गुरुवार, 25 नवंबर 2010

फूल जो हंसते है
  फूल जो खुशबू देते हैं
  जिनसे आप बात कर सकते है
 जिंदगी की खुशियों को याद रख सकते हैं
 फूल जो आपके मन के तार किसी से जोड़ देते हैं
 खुद आपके होंठ बन जाते हैं
 फिर हम शब्दहीन हो जाते हैं
 इसीलिए फूलों को कैद करके रखती हूं मैं
  अपने कैमरे में
 क्योंकि यह मेरे लिए प्यार की निशानी है
 फूल,काले अंगूर और मिठाई का डिब्बा
 मेरी जिंदगी की एक जीवंत कथा है



  

कोई टिप्पणी नहीं:

Special Post

विदा - कविता- डा. अनुजा भट्ट

विदा मैं , मैं नहीं एक शब्द है हुंकार है प्रतिकार है मैं का मैं में विलय है इस समय खेल पर कोई बात नहीं फिर भी... सच में मुझे क्रि...