सोमवार, 30 अप्रैल 2018

याेग चर्चा-40 के बाद हड्डियां को बनाएं मजबूत- डा. दीपिका शर्मा


उम्र के 40 वर्ष पूरे होने के साथ साथ हमारे शरीर के  मसल्स ढीले होने लगते हैं और साथ ही हड्डियां कमजोर। इस उम्र में ऑस्टियोपोरेसिस होने का खतरा बढ़ जाता है और हल्की सी चोट से भी हड्डी टूटने का डर बना रहता है।  मगर घबराने की जरूरत नहीं यदि आप इन योगासानों को अपनी दिनचर्या में अपना लेंगें तो यह आपकी हड्डियों को कमजोर नहीं होने देंगें।
चक्रासन
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को घुटने से मोड़ें जिससे एड़ी हिप्स को छुए और पंजे जमीन पर हों। अब गहरी सांस लेते हुए कंधे, कमर और पैर को ऊपर की ओर उठाएं। इस प्रक्रिया के दौरान गहरी सांस लें और छोड़ें। फिर हिप्स से लेकर कंधे तक के भाग को जितना हो सके ऊपर उठाने का प्रयास करें। कुछ क्षण बाद नीचे आ जाएं और सांसे सामान्य कर लें।
वृक्षासन
पेड़ की तरह तनकर खड़े हो जाइए। शरीर का भार अपने पैरों पर डाल दीजिए और दाएं पैर को मोड़िये। दाएं पैर के तलवे को घुटनों के ऊपर ले जाकर बाएं पैर से लगाइये। दोनों हथेलियों को प्रार्थना मुद्रा में लाइये। अपने दाएं पैर के तलवे से बाएं पैर को दबाइये और बाएं पैर के तलवे को जमीन की ओर दबाइये। सांस लेते हुए अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाइये। सिर को सीधा रखिए और सामने की ओर देखिये। 20 मिनट तक इस स्थिति में रुके रहें।
पद्मासन
जमीन पर बैठ जाएं। दायां पैर मोड़ेंऔर दाएं पैर को बाईं जांघ के ऊपर कूल्हों के पास रखें। ध्यान रहे दाईं एड़ी से पेट के निचले बाएं हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए। बायां पैर मोड़ें तथा बाएं पैर को दाईं जांघ के ऊपर रखें। यहां भी र्बाइं एड़ी से पेट के निचले दाएं हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए। हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें। रीढ़ की हड्डी को बिलकुल सीधी रखें। धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़े। कम से कम 10 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
भुजंगासन
पहले पेट के बल सीधा लेट जाएं और दोनों हाथों को माथे के नीचे रखें। दोनों पैरों के पंजों को साथ रखें। अब माथे को सामने की ओर उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार बाजुओं पर पड़े। अब शरीर के ऊपरी हिस्से को बाजुओं के सहारे उठाएं। शरीर को स्ट्रेच करें और लंबी सांस लें। कुछ पल इसी अवस्था में रहने के बाद वापस पेट के बल लेट जाएं।
उत्कटासन
सबसे पहले पंजों के सहारे जमीन पर बैठ जाएं। हाथों को आगे की तरफ फैलाएं और उंगलियों को सीधा रखें। गला एकदम सीधा होना चाहिए। अब आप कुर्सी की पोजीशन में आ चुके हैं। 10 मिनट कतक इस मुद्रा में बने रहें।

रविवार, 29 अप्रैल 2018

आप गलत रास्ते में हैं- डा. अनुजा भट्ट


क्या आपकाे लगता है कि साधु संन्यासी आपकी समस्या का हल निकाल सकते हैं। आत्मिक शांति का रास्ता क्या साधु संताें के जरिए ही पाया जा सकता है। आखिर क्या वजह है कि इनके भक्ताें की संख्या कराेड़ाें में है। महिला भक्ताें का आकड़ा सबसे ज्यादा है। क्या यह संत ईश्वर के पर्याय हैं।
यह जाे उपदेश हर राेज देते हैं क्या उसका अंश भर भी खुद पर अमल करते हैं। उपनिषद, महाभारत, रामायण, वेद, गुरुग्रंथ , संतवाणी का सार संदेश जाे यह अपने भक्ताें काे देते हैं क्या भक्त भी उसे स्वीकार करते हैं। अगर एेसा है ताे इतना भ्रष्टाचार, अन्याय और अनैतिकता का माहाैल क्याें सर्वव्याप्त है। हमारा खुद पर क्याें भराेसा उठ गया है।
महिलाएं जिस शांति की शरण के लिए इन के पास जाती है वह असली जगह नहीं हैं। अपने लिए शांति की तलाश वह खुद कर सकती हैं। अपनी समस्याआें का निदान खुद पा सकती हैं। आपकी समस्याएं हैं। बहुत तरह की समस्याएं हैं। पर सबसे पहले हमें समस्या क्याें हैं इसे जानना हाेगा और फिर उसके निदान के लिए सही रास्ता चुनना पड़ेगा।
ईश्वर हमारी आस्था का नाम है। और यह आस्था हमारे भीतर के विश्वास काे मजबूत करती है और आत्मविश्वास से भर देती है। हमें अपने भातर के ईश्वर से खुद साक्षात्कार करना हाेगा। काेई संत ईश्वर के साथ हमारा समागम नहीं करा सकता। दर असल यह सब एक मकड़जाल है। इस मकड़जाल में नेता से लेकर आमजन तक हर आदमी जकड़ा हुआ है जकड़ता जा रहा है। वह बिना मेहनत के सब कुछ हासिल करने का ख्वाब सजा रहा है। इसलिए कभी काला पर्स मशहूर हाे जाता है ताे कभी कुछ।
अगर आप निःसंतान है ताे डाक्टर की राय ही आपके लिए महत्वपूर्ण है। और अगर आप बेराेजगार है ताे आपकाे देखना हाेगा कि आप क्या कर सकते हैं और कैसे कर सकते हैं। अगर पारिवारिक समस्या है ताे उसे सुलझाना भी परिवार के साथ ही है। और अगर बच्चे नालायक हैं ताे उसे सुधारने की चाबी भी आपके पास ही है।
अपने मन में संकीर्तन कीजिए। अपने मन काे साफ कीजिए। अपने भीतर प्यार, उदारता और ईमानदारी पैदा कीजिए। आपके सारे डर छूमंतर हाे जाएंगे। मजबूत बनिए। आज सबसे ज्यादा तकलीफ में महिलाएं ही हैं। उनके साथ उनकी बच्चियाें के साथ बलात्कार हाे रहा है, हिंसा हाे रही है। हत्या हाे रही है। वह शाेषण का शिकार बनती जा रही है। अखबार का हर पन्ना इसी तरह की खबराें से भरा है। सनसनी खेज अपराध के वीडियाे वायरल हाे रहे हैं। अश्लील सीडी पकड़ी जा रही हैं। पर सच और भी कुछ है।
वह मजबूत भी हाे रही हैं। उनके सपनाें का आकाश साफ हाे रहा है। 4 साल की बच्ची के साथ भी पढ़ाई करके वह आईएएस की परीक्षा में दूसरे नंबर पर आती है। पहलवानी से लेकर तीरंदाजी और हाकी से लेकर क्रिकेट तक में उसने मैडल अपने नाम कर लिए हैं।
पर यह आकड़ा अभी बहुत है। हमें इस आकड़े के ग्राफ काे बढ़ाना है। अखबार के हर पन्ने में जब महिलाआें की सफलता की कहानियां हाेगी तभी सच्ची आजादी हाेगी। इसके लिए बस हमें अपनी समस्या और उसके निदान के सही रास्ते पर नजर रखनी हाेगी। साधु समाज का यह रास्ता आपकाे गलत रास्ते पर ले जा रहा है।

