कहता हैै, “जिस घड़ी मुझे पता चला कि मेरी पत्नी का संबंध मेरी बहन के पति के साथ है, तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी। मैं बस मरना चाहता था।” मैंने देखा कि मेरे दोनों लड़कें जिनकी उम्र दो और चार साल की थी, उन पर भी उनकी माँ की इस हरकत का असर हो रहा था। वह कहता है, “वे कुछ समझ नहीं पा रहे थे और न ही वे इस हालात का सामना कर पा रहे थे।
लोग तलाक तो ले लेते हैं, पर अक्सर यह नहीं सोचते कि इसका बच्चों पर क्या असर होगा। यह बात सच है कि अक्सर बच्चों को पता होता है कि उनके मम्मी-पापा के बीच झगड़ा चल रहा है और इसका बच्चों के कोमल दिल और दिमाग पर बुरा असर हो सकता है। मगर यह सोचना कि तलाक लेना बच्चों के लिए अच्छा रहेगा बिल्कुल गलत है। अगर आप तलाक लेने की सोच रहे हैं, तो इस लेख में दिए चार मुद्दों पर जरूर गौर कीजिएगा। आखिर फैसला आप ही को करना है। चाहे आप कोई भी रास्ता अपनाएँ, आपको उसके अंजामों के बारे में पता होना चाहिए। आपको यह भी पता होना चाहिए कि कौन-सी परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं और उनका सामना करने के लिए तैयार रहिए।
इस मामले पर अच्छी तरह सोचने के बाद शायद आपको लगे कि इससे बेहतर होगा आप अपनी शादीशुदा जिंदगी को सुधारें। मगर क्या यह वाकई मुमकिन है?