The fashion of the whole world is contained within the folk art.
रविवार, 24 अक्तूबर 2010
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विदा - कविता- डा. अनुजा भट्ट
विदा मैं , मैं नहीं एक शब्द है हुंकार है प्रतिकार है मैं का मैं में विलय है इस समय खेल पर कोई बात नहीं फिर भी... सच में मुझे क्रि...
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घाट से आते समय एक अलग सी अनुभूति हो रही थी। छूट गया सब कुछ... आज पंक्ति में क्रम बदल गया था। दीपक सबसे आगे फिर मैं उसके बाद मेरा देवर देवरान...
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यह मैं कोई अनोखी बात नहीं कह रही हूं कि भारत विविधता भरा देश है बोली भाषा खानपान सब कुछ अलग-अलग है। हम सब इस बात के जानते हैं। लेकिन हम महसू...
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एक पांव दहलीज के बाहर जा रहा है सपनाें की उड़ान और कशमकश के बीच आसमान में उड़ती पतंग काे देख रही हाथ में डोर लिए एक। युवा और किशाेराें के ...
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