मंगलवार, 10 जनवरी 2012

थीम होम का आया जमाना



                     

 डा. अनुजा भट्ट

 घर की साज सज्जा को लेकर लोगो का नजरिया बदल रहा है। ग्लोबल दुनिया में हर कोई अपने घर को एक अलग अंदाज में दिखाने की कोशिश कर रहा है फिर चाहे वह सिलेब्रिटी होम हो या फिर सामान्य घर। समय की इसी मांग को ध्यान में रखते हुए हर साल कुछ नए रंग और डिजाइन पेश किए जाते है जिनको हर कोई फोलो करता है फिर चाहे वह फैशन डिजाइनर हों या फिर इंटीरियर डिजाइनर।
होम डेकोर ट्रेंड्स
पेंटालून ने  जो होम डेकोर ट्रेंड बताए हैं उसमें इको फ्रेंडली थीम पर जोर दिया गया है। दूसरा नंबर व्यक्तिपरक भौतिकतावादी दृष्टिकोण को अपनाने वालों का है । तीसरे नंबर पर है पीरियड फ्यूजन। इसके अलावा एंटीक लाइटिंग, डेकोरेटिव हेंडीक्राप्ट एक्सेसरीज, मेटल क्राफ्ट, सिल्क पर भी जोर  दिया जा रहा है।
  इसी के साथ  अलग अलग संस्कृतियों भी एक मंच पर नजर आ रही हैं जैसे कष्मीरी,, राजस्थानी, आदिवासी एक ही घर में साथ साथ हैं।  माड्यूलर फर्नीचर लोगों की पहली डिमांड है यह किचन से लेकर हर कमरे में ् अपनी जगह बना चुका है। फ्लोरल प्रिंट, एनीमल प्रिंट सबसे ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। नेचर फ्रेंडली के तहत सोलर लाइटिंग, रेन वाटर हावेस्टिंग, रिसाक्लिंग क्राफ्ट भी हर घर में हो ऐसी कोशिश की जा रही है।
 घर देता है संदेश
कुछ भी कहें अब घर सिर्फ रहने का ठिकाना नहीं है। न ही यह सिर्फ एक छत का नाम है जिसके नीचे हमारा संसार है। घर भी अब अपना संदेश देने की कोशिश कर रहा है।  हमारी आंखें उस संदेश पढऩे में कामयाब हैं दरअसल यह संदेश घर की साजसजावट के जरिए हमारी आंखों के पास आ रहा है। कभी हम घर की कलात्मकता के कायल हो रहे हैं तो कभी घर में सहेज कर रखी गई चीजें हमें अपने अतीत को जानने का ्अवसर दे रही हैं।  हम बारिश के पानी को बचाने के बारे में सोच रहे हैं और सूरज की रोशनी से घर का खाना पकाना चाहते हैं।  मिट्टी के  घर लोगों को लुभा रहे हैं  वह उसमें आधुनिक साजोसामान  के साथ रहना चाहते हैं। अब मनुष्य प्रकृति के साथ रहकर आधुनिकता की परिभाषा लिखने की कोशिश कर रहा है।एक समय में वास्तु का जोर था और अब इको फ्रेंडली सबकी जुबान पर है। घर बारह और भीतर सब तरफ से बदल रहा है और यह बदलाव घर में रहने वालों का बदलती सोच को भी दर्शा रहा है।
कला का बाजार बढ़ा
  दूसरी तरफ रुख करें तो कला का बाजार बढ़ा है। देश- विदेश की कलाएं विभिन्न रूपों में हमारे घरों में सजी हैं।  फिर चाहे वह वाल हैगिंग हो या फिर झाड़ फानूस। लोक कला भी कई रंगों में अपनी छटा बिखेर रही है। फिल्म और सीरियल मे्ं दिखाए जा रहे घर अब सिर्फ सेट भर नहीं रह गए हैं। लोगो ने उस तरह से अपने घर को भी सहेजना शुरू कर दिया है।  बालिका वधू में दिखाया गया झूला अब आम घरों में भी दिखाई दे रहा है। इसी तरह गणेश, लाफिंग बुद्धा, दिए और मोमबत्ती घर के दरवाजे में प्रतीक्षा कर रहे हैं। मिट्टी की छोटी छोटी घँटियां बंदनवार के रूप में घर घर में सज रही हैं। फैंगशुई भी उसी तरह से हर घर की शोभा बन गया है। सिर्फ घर ही नहीं रेस्तरां, होटल और शोरूम भी  सजावट के लिए सजग हो गए हैं।