रविवार खास कहानी -खत हमारे प्यार का-अनामिका शर्मा

दोपहर 2 बजे । Ting-tong , ting-tong आ रही हूँ पापा ! पापा आ गये !पापा आ गये !( कृति ने दरवाजा खोलते ही पापा को गले लगा लिया ।)हाँ मेरी बेटी! मम्मी कहाँ है? "मम्मी तो अभी बाहर गई है।"अच्छा, कहा गई है? कब आएँगी? कुछ बताया था? "नही भइया । भाभी ने बस इतना कहा था कि वह आपको मैसेज कर देंगी । अच्छा भइया मेरे ट्यूशन का टाईम हो रहा है, इसलिए मैं जा रही हूँ । बाय । "( दीपा ने बाहर जाते हुए कहा)सुबोध ने मोबाइल देखा । अर्चना का मैसेज था, "मैं बाजार जा रही हूँ । आने में देर हो जाएगी ।खाना गर्म करके समय से खा लेना और कृति को भी खिला देना ।दीपा को तो ट्यूशन जाना है, तुम्हारे आते ही वह निकल जाएगी ।तुम घर पर हो तो सारे काम आराम से निपटा कर ही आउंगी ।बाय ।"सुबोध ने मोबाइल एक तरफ रख दिया ।कपड़े बदल कर खाना गर्म किया कृति को खिलाया और खुद खाने की कोशिश करने लगा । आज अपने आप खाना गर्म करके लेना उसे अजीब लग रहा था ।शादी के बाद इन चार सालों में सुबोध ने कभी खुद खाना लेकर नहीं खाया । खाना ही क्या न कभी एक कप चाय बनाई, न कभी अपने कपड़े तह करके रखे ,न कभी प्रेस करी । बाजार का भी बहुत सा काम अर्चना ही करती आई है । सुबह जब वह नहा कर निकलता है तब उसे अपने कपड़े, बेल्ट, लैपटॉप बैग, मोबाइल, चार्जर, गाड़ी की चाभी , लंच बाक्स सभी तैयार मिलता है ।हर काम अर्चना कर देती है ।उसके कहने से पहले ही उसकी हर जरूरत पूरी हो जाती है ।"पापा! यह होमवर्क करवा दो ना प्लीज, मम्मी तो लेट आएगी फिर मेरे खेलने का वक्त हो जाएगा ।"सुबोध ने कृति को होमवर्क करवाया ।फिर कृति खेलने लगी ।सुबोध ने घड़ी देखी ।ओह, अभी तक 3 ही बजा है ।वक्त तो जैसे थम सा गया है ।अर्चना नहीं है तो जैसे घर खाने को दौड़ रहा है ।सुना सुना सा । वर्ना अर्चना इतना बोलती है कि मुझे कहना पड़ता है, "अब तो चुप हो जा देवी । और वह झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहती है, हाँ, सही है । अब तो आपको मेरा बोलना भी पसंद नहीं है ।और शादी से पहले कितनी बार फोन करते थे, वह भी सिर्फ मेरी आवाज सुनने के लिए ।" सुबोध के होठों पर प्यार भरी मुस्कान फैल गई ।मुस्कुराते हुए अचानक उसकी मुस्कान फीकी पड़ गई, उसे सुबह हुई घटना याद आ गई । सुबोध को देर हो रही थी और उसकी जरुरी फाइल, जो उसने कार की चाबी के साथ रखी थी नही मिल रही थी ।अर्चना नहाने चली गई थी तो कौन मदद करता ।अर्चना जैसे ही नहा कर आई सुबोध उस पर बरस पड़ा , "पता नही क्या जल्दी रहती है नहा कर तैयार होने की? तुम्हे कौन सा ऑफिस जाना है? पहले मेरा सामान तो सही से रख देती ।अब मेरी फाइल और चाबी लाकर दोगी या ऐसे ही घूरती रहोगी? "अर्चना ने सुबोध के बैग में से फाईल जो कि सुबोध ने ही उसे बैग मे रखने को दी थी और टेबल पर रखी चाबी जो कि वहां रखे फूलदान की ओट से छिप रही थी निकाल कर सुबोध को दे दी और चुपचाप अपने कमरे में चली गई ।अब सुबोध को बुरा लग रहा था ।गलती उसकी थी, उसे अहसास तो था लेकिन उसके अंदर का पति नाम का शख्स उसे माफी न मांगने के लिए उकसा रहा था । ऐसा कभी नही हुआ था कि सुबोध हाफ डे पर घर आया हो और अर्चना बाहर चली जाये । वह उससे नाराज थी इसलिए बिना कुछ कहे चली गई थी । वर्ना अर्चना तो बहाने ढूंढती थी कि सुबोध जल्दी घर आये तो उसके साथ थोड़ा वक्त बिता पाये । सुबोध सोचने लगा कि शादी के पहले यह अहम कभी उनके बीच क्यों नही आया? क्या इसलिए क्योंकि नया नया प्यार था । या इसलिए क्योंकि कोई सामाजिक तमगा नही था । या इसलिए क्योंकि वक्त बहुत कम होता था और उस थोड़े से वक्त मे रूठे हुए को मनाना भी होता था और प्यार भी जताना होता था ।लेकिन अब शादी के बाद कभी भी बात कर सकते है, कभी भी गुस्सा दिखा सकते है और मना सकते है ।लेकिन यह कभी भी, कभी आता ही नही और दोनो मे से कोई एक समझौता कर लेता है अपने आप ।न रूठना, न मनाना । न हँसी, न ठिठोली । अब तो पास भी सिर्फ शरीर की जरूरत के लिए ही आते है और बात भी घर की जरूरतो तक ही सीमित रह जाती है ।अब याद नही कब उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर उससे बाते की हो, उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा हो और वह मेरे कंधे पर सिर रख कर सोई हो । प्यार से गले लगाना तो भूल ही गया हूँ ।आज भी याद है मुझे शादी से पहले जब अर्चना किसी बात पर नाराज हो गई थी और मेरा फोन रिसीव नहीं कर रही थी तब उसे मनाने के लिए और उसकी एक झलक पाने के लिए शहर के इस कोने से दूसरे कोने मे बसे उसके घर तक गया था और घर के बाहर खड़े होकर मैसेज किया था, "बात मत कीजिए पर जरा खिड़की से बाहर तो झांकिये " और मुझे वहां देख कर उसका सारा गुस्सा काफूर हो गया था , बच्चों जैसे खुश हो गई थी और वह पूरी रात हमने फोन पर बात करके काटी थी । पर अब,अब मैं करू भी तो क्या? जब भी समय निकालकर उसके साथ बैठने की, उसके साथ समय बिताने की कोशिश करता हूँ उसे कभी कपड़े प्रेस करने होते है, कभी वह थकी हुई होती है,कभी बच्चो का होमवर्क बीच में आ जाता है और तो और कभी मैडम का फेवरिट सीरियल का टाईम होता है जिसे किसी भी वजह से मिस नही किया जा सकता । गोया सीरियल न हुआ बोर्ड एक्जाम हुआ जिसे मिस नहीं किया जा सकता ।तब तो बड़ा गुस्सा आता है मुझसे ज्यादा महत्वपूर्ण उसके लिए टीवी सीरियल हो गये है ।पर अगले ही पल लगता है मै भी तो यही करता आया हूँ उसके साथ ।जब वह वक्त चाहती है मुझे काम होता है । वह काम से छुट्टी लेने को कहती है और मैं अपनी कीमती छुट्टी बिना वजह बर्बाद नहीं करना चाहता । बिना वजह छुट्टी ले ली और कोई एमरजेंसी हो गई फिर छुट्टी न मिली तो? एक मिडिल क्लास आदमी को कितना डर डर के जीना पड़ता है । हर चीज बचा बचा कर रखनी होती है । चाहे वह पैसा हो या छुट्टी । और समय न दे पाने के कारण वह नाराज हो जाती है । कहती है "तुम्हे हर काम के लिए छुट्टी मिल जाती है, मम्मी जी या पापाजी की तबीयत खराब हो तब भी, या बच्चो का कोई भी काम हो तब भी लेकिन जब मैं चाहती हूँ तब नही और मेरी बिमारी पर भी नही मिलती " सही कहती है अर्चना, वह बिमार होती है और मैं उसे दवाई दे कर काम पर आ जाता हू सिर्फ यह कह के कि शाम तक ठीक नही हुआ तो डाक्टर को दिखा आएंगे । और शाम तक वह ठीक भी हो जाती है क्योंकि शायद बिमार उसका शरीर नही दिल होता है जिसे प्यार और अपनेपन की डोज चाहिए होती है, जिसे मिलने की उम्मीद को मैं हर बार रौंद देता हूँ ।और वह बिना कहे सब समझ जाती है ।यह उम्मीद तो पूरी होने से रही ।कितने अकेले हो गये है हम दोनो । साथ होकर भी साथ नही है । पास हो कर भी दिल से दूर हो गये है । सिर्फ चार साल में ही हमारा प्यार दम तोडने लगा है । पता नही उसके मन मे क्या चल रहा होगा अभी? क्या वह मुझसे नाराज है? क्या इतना परेशान हो गई है कि मुझसे दूर रहना चाहती है? क्या उसे अहसास नही कि मै इन्तजार कर रहा हूँ उसका ।अभी तो सिर्फ दो घंटे ही हुए है उसका इंतजार करते हुए, उससे बात किये हुए और मन बेचैन सा होने लगा है , पर उसने तो कितनी राते काटी है मेरे इंतजार में, कितनी बार भूखी सोई है मेरे साथ खाना खाने के इंतजार में । बेइंतहा प्यार करता हूँ अर्चना से ।कही अपने अहम में मैं उसे खो न दूं । मुझे मेरे अहम को एक तरफ रख कर पहल करनी होगी । आज जब वह आएगी मै उसकी नाराज़गी दूर करने की कोशिश करूंगा । और कुछ समय हमारे प्यार के लिए जरूर दूंगा । पर ऐसा क्या करू जिससे वह खुश हो जाए और सारी नाराज़गी भूल जाए ।सुबोध ने अपना लेपटॉप उठाया और ऑनलाइन एक अच्छा सा बुके ऑर्डर कर दिया ।तभी उसे एक आईडिया आया ।वह अपनी टेबल पर रखा रजिस्टर लेने गया तो उसकी नजर पेपर वेट के नीचे रखे पन्ने पर पड़ी जो हवा के झोंके से हिलते हुए अपनी उपस्थिति का अहसास करवा रहा था ।सुबोध ने उसे देखा उसके उपर लिखा था "ख़त हमारे प्यार का " सुबोध हँस पड़ा क्योंकि वह भी अर्चना को ख़त लिखने की सोच रहा था ।सुबोध ने बड़ी उत्सुकता से उस ख़त को खोला और पढ़ने लगा ।प्यारे सुबु चौक गये न यह नाम देखकर । पर यह नाम देखकर अगर तुम्हारे होठों पर मुस्कान आ गई है तो हमारी आधी परेशानी तो खत्म हुई समझो । (सुबोध मुस्कुराने लगा)याद है ना कि यही कह के बुलाया करती थी मैं तुम्हे शादी से पहले । पर शादी के बाद बड़ो के सामने इस नाम से बुला ही नही पाई । और तुम कब सुबु से कृति के पापा बन गये पता ही नही चला।वैसे भी शादी के बाद प्यार के कितने पल बिता पाये है हम साथ? पर अभी शिकायत नही करनी है कुछ कहना है ।पिछले दो महीने से देख रही हू तुम बहुत परेशान से रहते हो । हो सकता है काम का प्रेशर हो या कोई परेशानी? मै बहुत समय से बात करना चाह रही थी पर कभी मेरा तो कभी तुम्हारा ईगो बीच मे आ जाता है ।कभी तुम अजीब बर्ताव करते हो, मुझ पर गुस्सा होते । यहा तक तो ठीक था लेकिन जो आज सुबह हुआ ।तुम कितना भी परेशान हो पर कभी इस तरह से बात नही करते ।इस तरह के शब्दो का इस्तेमाल तो बिल्कुल भी नही करते ।क्या हम ऐसे थे सुबोध? शादी से पहले सभी हमारे प्यार की मिसाल देते थे ।मुझे आज भी याद है जब तुम MBA करने के लिए दूसरे शहर गये थे तब भी कभी दूरी का अहसास नही होने दिया था तुमने ।कभी-कभी गलतफहमिया हो जाती थी लेकिन हम उसे सुलझा कर फिर से एक दूजे के प्यार मे डूब जाते थे ।साथ ही तुम्हे कोई भी कैसी भी परेशानी होती थी तुम मुझे जरूर बताते थे ।पर अब ऐसा क्या हो गया कि हम पास हो कर दूर हो गये । आज बात करने के लिए ख़त का सहारा लेना पड़ रहा है ।तुम्हे कोई परेशानी है, कोई शिकायत है तो कहो मुझसे । चुप रहने से समस्या बढती ही है ।और एक बात और यह जो वक्त है न सुबु लौट कर नही आएगा ।मै नही चाहती की उम्र की सांझ मे हम यह सोचकर पछतावा करे कि एक-दूसरे को वक्त नही दिया । पता है मुझे तुम बहुत बिजी रहते हो । वक्त तो चुराना पड़ता है जैसे शादी से पहले छुप छुपकर मिलने के लिए चुराते थे ।तो तैयार हो जाओ शादी के बाद की इस पहली डेट के लिए ।आज का डिनर हम बाहर ही करेंगे ।बाकी सब मैनेज हो जायेगा तुम्हे एड्रेस मैसेज कर दिया है ।आ जाना टाईम से ।अब वही मुलाकात होगी हमारी । सुबोध ने भीगी आँखो से लेटर को एक तरफ रखा और सोचने लगा एक अहम हम दोनो के बीच कितनी दूरी ले आया ।अगर आज अर्चना पहल नही करती तो कितनी बाते अनकही रह जाती ।सुबोध ने अपने आँसू पोंछे और तैयार होने लगा ।आज उसे बिल्कुल ऐसा महसूस हो रहा था जैसे शादी से पहले डेट पर जाने पर होता था

