शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से शुरू हो रहे हैं। इस बार नवरात्र 3 से लेकर 11 अक्टूबर तक है और 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार शरद नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होते हैं और विजयादशमी के पहले नवमी तक चलते हैं। इन नौ दिनों तक मां दुर्गे के नौ अलग- अलग रूपों - मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है।
इस बार नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना नीचे दीए गई इन तिथियों और दिन को होगी-
किस दिन किसकी पूजा
3 अक्टूबर को प्रतिपदा पर माता शैलपुत्री
4 अक्टूबर को द्वितीया पर ब्रह्मचारिणी
5 अक्टूबर को तृतीया पर चंद्रघंटा का पूजन
6 व 7 अक्टूबर को चतुर्थी पर माता कुष्मांडा का पूजन
8 अक्टूबर को पंचमी तिथि पर स्कंदमाता का पूजन
9 अक्टूबर को षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी का पूजन
10 अक्टूबर को सप्तमी तिथि पर माता कालरात्रि का पूजन
11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी दोनों पर माता महागौरी व सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा
नवरात्रि का महत्व-
हिन्दू धर्म में किसी शुभ कार्य को शुरू करने और पूजा उपासना के दृष्टि से नवरात्रि का बहुत महत्व है। एक वर्ष में कुल चार नवरात्र आते हैं। चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पड़ने वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं और इन्हीं को मनाया जाता है। इसके अलावा आषाढ़ और माघ महीने में गुप्त नवरात्रि आते हैं जो कि तंत्र साधना करने वाले लोग मनाते हैं। लेकिन सिद्धि साधना के लिए शारदीय नवरात्रि विशेष उपयुक्त माना जाता है। इन नौ दिनों में बहुत से लोग गृह प्रवेश करते हैं, नई गाड़ी खरीदते हैं साथ ही विवाह आदि के लिए भी लोग प्रयास करते हैं। क्योंकि मान्यता है कि नवरात्रि के दिन इतने शुभ होते हैं इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने के लिए लग्न व मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती।
The fashion of the whole world is contained within the folk art.
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