 घर की साजसज्जा को लेकर इंटीरियर में काफी बदलाव आया है जो हमेशा बदलता रहता है इसीलिए लोग कम बजट के साथ अपने घर को हमेशा नएपन से भरना चाहते हैं। इंटीरियर डिजाइनर श्रृद्धा कहती हैं कि हम पहले क्लाइंट का मन टटोलते हैं वह क्या चाहते हैं? फिर उसी के अनुसार काम करते हैं। मार्केट में इस समय जो ट्रेंड चल रहे हैं उसमें सबसे ज्यादा प्रचलन में मार्डन लुक ही है। खासकर फ्लैट में मार्डल लुक की मांग ज्यादा है।
 मार्डन लुक- डिजाइनर गीतिका माथुर के अनुसार, इसकेे अंतर्गत कमरे को ब्राइट कलर और बोल्ड पैटर्न में डिजाइन किया जाता है। खिड़कियों पर स्ट्राइप्ड परदे और कुशन भी उसी फ्रेब्रिक के होने चाहिए। पिंक और व्हाइट का काबिनेशन बडा़ सुकून देता है। फ्लोरल पैटर्न के कुशन पिंक और व्हाइट में रखें। सोफे की अपहोलस्ट्री न्यूट्रल कलर की रखें। यह किसी भी थीम में शामिल हो सकती है। अपने लैंपशेड्स को स्ट्राइप्ड और फ्लोरल में माउंट प्रिंट में बनवाएं। बच्चों के कमरों में बोल्ड ज्योमैट्रिक प्रिंट बहुत जंचते हैं।  स्टारषेप के कुशन कवर पर पोलका डाट होने से कमरे की रौनक बढ़ जाती है।  बच्चों के कमरे में पिन बोर्ड का होना जरूरी है।  पिन अप बोर्ड को उसी कपड़े से माउंट करें।
 मार्डन और ट्रेडीशनल लुक-  इसके लिए बच्चों के कमरे में दरी या चटाई पर रखे कुशन बहुत ही कैजुअल और कूल लुक देते हैं। फ्लोर अरेजमेंट घर के किसी कमरे में बहुत कूल लगता है। ड्राइंगरूम में फ्लोर अरेजमेंट आरेंज और रेड कुशन से करें।  इसके पास प्लांटर और फ्लोर लैंप रखें। बोल्ड कलर के कुशन रूम की शोभा के साथ एक फोकस पाइंट भी बन सकते हैं। सीलिंग से हैंगिग ग्लोब कमरे की शोभा को बढ़ाते हैं।  गर्मियों में कमरे को कूल लुक देने के लिए पीयर कर्टेन लगाएं। बैड के हैड बोर्ड के साथ कुशन को अ्लग-अलग रंगों में अरेंज करें। हमेशा ध्यान रखें कि कलर एक ही फेमिली के हों।  सिल्क और वैलवेट कुशन हमेशा रिच लुक देते हैं और कमरे को आकर्षक बनाते हैं। यह ट्रेडिशलन भी लगते हैं। मार्डन लुक के लिए स्ट्रैप्स वाले पर्दे और कुशन कवर लगाएं। बैडरूम की एक दीवार पर फेमिली फोटो लगाएं और बारी बारी से बदलते रहें।
 इंडियन थीम- डिजाइनर अंशु पाठक कहती हैं कि पीतल के दीपक, घंटियां और डेकोरेटिव प्लेट्स, इंडियन थीम के हाइलाइट्स हैं। ड्राइंग रूम की सेंटर टेबल पर दीपक रखकर गुलाब के फूलों का ्अरेजमेंट बहुत  सुकून देता है। पीतल के बर्तन में पानी और गुलाब की पंखुडिय़ा डाल कर उसमें एसेंस डालें। आजकल एरोमा आयल और अरोमा कैडल्स का चलन में हैं। इससे वातावरण अच्छा लगता है। टेबल  मैट्स लगाएं। मिरर वर्क टेबल पर  अ्च्छा लगता है। डाइनिंग रूम में क्रिस्टल बाल रखें और उसमें कलर फुल ग्लास बाल डालें। डाइनिंग टेबल घर के सेंटर में होनी चाहिए। राजस्थान इंडियन थीम का बेस है बांधनी प्रिंट। बंधेज के कुशन कवर किसी भी कमरे  की शोभा हैं। झूला तो बहुत ही आकर्षक लगता है।
