मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है।
दुनियां भर ,को
छोड़ के ये बस ,एक
किनारे चलता है।।
हँसता है
रोता ,भी है
कभी-कभी ,गाता भी है।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है।।
है थोड़ा-सा ,आलसी
जुगनू जैसे
रोशन ,होता है।
जितनी चाहिए ,रौशनी
बस उतना ही
जगमग होता है।।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है-२।।
कोयल की कु-कू
भी सुनता ,शोर
पपीहे वाले भी।
रातों को है ,जागता
तो दिन को
सो ,भी लेता है
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है-२
क्रोध-ख़ुशी-दुःख भी है
होता ,सब कुछ
थोडा-थोडा सा
कभी-कभी अभिव्यक्ति
है देता ,सोच-समझ
के थोडा-सा।।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है-२।।
यहाँ ज़माने भर
के गम भी
थोड़े-थोड़े पलतें हैं।
खुशियों के ,उन्मादों
संग घुलमिल ,के
वो रहते है।।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक .सितारा जलता है-२।।
कभी-कभी ,चंचल
सा है ,कभी-कभी
कुछ बूढा सा।
मुझ जैसा ,ही है
मुझसे अलग
है ,स्वतंत्र मनमौजी-सा।।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है।
दुनियां भर ,को
छोड़ के ये बस ,एक
किनारे चलता है।।
www.yaadonme.blogspot.in
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है।
दुनियां भर ,को
छोड़ के ये बस ,एक
किनारे चलता है।।
हँसता है
रोता ,भी है
कभी-कभी ,गाता भी है।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है।।
है थोड़ा-सा ,आलसी
जुगनू जैसे
रोशन ,होता है।
जितनी चाहिए ,रौशनी
बस उतना ही
जगमग होता है।।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है-२।।
कोयल की कु-कू
भी सुनता ,शोर
पपीहे वाले भी।
रातों को है ,जागता
तो दिन को
सो ,भी लेता है
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है-२
क्रोध-ख़ुशी-दुःख भी है
होता ,सब कुछ
थोडा-थोडा सा
कभी-कभी अभिव्यक्ति
है देता ,सोच-समझ
के थोडा-सा।।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है-२।।
यहाँ ज़माने भर
के गम भी
थोड़े-थोड़े पलतें हैं।
खुशियों के ,उन्मादों
संग घुलमिल ,के
वो रहते है।।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक .सितारा जलता है-२।।
कभी-कभी ,चंचल
सा है ,कभी-कभी
कुछ बूढा सा।
मुझ जैसा ,ही है
मुझसे अलग
है ,स्वतंत्र मनमौजी-सा।।
मेरे मन के
भीतर ,भी हाँ
एक ,सितारा जलता है।
दुनियां भर ,को
छोड़ के ये बस ,एक
किनारे चलता है।।
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