शनिवार, 28 अप्रैल 2018

पेरेंटिंग स्पेशल-पिकनिक पर जाएं नालेजबुक संग लाएं- डा. अनुजा भट्ट

नम्रता थापा
अक्सर लोग यह सोचते हैं कि घूमना फिरना समय की बर्बादी है बल्कि घूमना बच्चों को सिखाने का सबसे बढ़िया तरीका है। बच्चे को स्कूल की चारदिवारी से निकालें, उन्हें दुनिया को समझने दें और खेल-खेल में नई बातें सीखने दें। उन्हें मौका दें नए लोगों से मिलने का, नई जगह के तौर तरीके और कल्चर को समझने का। इसलिए साल में एक बार उन्हें ऐसी जगह ले कर जरूर जाएं जहां आप पहले कभी न गए ह बच्चों को हाईकिंग, कैम्पिग के लिए ले जाएं उन्हें यह सिखाने के लिए कि हमें प्रकृति और वातावरण से कितना कुछ मिलता है और हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए।  इसके अलावा आप बच्चों को पेड़ पौधों के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं कि कैसे उनसे हमें दवाएं मिलती हैं, सांस लेने के लिए साफ हवा मिलती है। इसके अलावा और भी कई बातें हैं जिनके बारे में आप उन्हें बता सकते हैं।
 बर्फबारी दिखाना -  ऐसा कौन सा बच्चा होगा जोकि बर्फ के गोले बनाकर उसके साथ खेलना नहीं चाहेगा। यह उसके लिए जिंदगी भर याद रखने वाला अनुभव होगा इसलिए बच्चों को एक बार बर्फबारी दिखाने जरूर ले जाएं।
   आजकल विमान से ट्रैवल करना कोई बड़ी बात नहीं हैं लेकिन हाॅट ऐयर बैलून की राइड बच्चों को बहुत आकर्षित करती है।  आप बच्चों को राजस्थान मंे जैसलमेर, जोधपुर या फिर हांपी ले जा सकते हैं जहां पर ऐयर बैलून राइड पूरे वर्ष ही कराई जाती है।
विमान से यात्रा करने से समय की बचत तो होती है लेकिन यदि आप ट्रेन से यात्रा करते हैं तो समय तो तिगुना लगता है लेकिन जो आपको अनुभव मिलता है वह अमूल्य होता है।  आपको देखने मिलती हैं विभिन्न शहरों और गांवों की झलकियां, पहाड़, नदियां अलग अलग स्टेशनों पर गाड़ी का रूकना आदि आदि। जोकि आपके साथ जीवन भर रहते हैं।  यदि हो सके तो भारत की धरोहर टाॅय ट्रेन जोकि दार्जिलिंग और शिमला में चलती है तो उस अनुभव का कोई मुकाबला नहीं है।
  यह बहुत जरूरी है कि बच्चे अपने देश के अंदर मौजूद विभिन्न संस्कृतियों को जानें।  इसके लिए साल में किसी ऐसे राज्य में जहां पर कि उनका वार्षिक या धार्मिक उत्सव या मेला चल रहा हो बच्चों को लेकर जरूर जाएं।  इससे बच्चा अपने कल्चर के अलावा दूसरे लोगों की परंपराओं की पहचान भी करेगा साथ ही आप सब खूब मजा भी करेंगें।
  यदि इतिहास और ऐतिहासिक चीजों की बातें अगर क्लासरूम में बैठकर करें तो यह बच्चों के लिए बोरिंग हो जाता है लेकिन यदि यही बातें हम उन्हें उन ऐतिहासिक जगहों पर ले जाकर करें तो उन्हें वह बहुत ध्यान से सुनते हैं और याद भी रखते हैं। जब आप वहां जाएं तो वहां पर मौजूद गाइड को भी जरूर अपने साथ ले लें ताकि वह उस जगह के ऐतिहासिक महत्व की पूरी जानकारी दे सके।
   बच्चों के अंदर एंडवेंचर करने का शौक पैदा करना हो तो उन्हें ऐसे रोड ट्रिप पर ले जाएं जहां पर आमतौर पर लोग न जाते हों। इससे बच्चों को अपने दोस्तों को नई नई कहानियां सुनाने को मिलेंगी साथ ही कुछ नया करने की खुशी मिलेगी।  इससे आप बच्चे को यह भी सिखा सकते हो कि यदि हम कोई हटकर काम कर रहे हैं तो हमें क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए।
   आपके बच्चे को किस खेल में ज्यादा रूचि है।  यदि आपके शहर या आसपास में उस खेल का कोई राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय मैच आयोजित हो रहा हो तो बच्चे को वह दिखाने के लिए ले जाएं। यदि उसकी रूचि डांस या म्यूजिक में हो तो उन्हें किसी काॅन्सर्ट में ले कर जा सकते हैं। इससे आपका और आपके बच्चे के बीच संबध भी गहरा होगा।
   किसी दिन ऐसा कीजिए कि अपने बिजी शेडयूल में से यूं ही सब छुट्टी ले लें। बच्चों को भी स्कूल से छुट्टी करा दें और कहीं पिकनिक पर जाएं। म्यूजियम जाएं या फिर एमयूसमेंट पार्क। जहां मन करे वहां जाएं और बच्चों के साथ समय बिताएं और एंज्वाय करें।



शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

देशी फैशन के दीवाने युवा- अनुजा भट्ट


फैशन चाहे अपने कितने भी रंग बदले पर कुछ परिधान हमेशा फैशन में बने रहते हैं। रंग और डिजाइन में प्रयोग यहां भी होते हैं। मुझे लगता है समय के हिसाब से यह जरूरी भी है। बदलाव के साथ भारतीय परिधानों ने इस बार भी अपना रंग रूप बदला है। भारतीय गानों तक में इसकी छाप दिखाई दे रही है। लुंगी डांस ने जहां लुंगी को फैशन टेबल पर जगह बनाने में मदद की है वहीं और भी कई तरह डिजाइन पर युवा पर अपनी पैनी नजर रख रहे है। यह युवा फैशन डिजाइनर भी हैं और फैशन के चहेते भी। भारतीय जलवायु को ध्यान में ऱखते हुए वह इस तरह के परिधान चुन रहे हैं जो दशकों से चलन में हैं। साड़ी के अलावा भारत में सबसे ज्यादा पहने जाने वाला परिधान है सलवार कुर्ता। कुर्ते के नए स्टाइल के बारे में मैंने कई बार चर्चा की है। इस बार मैं चर्चा कर रही हूं सलवार को लेकर। जिस तरह कुर्ते के डिजाइन मे कई तरह के विकल्प मौजूद है उसी तरह कमर से नीचे पहन जाने परिधानों में भी विवधता आई है। लुंगी धोती जैसे परिधान अब नए डिजाइन में है। आज के युवा तो इस पर फिदा हैं।
आप जब भी गांव के आसपास से गुजरते हैं तो पुरुषों के ठेठ देशी पहनावे धोती कुर्ते को जरूर देखते होंगे। आजकल यह पहनावा महिलाआं और पुरुषों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है पर इसका अंदाज एकदम अलग और नया है। ब्रांडेड कंपनियां भी यह पेश कर रही हैं।
हैरम पैंट्स- धोती का यह नया अवतार हैरम पेंट के रूप में जाना जाता है। हैरम पेंट कई स्टाइल में है। यह कालेज जाने से लेकर किसी पार्टी तक में पहने जाने के लिए उपयुक्त है। एक तरफ यह आरामदायक है साथ ही फैशनेबल भी। दूसरी बात इसे आप भारतीय और पाश्चात्य किसी भी अंदाज में पहन सकती हैं। प्रिंटेड या प्लेन जैकेट या क्रॉप टॉप के साथ ये आपको बेहद स्टाइलिश लुक देता है, आप चाहें तो अपनी पसंद के अनुसार इसे और भी कई तरह से पहन सकती हैं।
इसके कई हैं नाम
हैरम पैंट्स को काउल पैंट्स भी कहते हैं और कई बार धोती पैंट्स भी। हैरम पेंट्स सीधे शब्दों में कहें तो भारतीय इंडियन सलवार का बदला हुआ रूप है जे कई तरह के कपड़ों पर तैयार किया जा सकता है। आपके शरीर के हिसाब से जो आप पर जचें वह खरीदा जा सकता है।
हिप्पी फैशन - स्ट्रेप वाले क्रॉप टॉप और फ्रिंज़ बैग के साथ यह स्टाइल आपको फैशनेबुल दिखाता है। आप चाहें तो हेडबैंड लगाकर इसे और आकर्षक बना सकती हैं। जीबांग, जोवी, ड्रेस बेरी, बीबा, मायसा क्रिएशन, बोहेमियम ब्लू जैसे ब्रांड में इस तरह के कई विकल्प मिल जाएंगे। कीमत 1000 रूपये के आसपास से शुरू है।
पार्टी लुक - हैरम पैंट्स को क्रॉप टीशर्ट या स्ट्रैप वाले खुले हुए मिडरीफ क्रॉप टॉप के साथ मैच करें. इसके साथ हील्स पहनें। आप कालेज जा रही हों या पार्टी में हर जगह के लिए आप तैयार हैं।
फॉर्मल लुक – आप ये हैरम या काउल पैंट्स किसी फॉर्मल काले रंग वाली शर्ट या कुर्ते के साथ भी पहन सकती हैं. ऊपर सफेद शर्ट के साथ नीचे पेंट में कोई भी रंग चलेगा। फैशन पर हमेशा नजर टिकाने वालों को अपने संग्रह में एक सफेद शर्ट जरूर रखनी चाहिए। यह आपको उच्चकोटि के फैशन परस्तों में शामिल करता है। अगर आप साधारण शैली अपनाना चाहते हैं तो प्रिंटेड टॉप के साथ नेकलेस जरूर पहनें।
बदले हैं देशी सलवार के भी तेवर
प्लेटेड सलवार
प्रयेग की गुंजाइश यहां भी है । प्लेन कट वाली सलवार में प्लेट डलवाकर इसे एक नए अंदाज में बनाया जा सकता है। प्लेट को आप साइड में या सामने की तरफ बनवाएं। जिससे यह थोड़ी खुली नज़र आएगी। इस तरह की सलवार आप किसी भी रंग और कपड़े पर बनवा सकती हैं या रेडीमेड भी खरीद सकती हैं। हील की जगह चप्पलें व मोजड़ी पहनें। ऐसा करने से आपका पहनावा और भी ज्यादा सुंदर लगेगा।।
सेमी पटियाला
सेमी पटियाला सलवार में फुल पटियाला सलवार की तुलना में कम घेर और पटलिया भी कम होती हैं। यदि आपकी लंबाई औसत है, तो आपके लिए सेमी पटियाला ज्यादा मुफीद रहेगी। आकर्षक दिखने के लिए सलवार के साथ बिना बाजूवाली कुर्ती पहनें।
धोती सलवार
आजकल धोती सलवार काफी पसंद की जा रही हैं। यदि आप चाहे तो धोती सलवार डिजाइन को प्लेन या प्रिंटेड दोनों विकल्पों में से कुछ भी चुन सकती हैं। अगर प्लेन बनवाई है, तो उसके साथ प्रिंटेड या एंब्रॉयडरी कुर्ती डिजाइन करवाएं। इससे आपकी धोती सलवार का लुक उभर कर आएगा। वहीं, प्रिंटेड धोती सलवार के साथ प्लेन कुर्ती बनवाएं।
अफगानी सलवार
यह सलवार ऊपर व नीचे से चुस्त और बीच में से ढीली होती है।यह आपको हैरम पैंट्स जैसा लुक भी देती है इसमें पोंचों की जगह पर पतले इलास्टिक का प्रयोग किया जाता है। बाकी के स्टाइल में यह एक तरह से हैरम सलवार ही होती है।सलवार के साथ आप पैरों में मोटी पाजेब और फंकी ज्वेलरी भी पहन सकती हैं।
शरारा सलवार
शरारा सलवार की खासियत है हलके कपड़े और ढीलाढाला स्टाइल। हलके कपड़े से बनी शरारा सलवार कमर से एड़ी तक खूब घेरेदार होती है और लंबाई के अंत तक घेर बना रहता है। फुल लेंथ वाले शरारा सलवार आप कैजुअल व फॉमर्ल वियर में पहन सकती हैं।अगर वेस्टर्न या इंडोवेस्टर्न लुक चाहती हैं, तो इस सलवार के साथ टी-शर्ट पहन सकती हैं। वहीं टी-शर्ट पर श्रग जैकेट खूब अच्छी लगेगी।
पटियाला सलवार
इस गर्मी के मौसम में पटियाला सलवार सबसे ज्यादा पहनी जाती है। इसके साथ कई प्रयोग भी किए जा सकते हैं, जैसे- वेस्टर्न स्टाइल के साथ इसे पहना जा सकता है, सलवार के साथ कम लंबाई वाली कुर्ती पहनें। हाई नेक या कॉलर नेक की कुर्ती भी जचेगी। बहुरंगी पटियाला सलवार के साथ एक रंग की कुर्ती या टॉप के साथ सूती दुप्पटा पहनें।
कहने का अर्थ यह है कि फैशन में भी वही चीजें ज्यादा समय तक टिकी रहती हैं जो आराम दायक होती है और जिसे पहनना भी आसान होता है। इसलिए सलवार कुर्ता हमेशा से फैशन में है। हां यह जरूर है कि इसने अपने साथ और भी कई विकल्पों के लिए गुंजाइश बना दी है। अब आप इसे परंपरागत भारतीय पहनाव नहीं कह सकते।

गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

मेरी फिटनेस के राज- बिपाशा बसु

 स्वास्थ्यवर्धक खाना और व्यायाम जिंदगी को खूबसूरत बनाने का मूलमंत्र है। यही वह रहस्य है जिससे जिंदगी को खूबसूरत बनाया जा सकता है। मैं  खूब पानी पीती हूं। घर पर तैयार की गई रेसिपी ही मेरी चमकती त्वचा का राज है। जो लुक मुझे सबसे ज्यादा पसंद है वह है सेक्सी स्मोकी आंखें और बिना लिपिस्टक लगे होंठ।  अरे हां मेरे बाल मेरी सुंदरता के सबसे बड़े राजदार हैं। और इसके लिए मैं हमेशा अच्छे कंडीशनर का प्रयोग करती हूं।  ताकि मेरे बॉल सुंदर और स्वस्थ रह सकें। मैं हमेशा आइल  मसाज  करवाती हूं ताकि मेरे बाल चमकदार बने रहें। मेरे बाल  प्राकृतिक रूप से काले और घने हैं फिर भी मैं कलर का प्रयोग करती हूं। कलर से मैं अपने बालों का हायलाइट करती हूं।
 मेरी चाहत है कि मैं हमेशा सुंदर दिखूं, मेरी त्वचा चमकती रहे इसके लिए मैं हमेशा क्लीजिंग, टोनिंग और माश्चराइजिंग पर यकीन करती हूं। सोने से पहले मैं इनका प्रयोग करती हूं। मैं बिना सनस्क्रीन लगाए घर से बाहर नहीं निकलती। हैवी मेकअप  करने से मैं हमेशा बचती हूं। जहां तक बात आंखों की है मैं आइलाइनर हमेशा लगाती हूं। मुझको  एम.ए.सी के प्रोडक्ट पसंद हैं। लिक्वड आई लाइनर, लिपग्लास मेरी पहली पसंद हैं खासकर उसके कोरल और पिंक शेड्स।
जैसा कि मैंने पहले कहा स्वास्थयवर्धक खाना और व्यायाम जिंदगी को खूबसूरत बनाने का मूलमंत्र है। इसीलिए मैं हर चीज खाती हूं सिवाय रेडमीट और चावल के। हरी सब्जियां, चिकन, दाल रोटी मेरा नियमित आहार है। चमकदार त्वचा के लिए मैं नट्स, सीड्स, स्प्राउट, योगर्ट  और फ्रूट्स  लेती हूं। फिश और नट्स में ओमेगा 3 फेटी एसिड होता है जिससे त्वचा चमकदार बनी रहती है।
 अपराजिता से पाठकों के लिए मेरा यही संदेश है सबसे पहले आपकी फिटनेस  जरूरी है।

बुधवार, 25 अप्रैल 2018

कहानी- करीम/ साबिर हुसैन

सुनील चला जा रहा था। तभी उसकी दृष्टि होटल पर काम कर रहे एक लडक़े पर पड़ी। वह ठिठककर रुक गया। पहले तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि होटल में काम कर रहा लडक़ा उसके स्कूल में पढऩेवाला करीम है, लेकिन जब उसने ध्यान से उसे देखा तो विश्वास करना ही पड़ा। करीम को वह कभी भूल नहीं सकता। पिछले साल वह सडक़ किनारे लगे जामुन के पेड़ पर चढक़र जामुन तोड़ रहा था। तभी वह पेड़ से गिर पड़ा था। उसके सभी दोस्त उसे घायल देखकर डरकर भाग गए थे। तब करीम ने भी उसे रिक्शे से अस्पताल पहुंचाया था। करीम भी लडक़ों के साथ जामुन खाने के लालच में आ गया था। तब उसने उसे डांट दिया था कि वह उसका गिराया एक भी जामुन न छुए। क्योंकि करीम न उसका दोस्त है और न सहपाठी है। करीम कक्षा 6 में पढ़ता था और वह कक्षा 8 में। वह एक अधिकारी का पुत्र था। और करीम एक सब्जीवाले का लेकिन जब करीम ने उसे अस्पताल पहुंचाया था तो उसका गर्व समाप्त हो गया था। यदि करीम उसे अस्पताल न पहुंचाता तो अधिक खून निकलने के कारण उसकी मृत्यु भी हो सकती थी। करीम ने ही उसकी मम्मी को उसके घायल होने की सूचना दी थी। ठीक होने के बाद उसने करीम को अपने घर ले जाना चाहा था, लेकिन हर बार करीम कोई न कोई बहाना बनाकर टाल जाता। तभी करीम के दोस्त ने बताया कि करीम की मां नहीं है। घर के छोट-मोटेकाम करीम स्वयं करता है और खाना उसके अब्बू बनाते हैं। करीम पढऩे में तेज था और उसके अब्बू की दुकान पर बिक्री भी ठीक होती थी, फिर वह होटल में नौकरी क्यों कर रहा है-यह बात उसकी समझ में नहीं आ रही थी। इधर काफी दिनों से करीम स्कूल में भी नहीं दिखाई दे रहा था। शायद वह स्कूल जा ही नहीं रहा था। सुनील की उत्सुकता बढ़ती गई और वह होटल में जाकर एक सीट पर बैठ गया। उसके बैठते ही करीम ने पानी का गिलास लाकर मेज पर रख दिया। क्या लाऊं साब? करीम ने पूछा। फिर उसे देखकर टिठक गया। करीम तुम होटल में कब से नौकरी करने लगे? सुनील ने पूछी। अभी कुछ ही दिनों से। करीम धीरे से बोला। क्यों? सुनील ने फिर पूछा? ऐसे ही, आपके लिए क्या लाऊं? करीम ने नीचे देखते हुए धीरे से पूछा। तुम्हारे अब्बू ने क्या तुमको घर से . मेरे अब्बू तो मर गए। सुनील की बात काटते हुए करीम बोला। क्या बीमार थे? नहीं पिछले दिनों जो दंगा हुआ था उसी में मेरे अब्बू को मार डाला गया और दुकान भी जला दी गई। कहते हुए करीम रो पड़ा। ओह, सुनील ने गहरी सास ली। किराया बाकी था, इसीलिए मकान-मालिक ने घर निकाल दिया और सब सामान रख लिया। सुबकते हुए करीम बोला। तुम्हारा कोई और नहीं है जो तुम यहां नौकरी कर रहे हो? सुनील ने पूछा। मामू हैं, उन्होंने ही मेरी यहां नौकरी लगवा दी। करीम ने बताया। अबे, करीमा यहां खड़ा क्या कर रहा है। होटल मालिक चिल्लाया। करीम तेजी से वहां से चल दिया। सुनील ने एक क्षण सोता और उठकर करीम का हाथ पकड़ते हुए बोला, अब तुम यहां नौकरी नहीं करोगे। फिर क्या करूंगा, करीम ने आश्चर्य से पूछा? तुम मेरे साथ रहना और पढऩा। सुनील बोला।नहीं मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगा । तुम हिंदू हो मुझे मार डालोगे। करीम भयभीत स्वर में बोला। हिंदू मुस्लमान क्या होता है। तुम भी इनसान, मैं भी इनसान। मैं तुमसे बड़ा हूं इसीलिए तुम्हारा बड़ा भाई हूं। एक भाई क्या दूसरे की हत्या करेगा? सुनील ने समझाते हुए पूछा। मेरे अब्बू ने क्या किया था? वह तो किसी से झगड़ा भी नहीं करते थे। फिर उन्हें क्यों मार डाला गया? करीम बोला। हत्यारे सिर्फ हत्यारे होते हैं। वे न हिंदू होते हैं न मुस्लमान। सुनील ने कहा। करीम तू वहां क्यों खड़ा है होटल मालिक फिर चिल्लाया। करीम अब तुम्हारे होटल में नौकरी नहीं करेगा। सुनील करीम के साथ होटल मालिक के पास जाकर बोला। नौकरी नहीं करेगा तो क्या करेगा? इसका बाप कौन सी जायदाद छोड़ गया है, जिसे बेचकर खाएगा। होटल मालिक बोला। यह मेरा छोटा भाई है, मेरे साथ रहकर पढ़ेगा। सुनील बोला। मुझे नौकरों की कमी नहीं है। यह जाना चाहे तो ले जाओ। होटल मालिक बोला। दंगे- फसाद होते रहेंगे तो नौकरों की कमी नहीं रहेगी। होटल से बाहर निकलते हुए सुनील बोला। तुम्हारे मम्मी-पापा वे बहुत खुश होंगे। करीम की बात काटते हुए सुनील बोला। घर पहुंचकर सुनील ने अपनी मम्मी को बता दिया कि यही करीम है जिसने उसकी जान बचाई थी और यह भी बता दिया कि करीम के अब्बू की मौत हो गई है। यह होटल पर काम कर रहा था। अब यह हमारे साथ रहेगा। तुम बहुत समझदार हो बेटे। तुमने अपने छोटे भाई की जिंदगी को बरबाद होने से बचा लिया। कहते हुए मम्मी ने करीन को सीने से लगा लिया। करीम ने महसूस किया मां सिर्फ सिर्फ मां होता है। वह उनसे लिपटकर रो पड़ा।