कलर थीम- कलर थीम में रंगों के संयोजन पर जोर दिया जाता है। इंटीरियर डिजाइनर मानते हैं कि रंगों का मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है जानी मानी पत्रकार, चित्रकार और इंटीरियर डिजाइनर अलका रघुवंशी कहती हैं रंग संवाद करते हैं और आपकी भावनाओं को भी व्यक्त करते हैं। सुख-दुख, अवसाद उल्लास सब रंगों द्रारा ही व्यक्त होते हैं। इसीलिए प्रकति में इतने रंग है और रंगों के भी कई सारे शेेड्स। कभी गौर से देखिए और सोचिए कि प्रकृति और ऋतुओं का क्या मेल है। फूल हंसते क्यों हैं और पतझड़ आता क्यों है। हमारा घर, आसपास, आफिस सब खुशियों से भरा रहे और एक सकारात्मक ऊर्जा वहां हो इसीलिए रंगों और वास्तु-ज्ञान का तालमेल होना चाहिए। लाल रंग ऊर्जा बढ़ाता है तो पीला प्रसन्नता और खुशी को दर्शाता है। नीला रंग शांति का प्रतीक है और स्थिरता का भी। हरा रंग आंखों को शांति देता है, बैंगनी रंग एष्वर्य और आधुनिकता का प्रतीक है तो गुलाबी मौजमस्ती और उत्तेजना का।
 वास्तु थीम- वास्तु विशेषज्ञ संगीता कहती हैं कि दिशा का बड़ा महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर मुख्य ऊर्जा केवल सूर्य है। सूर्य की गति के कारण घर की ऊर्जा बदलती रहती है। इसी सिद्धांत पर आग्नेय कोण की कल्पना की गई है  इसके लिए  घर का दक्षिण पूर्व का कोना उपयुक्त माना जाता है। आग्नेय कोण पर घर की रसोई बनाना ठीक रहता है। इशान कोण पर पूजा घर होना चाहिए। घर का केंद्रीय स्थान बहुत महत्वपूर्ण है इसको ब्रहम स्थान भी कहा जाता है यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मनुष्य के षरीर मे हृदय का स्थान। नैतृत्व कोण में घर का टायलेट, बाथरूम होना चाहिए।
 आध्यात्मिक थीम-  इसमें कृषण, साईबाबा, गणेष, लक्ष्मी, दुर्गा, तिरुपति बालाजी की मांग ज्यादा है लोग इनको समृद्धि और विध्न विनाषक के रूप में देख रहे हैं। इसीलिए घर को सजाने  के लिए लोग  इनकी  पेंटिंग का प्रयोग कर रहे हैं। दूसरे लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार एसएमएस और ईमेल भी किए जा रहे है। इस तरह यह खुद ब खुद एक थीम बनता जा रहा है।
 फोक आर्ट थीम- इसमें हम अपने देष की आदिवासी कला को ही महत्व नहीं दे रहे हैं  अफ्रीका की आदिवासी कला भी हमारी पसंद में षामिल हो रही है। यह सब पेंटिंग,वाल हैंगिंग, चादर, और पर्दो में दिखाई दे रही हैं ।
  चाइनीज थीम-  इस थीम में बुद्ध की प्रतिमा, मोमबत्तियां, क्राफ्ट, क्रिस्टल, डेकोरेषन लैंप, तैल चित्र, फोटोफ्रेम, पेंटिंग का प्रयोग ज्यादा होता है।
कुल मिलाकर कहें तो घर को सजाने के लिए जहां सजावट पर जोर दिया जा रहा है वहीं अपनी संस्कृति और इतिहास को खगालने की भी कोषिष की जा रही है। इतिहास सिर्फ पढऩे का विषय नहीं रहा हम उसकी साज सज्जा के पहलुओं को भी गौर से देख रहे हैं। मुगल कालीन षिल्प और सज्जा इंटीरियर डिजाइनर की सबसे पहली पसंद बनता जा रहा है। बड़ी बड़ी सिलेब्रिटी अपने घर को सजाने के लिए इन  सजावट के साथ -साथ वैकल्पिक सिद्धियों का प्रयोग कर रही हैं।


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