सोमवार, 23 अप्रैल 2018

याेग से दूर हाेता है माइग्रेन- डा. दीपिका शर्मा

सिर में हो रहे लगातार दर्द को माइग्रेन कहा जाता है। हाथ-पैर में झुनझुनी, उल्टी और रोशनी तथा आवाज से सेंसिटीविटी का बढ़ना जैसे लक्षण माइग्रेन के लक्षण होते हैं। दुनिया भर में माइग्रेन से पीड़ित लोगों की काफी बड़ी तादाद है। लोग इसके लिए तमाम तरह के चिकित्सकीय उपचार अपनाते हैं। लेकिन आज हम आपको योग के कुछ उन आसनों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको नियमित रूप से करने से माइग्रेन की समस्या को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है।
शषांकासन
इसे करने के लिए सबसे पहले बैठकर दोनों एड़ीं पंजे आपस में मिला लें। अब हथेलियों को दाईं ओर रखें और पंजो को तान लें। घुटनों को टांगों से मोड़ते हुए वज्रासन की स्थिति में आ जाएं। अब दोनों घुटनों को दोनों ओर फैला दें तथा दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों के मध्य जमीन पर टिका दें। सांस बाहर करते हुए कमर के निचले हिस्से से धीरे-धीरे झुकते जाएं ऐसा करते हुए हथेलियों को आगे खिसकाते रहें। अपनी ठोड़ी को धरती से लगा लें। फिर उल्टी क्रिया करते हुए धीरे-धीरे पूर्वावस्था आ जाएं।

हलासन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले लेटकर दोनों एड़ी पंजो को आपस में मिला लें। अब दोनों टांगों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सांस बाहर निकालते हुए सर की तरफ लेकर आएं। अब पंजों को जमीन से टिका दें। अंत में धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में लौट आएं।

विपरीत करणी मुद्रा आसन
सबसे पहले लेटकर एड़ी और पंजों को आपस में मिला लें। दोनों हथेलियों को धरती की ओर रखें। पंजों को टाइट कर दोनों पांवों को धीरे धीरे ऊपर उठाना शुरू कर दें। दोनों हथेलियों को नितंबों पर लगाकर उन्हें भी ऊपर की ओर उठाएं। कंधों से जंघा तक 45 डिग्री का कोण बनाएं। पंजों को तान दें और सांस को सामान्य कर लें। फिर धीरे धीरे पूर्वावस्था में लौट आएं और पंजो को धीरे से जमीन पर टिका दें।

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डा. दीपिका शर्मा अपाेलाे  फेमिली क्लीनिक नौएडा, उत्तरप्रदेश, सेक्टर 110 में  फेमिली फिजिशियन हैं।
 सेहत से जुड़े सवाल आप हमारे मैं अपराजिता के फेसबुक पेज में कर सकते हैं। अपनी सेहत संबंधी समस्या के लिए आप हमें मेल भी कर सकते हैं-
mainaparajita@gmail.com

रविवार, 22 अप्रैल 2018

गणेश जी की पाठशाला-रेनु दत्त

भगवान गणेश का जन्म भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसलिए हर साल भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव मनाया जाता है। गणेश को वेदों में ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव के समान आदि देव के रूप में वर्णित किया गया है। इनकी पूजा त्रिदेव भी करते हैं। भगवान श्री गणेश सभी देवों में प्रथम पूज्य हैं। शिव के गणों के अध्यक्ष होने के कारण इन्हें गणेश और गणाध्यक्ष भी कहा जाता है। जैसा कि हम देखते हैं कि भगवान गणेश की एक विशेष तरह की आकृति है जिसमें उनका मस्तक हाथी का है। इन सबके प्रतीकात्मक अर्थ भी है।
बड़ा मस्तक
 गणेश जी का मस्तक काफी बड़ा है। माना जाता है कि बड़े सिर वाले व्यक्ति की नेतृत्व कला अद्भुत होती है, इनकी बुद्घि कुशाग्र होती है। गणेश जी का बड़ा सिर यह भी ज्ञान देता है कि अपनी सोच को बड़ा बनाए रखना चाहिए आंखें गणपति की आंखें यह ज्ञान देती है कि हर चीज को सूक्ष्मता से देख-परख कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं खाता
सूप जैसे लंबे कान
 गणेश जी के कान सूप जैसे बड़े हैं इसलिए वह सबकी सुनते हैं फिर अपनी बुद्धि और विवेक से निर्णय लेते हैं। बड़े कान हमेशा चौकन्ना रहने के भी संकेत देते हैं। गणेश जी के सूप जैसे कान से यह शिक्षा मिलती है कि जैसे सूप बुरी चीजों को छांटकर अलग कर देता है उसी तरह जो भी बुरी बातें आपके कान तक पहुंचती हैं उसे बाहर ही छोड़ दें। बुरीबातों को अपने अंदर न आने दें।
गणपति की सूंड
गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है जो उनके हर पल सक्रिय रहने का संकेत है। यह हमें ज्ञान देती है कि जीवन में सदैव सक्रिय रहना चाहिए। शास्त्रों में गणेश जी की सूंड की दिशा का भी अलग-अलग महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सुख-समृद्वि चाहते हो उन्हें दायीं ओर सूंड वाले गणेश की पूजा करनी चाहिए। शत्रु को परास्त करने एवं ऐश्वर्य पाने के लिए बायीं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश की पूजा लाभप्रद होती है। बड़ा उदर गणेश जी को लंबोदर भी कहा जाता है। लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी और बुरी बात को पचा जाते हैं और किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं। जो व्यक्ति ऐसा कर लेता है वह हमेशा ही खुशहाल रहता है।
एकदंत
 बाल्यकाल में भगवान गणेश का परशुराम जी से युद्घ हुआ था। इस युद्घमें परशुराम ने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत काट दिया। इस समय से ही गणेश जी एकदंत कहलाने लगे। गणेश जी ने अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बना लिया और इससे पूरा महाभारत ग्रंथ लिख डाला। यह गणेश जी की बुद्घिमत्ता का परिचय है। गणेश जी अपने टूटे हुए दांत से यह सीख देते हैं कि चीजों का सदुपयोग किस प्रकार से किया जाना चाहिए। अगले रविवार पढ़िए भगवान गणेश क्याें खाते हैं माेदक----

एडजेस्टमेंट या दबाव- दर्शना बांठिया

समीरा और नैंना दोनों खास दोस्त है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि दोस्त नहीं सगी बहनें है।नैंना की माँ दोनों में कोई फर्क नहीं करती..समीरा का भी उतना ही ख्याल रखती है ,जितना नैंना का ,क्योंकि समीरा की माँ के पास अपनी बेटी के साथ बैठने ,खेलने व उसकी बातों को सुनने का समय ही नहीं होता।समीरा की माँ मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर है। अपना करियर बनाने की इतनी धुन सवार थी ,कि किसी के साथ कोई संयोजन नहीं करना ,अपने काम से ही मतलब रखना ...., परिणामतः संयुक्त परिवार से ही अलग होना पडा़।संयुक्त परिवार को छोड़ अपने पति व बेटी समीरा के साथ मुंबई चली आई।वहीं पडो़स में नैंना से मुलाकात हुई,और धीरे -धीरे दोनों पक्की सहेलियाँ बन गई।

"समीरा ,तुम और नैंना शादी के लंहगे की मैचिंग चुडियाँ आज ही ले आओ,कल से नैंना बाहर नहीं जा सकेगी"...नैंना की माँ ने कहा।

क्यों आँटी ...समीरा बोली।

'अरे परसों मेंहदी और अगले दिन शादी,अभी भी बाजारों में घूमेगी तो लोग क्या कहेगें? अरे आँटी आप भी लोगों की बातों को सुनकर कुछ भी कहते हो ...समीरा बोली।

समीरा ,माँ सही कह रही है.अभी मेरी सासू माँ भी यही बोल रहे थे कि ,'बेटा अब ज्यादा बाहर न निकलना ,हमारे यहाँ तो शादी के एक हफ्ते पहले से ही लड़कियों का बाहर निकलना बंद हो जाता था'।"क्या तू भी अपनी सास की बातों को सीरियसली लेती है."..चल अब समीरा, नैंना का हाथ पकडकर बोली।

नैंना की शादी खूब धूम-धाम से हुई ,विदाई के समय नैंना की माँ खूब रोई,समीरा ने आँटी को सँभाला और बोली ;'अरे आँटी 2 सोसायटी छोडकर ही तो नैंना का ससुराल है ,जब जी चाहे चले जाना'।समीरा नैंना के ससुराल हर दूसरे -तीसरे दिन पहुँच जाती,और घंटो बतियाती।

नैंना की सास बहुत सरल थी,वो समय के साथ परिवर्तन करना जानती थी।

नैंना -'आज शोपिंग करने चलेंगे .. रोहित के साथ कोई प्लान मत बनाना '..समीरा ने रविवार सुबह ही फोन पर कहा।

ठीक है..वैसे भी आज मम्मी ने रोहित को खाने पर बुलाया है ,सिमू तू भी आ जाना,वही से शोपिंग करने चलेंगे'-नैंना ने कहा। ठीक है... पर जल्दी आना, समीरा बोली।

नैंना तैयार होकर रोहित को आवाज लगाती है,रोहित कितनी देर फोन पर बात करोगें,चलो ना....। आ रहा हूँ.1 मिनट.'सॉरी यार..आज मेरा खास दोस्त कुनाल आया है ,अमेरिका से ..और कल सुबह की फ्लाइट से वापस जा रहा है,तो वो अभी आ रहा है लंच पर ,प्लीज आज मम्मी के यहाँ नहीं चल पाएगें'।नैंना को बहुत बुरा लगा.. ।मम्मी व सिमू मेरा इंतजार कर रही होगी,उन्हें मना तो कर दूँ।। 'सिमू, आज नहीं हो पाएगा...सॉरी यार ' -नैंना ने उदासी से कहा। ''क्या है यार, इतनी मुश्किल से तो प्लान बनाया था ,सारा चौपट कर दिया.....'यार रोहित का दोस्त आ रहा है ,क्या करुँ'?नैंना बुझे मन से बोली। 'तो तू क्यों समझौता कर रही है ,बोल दे तुझे भी जाना है,समीरा ने गुस्से में कहा ।'छोड़ न यार कल मिलते है.'... अभी लंच भी बनाना है,चल बॉय ,नैंना ने फोन रखा और खाने की तैयारी में लग गई।

अगले दिन नैंना एक फूलों का गुलदस्ता और गिफ्ट लेकर समीरा से मिलने गई।

"हैप्पी बर्थ डे,सिमू".....नैंना ने उसे प्यार से गले लगा लिया।

'आ गई ,मैडम....मिल गई फुर्सत...थैंक्यू 'समीरा बोली।

"अरे यार आज तो पूरा दिन तेरे ही साथ हूँ..बता कहाँ चले ..मूवी, मॉल या केफे..सुन एक अच्छी हॉलीवुड मूवी लगी है ,चल वहीं चलते है....तेरी फेवरेट"..... नैंना उत्साह से बोली । ठीक है...मैडम अब आप कह रही है तो चलते है,समीरा की क्या मजाल जो मना करें,और दोनों खिलखिलाकर हँस पडी।

समीरा टिकट बुक हो गई ,तू तैयार हो जा 11 बजे का शो है ,नैंना ने कहा। आ रही हूँ दस मिनट... ...तभी नैंना का फोन बजा, 'बहू तुम अभी आ सकती हो ,मेरे क्लब की कुछ सहेलियाँ आई है ,तुम से मिलने..थोड़ी देर उनसे मिलकर दुबारा पीहर चली जाना..,अगर नहीं आ सकती तो कोई बात नहीं,फिर कभी मिल लेना 'नैंना की सास ने कहा।

नहीं-नहीं ऐसा कुछ नहीं है ,मैं आती हूँ कुछ देर में,नैंना ने कहा।

चल यार...मैं तैयार हूँ...समीरा बोली। "सॉरी सिमू....अभी मम्मी जी का फोन आया ,और बताया कि उनकी कुछ सहेलियाँ आ रही है ,मुझसे मिलने ..मैं मना नहीं कर पाई ",नैंना ने उदासी से कहा।

" नैंना तू हर समय किसी के दबाव में.क्यों आ जाती है,तेरी खुद की भी तो लाइफ है....हर जगह मत झुका कर..पागल..."।समीरा ने आवेश में कहा।

"इसमें झुकना क्या ? दबाव क्या ?मुझ पर उन्होंने कोई दबाव नहीं बनाया ,मैंने अपनी इच्छा से हाँ कहा है ,और थोड़ा बहुत एडजेस्टमेंट करना ही पड़ता है,उसमें क्या" ?नैंना ने कहा।

'अरे...,वो ही तो दबाव है,जब अपने मन का ही कुछ न कर पाएँ और उनके अनुसार चलें..वो जबरदस्ती अपनी बात मनवाएँ,ये सब दबाव नहीं है, तो क्या है..? तू बोल देती,मुवी की टिकट बुक हो गई है .अभी कैसे आऊँ.,समीरा झल्लाकर बोली।

सिमू ."एडजेस्टमेंट और दबाव में बहुत फर्क है,एडजेस्टमेंट सभी की खुशियों का ध्यान रखते हुए ,आपसी सहमति से काम करने को कहते है,जिस में सभी की खुशी शामिल हो,और दबाव जबरन काम करवाने को।"मुझ पर किसी ने कोई दबाव नहीं बनाया ,अभी नई-नई शादी हुई है मेरी, उनकी सहेलियाँ मिलना चाह रही है मुझसे और क्या....तू फालतू ही परेशान हो रही है...तेरी शादी होगी न तब पता चलेगा...चल अब मूड ठीक कर ,और मूवी का क्या ..3बजे का शो है ना वो चलते है ..फिर डिनर साथ में ही करेंगे..ठीक है..,नैंना ने उसके गाल सहलाते हुए कहा।

वास्तव में आजकल लोगों की सोच यहीं है कि हम क्यों समझौता करे,उन लोगों ने एडजेस्टमेंट और समझौता दोनों को समानार्थी शब्द बना दिया।

मेरा मानना है कि हम हवाओं को तो नहीं बदल सकतें,मगर कश्ती की दिशा को तो एडजेस्ट कर ही सकतें है।

आप अपनी राय जरुर दीजिए।

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018

फैशन में प्रिंट के नए अंदाज-अनुजा भट्ट

मौसम के हिसाब से इन दिनों फैशन में जो कार्ड खेला जा रहा है वह है प्रिंट कार्ड। प्रिंट अपने नयानाभिराम रंगों और डिजाइन में सभी को लुभा रहा है। फिर चाहे वह परंपरागत परिधान हो जूते चप्पल बैग या फिर टाई। हमेशा की तरह एक तरफ रंगबिरंगे फूल हैं तो विदेशी प्रिंट पर भी फैशन प्रेमियों की नजर है। डिजाइनर कहते हैं कि फैशन में प्रिंट का प्रयोग न करना ठीक वैसे ही है जैसे केक में चीनी का इस्तेमाल न करना। यानी बिना प्रिंट के फैशन फीका फीका लगेगा। जैसे बिना चीनी का केक पसंद नहीं किया जाता ठीक वैसे ही ड्रेस के साथ भी है। इसलिए दुनियाभर के डिजाइनर अपने फैशन सेगमेंट में प्रिंट पर विशेष ध्यान देते हैं।
फैशन में इन दिनों देखो पसंद करो और अपने मन मुताबिक डिजाइन करवा कर पहनने का चलन है। डिजाइन तक आम आदमी की पहुंच बन गई है। महानगर से लेकर गली मोहल्ले तक में डिजाइनर हैं। जो आपसी पसंद से डिजाइन बना रहे हैं। आपके हाथ में आपकी पसंद की चीज है। फैशन में इन दिनों आपको 80 के दशक की याद दिलाते प्रिंट नजर आएंगे। फैशन को समझने के लिए 80 के दशक की फिल्में देखिए।
प्रिंट में लंबी लंबी लाइन के साथ और भी तरह के ज्यामितिक डिजाइन देखने को मिल रहे हैं। इस तरह के डिजाइन में बिंदुओं का भी प्रयोग कई तरह से किया जाता है। इन बिंदुआें की सहायता से कई तरह के डिजाइन बनाए जा सकते हैं। अफ्रीकन प्रिंट में इस तरह के कई प्रयोग होते हैं। जहां ज्यामतिक डिजाइन बनाने के लिए बिंदुओं का प्रयोग होता है।
स्ट्रिप्स का मतलब है कि निश्चित प्रकार की संख्या में एक दम बराबर बराबर के स्पेस में प्रिंट होना। बहुत सारे रंगों और आकृतियों में डिजाइनर अपने तरीके से बदलाव लाते हैं। और जब बात फूलों की हो तो हर किसी के फूल आकर्षित करते हैं लेकिन फूल के साथ साथ पिट्टियां और नारे (स्लोगन का प्रयोग) करते हैं। यह स्लोगन कई तरह के संदेश देते हैं। आजकल फेमिली स्लोगन और एक ही रंग वाले परिधान का मौसम है जिसे लोग उत्सव के मौके पर पहनते हैं। मदर्स डे फादर्स डे के मौके पर आपने ऐसी टीशर्ट जरूर देखी होगी।
2017 के फैशन संग्रह में यह बात स्पष्ट है कि लंबी धारियां या चैक का प्रिंट अंतरराष्टीय स्तर पर छाया रहा। गहरे रंगें में काला और धूसिया रंगों की जगह शरबती और इंद्रधनुषी रंगें ने ले ली। इन रंगों में सजे प्रिंट आपको सब जगह दिखाई देंगे चाहे आप माल में शापिंग कर रहे हो या फिर समुद्रे के किनारे घूम रहे हो। गर्मियों की धूप से बचने के लिए किसी रिजार्ट में ही क्यूं ना बैठे हो । इंद्रधनुषी रंगों में भी पटिट्यां अपना रंग जमाती हैं। यहां तक कि बुनाई किए गए कपड़ें में भी पट्टियों का प्रयोग किया जा रहा है। बुनाई किया हुआ यह कपड़ा मैक्सी ड्रेस में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। लंबी लहरदार स्कर्ट या घाघरे में भी यह प्रिंट दिखाई दे रहा है।
फैशन में इन दिनों पजामा पार्टी की डिमांड ज्यादा है। पैजामे का स्टाइल वही पुराना है पर अब यह अलग अलग तरीके के प्रिंट में दिखाई दे रहा है। पहनने में यह आरामदायक है इसलिए यह फैशन में शामिल हे गया है किशोरों सो लेकर युवा हर कोई इसे पहन रहा है। पैजामे को आप छोटा या बड़ा अपनी सुविधानुसार पहन सकते हैं। थीम के साथ ही साथ डिजाइनर की नजर टीवी पर दिखाए जा रहे कार्टून करेक्टर पर भी है वहां वह किसी खास प्रिंट को फालो कर रहे हैं। प्रिंटेड डिजाइन के इस फैशन के लिए गिंगहेम पैटर्न शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ है छींटदार सूती कपड़ा या रंगीन सूत का बुना हुआ धारीदार कपड़ा। यह बैगनी लाल और नारंगी रंग में ज्यादा डिजाइन किया जा रहा है। पाप क्लचर का प्रभाव फैशन पर दिखाई दे रहा है।
बदलते फैशन का असर आजकल पार्टियों में भी दिखाई देने लगा है। इसी चलन में आजकल पार्टियों या अन्य समारोहों में पहनी जाने वाली ड्रेसेज के लिए एनिमल प्रिंट यानी चितकबरे से मिलते हुए कलर एवं डिजाइन विशेषतौर पर पसंद किए जा रहे हैं। केवल ड्रेसेस में ही एनिमल प्रिंट का क्रेज हो ऐसा नही ंफैशन डिजाइनरों के अनुसार एनिमल प्रिंट में जिन रंगों का उपयोग किया जाता है, उसमें धारियाँ व धब्बे तो ब्लैक या ब्राउन रंग के ही होते हैं। हाँ, बेसिक रंग अलग-अलग रुचि के अनुसार हो सकते हैं। सफेद, पीला इस तरह के प्रिंट ग्लैमरस, स्टाइलिश और दिलकश नजर आते हैं। यंगस्टर्स में सबसे ज्यादा लोकप्रिय बाघ और चीता प्रिंट है। आजकल कॉटन, मटका सिल्क, शिफॉन, कोसा और अन्य सिंथेटिक क्लॉथ पर ।. डजाइनर्स का कहना है कि ग्लोबलाइजेशन के कारण हॉलीवुड में चलने वाला फैशन मेट्रो सिटीज के माध्यम से जल्दी ही छोटे-छोटे शहरों तक पहुँच जाता है। यही वजह है कि यंगस्टर्स को एनिमल प्रिंट काफी पसंद आ रहे हैं। साधारण कपड़ों को वन्यजीवों के स्किन टेक्सचर का रूप देते हुए फैशन डिजाइनरों ने एनिमल प्रिंट को पार्टी की शान बना दिया है। इन दिनों जंगल के राजा बाघ की धारियाँ, साँप पर पड़ी स्क्रेब धारियाँ, चीते के ़ि़़डजाइन पसंद किए जा रहे हैं।
अधिक्तर एनिमल प्रिंट का प्रयोग लेगिंग्स के लिए किया जा रहा है इसके साथ आपका टॉप थोडा लंबा होना चाहिए जो आपकी बॉटम को कवर करें। छोटा टॉप इनके साथ अच्छे नहीं लगते। आप इनके साथ ट्यूनिक या जैकेट के साथ लंबा कुर्ता भी पहन सकती हैं। एनिमल प्रिंट लेगिंग खुद में ही बहुत बोल्ड होती हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप इनके साथ बहुत कम व बेसिक एक्सेसरीज ही कैरी करें। आपकी एक्सेसरीज जितनी बेसिक व कम होंगी, वह आपके लुक को उतना ही ज्यादा कॉम्पलिमेंट करेंगी। साथ ही यह आपके लाउड लेगिंग प्रिंट को भी काफी हद तक बैलेंस करेंगी.
ब्लाक प्रिंट का प्रयोग भी किया जा रहा है। खासकर साड़ी और सूट में ब्लाक प्रिंट में कई डिजाइन देख जा सकते हैं। बाटिक प्रिंट भी सदाबहार है। सूती कपड़े पर बाटिक प्रिंट बहुत सुंदर लगता है। आप जो चाहे बनवा सकते हैं। पर्दे से लेकर चादर कुशन कवर सूट साड़ी कुछ भी।
पार्टी वियर के रूप में प्रयोग किए जाने वाले कपड़े सिर्फ फेब्रिक के मामले में ही नहीं, बल्कि डिजाइन और कलर्स के मामले में भी कुछ खास होते हैं। ऐसे अवसरों पर पहने जाने वाले यह प्रिंट जींस-शर्ट, साड़ियाँ, सलवार कमीज, कोट, जैकेट, ट्राउजर्स, बरमूडा, कैप्स, बैग्ज, स्कर्ट-टॉप, स्टील्स आदि सभी में समान रूप से लोकप्रिय हैं।
पोल्का डॉट्स पैटर्न - इन दिनों हिट है पर्स, फुटवेयर, सनग्लासेज, स्कार्फ, टीशर्ट और अन्य ड्रेसेस से लेकर फ्लावर वाज व बेडशीट्स तक में पोल्का डॉट्स पैटर्न हिट है। यह पैटर्न ड्रेसेज में तो पहले भी पापुलर रहा है। पर इस बार बाजार में मौजूद स्मार्ट लेदर एक्सेसरीज में पोल्का डॉट्स प्रिंटी खिलकर आया है उदाहरण के लिए ब्राउन लेदर के पर्स में रेड पोल्का डॉट्स का लुक ही अलग लगता है। यही नहीं नेल आर्ट में भी युवतियों को यह पैटर्नखूब लुभा रहा है। ड्रेस का कलर कोई भी हो उसकी मैचिंग के डॉट्स वाली नेल आर्ट अच्छी लगती है । इस तरह देखें तो हर लिहाज से आकर्षण बिखेरता है यह पैटर्न। आप किस रूप में शामिल करना चाहती हैं इसे अपने स्टाइल व ड्रेसिंग में, यह खुद तय करें।


गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

शीर्षक - मनाऊं कैसे (कहानी ) -अनामिका शर्मा



सुनो उठो, अरे अब उठ भी जाओ, दो बार तो चाय गर्म कर दी। कहते हुए निशी जाने लगी तो अंकित ने निशी का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया। ओह अंकित छोड़ो भी देर हो रही है और अपना हाथ छुड़ा कर निशी बाहर आ गई। रसोई मे पहुंच कर जल्दी से उसने सब्जी का छौंक लगाया और आटा लगाने लगी।तभी अंकित ने आकर उसे फिर से बाँहों मे भरने की कोशिश की कि तभी निशी की सासु जी खांसते हुए रसोई में आ गई और अंकित एक कप चाय और बनाने का कह कर तैयार होने चला गया ।


अंकित एक मल्टी नेशनल बैंक में मैनेजर था और निशी से उसकी अरेंज मैरिज हुई थी। लेकिन दोनो ही एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। शादी के बाद दोनो हनीमून मनाने शिमला गये थे। वहां के सर्द मौसम में अंकित ने अपने प्यार की गर्माहट से निशी के दिल में जगह बना ली और अंकित निशी की मासूमियत का कायल हो गया। दोनो एक दूसरे को इस कदर चाहने लगे जैसे दो जिस्म एक जान हो। शादी के दो साल तो आँखो आँखो में ही कट गये। फिर उनकी दुनिया में आई नन्ही परी मीना। अब निशी की जिम्मेदारी बढ गई। घर के काम, सास-ससुर की सेवा और मीना की देखभाल।


"अरे निशी! गाजर धोकर ले आओ तो छील कर हलवे की तैयारी कर लेते है।" सासु जी की आवाज सुनकर निशी को याद आया कि आज तो उसकी ननंद अपने परिवार के साथ आने वाली है। वह जल्दी से गाजर धोने लगी, लेकिन आज उसका मन काम में नहीं लग रहा था। वह बार-बार अंकित के ख्यालों में गुम हो रही थी, उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचना, और अपनी बाहो में भरने का प्रयास करना यही सब बाते निशी को मन ही मन गुदगुदा रही थी। वह सोचने लगी कितना वक्त हो गया है अंकित के साथ चैन से दो पल बिताये हुए। दिन भर का काम, मीना की पढ़ाई और मेहमानों की आवभगत में ही उसका पूरा दिन निकल जाता है।सासु जी आए दिन किसी न किसी को न्यौता दे आती है खाने का। और कुछ नही तो कभी बड़ी, पापड़ आदि बनवाने लगती है तो पूरा दिन काम और मेहमाननवाजी से वह इतना थक जाती है कि रात को बिस्तर पर लेटते ही उसे ऐसी बेसुध नींद आती है कि फिर वह सीधा सुबह घड़ी के अलार्म से ही खुलती है।


"लो अब तक गाजर पूरी छील भी नही पाई कब हलवा बनेगा और कब बाकी खाने की तैयारी करोगी ?" चलो सब्जी मुझे दो मै काट कर तैयारी कर देती हूँ और आटा गूंथ लेती हूँ ।"कहते हुए सासु जी आटा छानने लगी। निशी ने आँखो ही आँखो में सासु जी को धन्यवाद कहा तो सासु जी भी मुस्कुरा उठी।


हलवा बनाते बनाते निशी फिर ख्यालो में गुम हो गई। उसे याद आया आज अंकित निशी से बिना कुछ कहे ही ऑफिस चला गया था और जब निशी टिफिन तैयार करने के बाद कमरे में गई थी और अंकित को गले लगाना चाहा तो अंकित ने" देर हो रही है "कहते हुए उसे दूर कर दिया और बाहर निकलते हुए धड़ाम से दरवाजा बन्द कर दिया था। वह सब समझ रही थी। अंकित नाराज हो रहा था उससे। उसे तो याद ही नही कितने समय पहले वे एक-दूसरे के करीब आए थे? पर वह करे भी क्या? सुबह जब तक अंकित उठ कर तैयार होता है उस पूरा समय निशी किचन में फंसी रहती है और जब रात को अंकित घर आता है तब भी निशी खाने की तैयारी में लगी रहती है। वह कोशिश करती है की रात को जल्दी खाना बनाकर फ्री हो जाए और वह करती भी है, तो भी वह और अंकित सोने के वक्त से पहले कमरे में नही जा सकते। ऐसा कोई नियम नही है पर हाँ एक झिझक है जो शादी के सात साल बाद भी उसी तरह बरकरार है जो शादी के शुरूआती दिनों में थी कि जब तक सासु जी नही कहती वह सोने नही जाती। कुछ न कुछ काम निपटाने में लगी रहती। यह झिझक शायद हर जॉइंट फैमिली में होती है पर पता नही क्यो पति देव इसे समझते ही नही और रूठ कर बैठ जाते है ।"रूठे रूठे पिया .....",


"मनाउ कैसे? .. " निशी ने पलट कर देखा उसकी ननंद थी जिसने उसकी गाने की अधूरी लाईन को पूरा किया था। वह शर्म से लाल हो गई और ननंद के पैर छूने को झुकी तो उसकी ननंद ने उसे अपने गले लगा लिया जैसा कि वह हमेशा करती थी। " निशी क्या बात है, क्यो नाराज कर लिया अपने पिया को? " "अरे गरिमा दीदी, वह तो मै बस ऐसे ही गुनगुना रही थी "निशी शर्माते हुए बोली ।


"अगर ऐसे ही गुनगुना रही थी तब तो ठीक है लेकिन सच मे नाराज कर दिया है अपने पिया को तो मै बहुत ही रोमांटिक तरीके बता सकती हूँ रूठे हुए पिया को मनाने का "दीदी ने हंसते हुए कहा तो निशी की आँखे नम हो गई। निशी का अपनी ननंद से सहेली जैसा रिश्ता था वह उम्र में उससे बड़ी जरूर थी पर वह अपने मन की हर बात अपनी ननंद से शेयर कर लेती थी और उसकी गरिमा दीदी बिल्कुल सहेली की भांति ही उसकी हर समस्या का फटाफट निपटारा कर देती थी और उस पर बड़ा स्नेह भी लुटाती थी। गरिमा दीदी की स्नेह भरी बातों से उसका दर्द आँखो में छलक आया। और उसने गरिमा दीदी को अंकित की नाराजगी की बात बताई।


"अच्छा तो यह बात है। इसमे घबराने की कोई बात नही है निशी सभी के साथ ऐसा होता है। शादी के शुरूआती दिनों में इतनी जिम्मेदारी नही होती है और सब कुछ नया नया होता है तो उसकी अनुभूति भी अलग ही होती है लेकिन कुछ वक्त गुजर जाने के बाद और बच्चे हो जाने से जिम्मेदारी बढ जाती है और फिर शुरू होती है प्यार की असली परीक्षा। इतनी जिम्मेदारी के बीच और कम समय दे पाने से समस्या तो आती ही है अब यह हमारे हाथ में है की इसे उदास होकर झेला जाये या फिर जरा सी कोशिश से इस रिश्ते मे नयापन बरकरार रखा जाये ।"


"आप सही कह रही है दीदी, यह तो कई बार मुझे सरप्राइज देते है और मेरी मदद करने की कोशिश भी करते है ताकि मै थोड़ा सुकून पा जाऊ लेकिन मैने तो कभी इन्हे ऐसा कुछ फील नही करवाया। कभी-कभी हम सिर्फ सामने वाले में ही कमी ढूंढते रहते है खुद की गलती हमे नजर नही आती। आपका बहुत शुक्रिया दीदी। बस अब अच्छे अच्छे टिप्स बता दो ना दीदी प्लीज! " निशी ने गरिमा का हाथ पकड़ते हुए कहा। तो गरिमा दीदी निशी के बचपने पर मुस्करा उठी और कहने लगी, "मुझसे ज्यादा तुम समझती हो अपने पति को जरा मन को टटोलने की कोशिश करो, सारे टिप्स वही मिल जाएंगे अब उठो और अच्छे से तैयार होकर आओ जैसे नई नई शादी के बाद अंकित को रिझाने के लिए तैयार होती थी। माँ बाउजी कुछ नही सोचेंगे वह भी समझते है क्योंकि वह भी इस दौर से गुज़र चुके है।"


निशी तैयार होने कमरे मे चली गई और बड़ी बेसब्री से अंकित का इंतजार करने लगी उसे अपने रूठे पिया को मनाना जो था ।

बुधवार, 18 अप्रैल 2018

#अपराजिताकहानीप्रतियाेगिता- निधि घर्ती भंडारी

रात भर आंखों में मानो जैसे नींद का नामोनिशान ही ना था | जुगनुओं को देखते देखते सारी रात कैसे कट गई पता ही ना चला सुबह उठकर मेरे मन में सिर्फ यही ख्याल आया कि जुगनू भले ही चांद की चांदनी का सामना ना कर सके लेकिन रात में चमकते हुए एक भटके हुए मुसाफिर को उसकी राह दिखाने का एक प्रयास तो करते ही हैं तो फिर मैं क्यों नहीं | सुबह उठते ही फोन में से मीना का नंबर ढूंढ कर कॉल किया और ई-मेल आई.डी. ली| लिखते-लिखते शाम हो गयी...जैसे तैसे कुछ शब्द लिख पाई....पढ़कर देखा तो वाह ये तो एक सुंदर सी कविता बन चुकी थी| कई-कई बार मैने वो कविता पढ़ी और खुली आंखो से जैसे सपने देखने लगी थी | अपनी कविता मै मीना को मेल कर चुकी थी, अब तो बस उसकी कॉल का इंतज़ार था जो मेरी जिंदगी बदलने वाला था....मै अपनी कविता को अब भी निहार रही थी, जैसे जन्म देने के बाद मां अपने बच्चे को निहारती है| 
मेरे अंतर्मन के अधूरे स्वप्न हे मेरे अंतर्मन के अधूरे स्वपन!
 तुम क्यूं हो इतने निर्दयी-निष्ठुर?? 
अंखियों में क्या इस तरह बसे हो, या फिर इस अंतर्मन में?
 कि तुम्हें पूर्ण करने की इच्छा कहूं या पिपासा, दिन रात तुम्हें स्मरण करूं| 
झुंझलाऊं- छठपटाऊं मैं कि किस तरह तुम्हें पूर्ण करूं|
 तुम दिवास्वप्न बनकर क्यूं दिनभर मुझे सताते हो?

 रातों को अखियां बंद करूं, तो सामने तुम आ जाते हो 
जब रहना तुम्हें अधूरा ही क्यूं पल-पल आस बंधाते हो?
 तुम क्यों मुझको तड़पाते हो? मुझे सारी रैन जगाते हो| 
 अपनी कविता में मैं बस खोई हुई थी और अपने भविष्य से जुड़े अनगिनत सपने बुन ही रही थी कि अचानक मीना का कॉल आ गया और उसने जो मुझसे कहा वह मेरे मुंह पर एक खामोश तमाचे सा लगा | मेरी कविता उसे बहुत निम्न स्तरीय लगी इसलिये उसने इसे रिजैक्ट कर दिया| अपने ख्वाबों को यूं बिखरते हुए देखना बहुत दुखद था मेरे लिए, पर मुझे एक उम्मीद की किरण दिखाई दी संज्ञान के रूप में| मैंने उसे भी अपनी कविता की एक कॉपी मेल कर दी परंतु वह तो इतना बिजी था कि कभी उस मेल को पढ़ ही ना पाया| 
 उस रात भी मै टिमटिमाते हुये जुगनुओं को ही निहारती रही आखिर वही तो थे जो अभी भी मेरा हौसला बढ़ा रहे थे| अगली सुबह सारा काम निपटाकर जब मैं अपनी खिड़की के सामने बैठी तो सामने की बस्ती में रहने वाले छोटे-छोटे बच्चे बीच सड़क पर क्रिकेट खेलते हुए नजर आए | मन में एक सवाल कौंधा कि दिनभर खेलते रहते हैं तो क्या स्कूल नहीं जाते? तभी खिड़की का शीशा तोड़कर उनकी बॉल अंदर आ गई| पूरी टोली मेरे घर ही पहूंच गई बॉल वापस मांगने| दिखने में थोड़े गंदे जरुर थे पर थे बड़े प्यारे| अब क्या मैने उनकी बॉल के साथ-साथ उन सबको खाने को चॉकलेट भी दी और वो सब मेरे दोस्त बन गये| उनसे बातों के दौरान मुझे पता चला वे लोग स्कूल नही जाते | पास में कोई प्राथमिक विद्यालय नही है और जो प्रतिष्ठित विद्यालय है भी, सोसायिटी के लोग चाहते नही के ये बच्चे वहां पढ़े| समस्या तो वाकई में काफी गंभीर थी| मन में आया दिन भर खाली ही तो रहती हूं क्यूं ना मै ही इन्हें पढ़ा दूं? अपने नन्हें दोस्तों से पूछा तो उन सबने भी हामी भर दी| बस फिर क्या था अगले ही दिन से चल पड़ी अपनी क्लास| धीरे-धीरे मेरी ये नन्ही सी कक्षा छोटी पड़ने लगी, विद्यार्थी अब बढ़ने लगे थे| हां थोड़ा समय जरूर लगा लेकिन मेरी मेहनत अब रंग ला रही थी| मैने प्रतीक से बात की तो वो भी इन बच्चों को निशुल्क वेस्ट मैटिरियल क्राफ्ट ट्रेनिंग देने लगा| 
अब हमारे सामने एक उप्युक्त जगह की समस्या खड़ी थी, जिसके निवारण के लिये हमने अपनी मित्र क्षेत्रीय विधायक रिया से बात की| उन्होने हमें जगह मुहैय्या करवाई और उनकी तरफ से हर प्रकार की मदद का आश्वासन दिया| जिसके लिये मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी| धीरे-धीरे अन्य शिक्षित लोग भी हमारे इस मिशन में सहयोग हेतु आगे आने लगे| अब मेरा यह छोटा सा प्रयास एक बहुत बडे़ स्तर पर आर्थिक रूप से अशक्त परिवारों के बच्चों को उनके शिक्षा के अधिकार दिलवाने में तब्दील हो चुका था| हम उन्हें बेसिक नॉलेज(इंग्लिश टॉकिंग, बॉडी हाईजीन, पर्सनैलिटी डेवलेपमेंट) देते थे जिसके बाद वो बच्चे प्रतिष्ठित स्कूलों में आराम से एडमिशन ले पाते थे, इसके बाद उनकी पढ़ाई ट्यूशन आदि निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती थी|
 सच कहूं तो मैने समय काटने के लिये ये छोटी सी शुरूआत की थी मगर आज यही मेरा जुनून बन चुका था| अब पूरे शहर भर में हमारे तेरह सेंटर खुल चुके हैं और मेरा सपना उस दिन पूरा होगा जब पूरे देशभर में एेसे सेंटर खुल जाएं| कल मीना और संज्ञान मेरे घर पर मेरे प्रयास के लिये मुझे बधाई देने आये थे, हालांकि मैने कुछ कहा तो नही लेकिन मै समझ चुकी थी कि उगते हुये सूरज को हर कोई सलाम करता है| लगे हाथ मीना ने मुझपर कहानी लिखने की अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी परंतु मैने भी व्यस्तता का हवाला देते हुये असहमति प्रकट कर दी| जुगनुओं को रातभर निहारने का समय तो अब नहीं मिलता मगर रोज़ रात को कुछ देर खिड़की पर खड़ी होकर मै उनका धन्यवाद करना नहीं भूलती| आखिरकार मुझ भूली-भटकी को रास्ता तो उन्होंने ही दिखाया है| 

सोशल लव -दर्शना बांठिया

"ज्योति मेरा रूमाल नहीं मिल रहा ,कहाँ रखा कल तुमने"...संजय ने अपनी पत्नी से कहा।"अरे!संजू ,वहीं होगा."..ज्योति ने मोबाइल चलाते हुए कहा..।
"ज्योति ये सब क्या है,तुम्हें दो दिन से कह रहा हूँ,कि मेरी अलमारी साफ कर दो...सारे कपड़े यहाँ -वहाँ फैले पड़े है,शर्ट की जगह पैंट है,एक मोजा कहीं है,तो दूसरा कहीं ओर ..ऐसे कैसे चलेगा"-संजय झल्लाते हुए बोला।
ज्योति फोन चलाते हुए बोली :-"संजू ,मैं कर दूँगी.....,ये देखों ना.....खुशी और मोहित ने कितने अच्छे फोटोज लगाए है...और केप्शन में लिखा है.."I love you my forever".सो,स्वीट, ...कितना प्यार है दोनों में"......और तुम हो कि इन सब चीजों से दूर भागते हो।
"संजू तुम थोड़ा तो सोशल बनो.....अपने पड़ोस की रीटा को देखों कल ही फेसबुक पर स्टेटस डाला है ,"Happily going to goa with my hubby".कितना अच्छा लगता है यार......और तुम बस 10 से 6 की बैंक नौकरी में ही खुश रहते हो। 
ज्योति मेरे पास इन चीजों का समय नहीं है,कल से प्लीज सामान व्यवस्थित रखना"इतना कहकर संजू ऑफिस के लिए निकल गया।
दोपहर में ज्योति ने संजय को फोन किया और कहा," संजू तुमने मेरी प्रोफाइल पिक अभी तक लाइक नहीं कि...दिशा के पति उसकी हर फोटो पर लाइक, कमेंट करते है,वो भी उसके बिना कहे."।
ज्योति अभी काम बहुत है,मैं बाद में कर दूंगा:-संजय ने इतना कहकर फोन रख दिया।
शाम को संजय घर गया तो उसने देखा ज्योति मुंह फूलाए गुस्सें से बैठी।
"ज्योति एक बढ़िया सी चाय तो बनाओ,साथ मैं बैठकर पीते है"..संजय बोला।
"मैं कोई चाय ..वाय नहीं बनाने वाली....खुद बना के पिलो."..ज्योति ने गुस्से से कहा।
क्या हुआ....ज्योति.... इतनी नाराज क्यों हो?संजय ने पूछा।
ज्योति झल्लाते हुए बोली,"नाराज ना हूँ ..तो क्या करूँ....सुबह से शाम होने को है,और आप को इतनी भी फुरसत नहीं कि एक बार मेरी फोटो पर कमेंट ही कर दूँ"..पता है,'सुषमा के पति तो उसके फोटों डालते ही तारीफ के पुल बांधने लगते है ...कितना प्यार करते है उसके पति'।
"भई,प्यार में तो हम भी कम नहीं है ...आओ पास में बैठो...दुनिया को क्या बताना कि मिंया बीवी में कितना प्यार है"....संजय ने ज्योति का हाथ पकड़कर कहा।
"छोडों.... तुम्हें तो प्यार जताना भी नहीं आता .....रहो तुम बुद्द्धू .....,कुछ नहीं आता तुम्हें..... प्यार करना भी नहीं... मेरी किस्मत में ही नहीं है प्यार".. ज्योति ने हाथ झटकातें हुए कहा।
"ज्योति तुम जिसे प्यार कह रही हो वो दिखावा है...मेरे लिये प्यार का मतलब दिखा प्रदर्शन करना नहीं है...,इसे कृत्रिम प्यार कहते है...,मुझसे दिखावा और ये "सोशल लव" नहीं होता.....संजय ने गुस्से मे कहा और घर के बाहर चला गया।
ज्योति ने गुस्से में पूरा घर का सामान बिखेर दिया।
संजय वापस घर आया तो देखा ज्योती सोफे पर ही सो गई,उसे बहुत दुःख हुआ कि "क्यों ज्योति को ऐसा लगता है कि सिर्फ फेसबुक या सोशल साइट्स पर प्यार का प्रदर्शन ही सच्चा प्यार है''...।
अगले दिन संजय ज्योति को बिना उठाऐं ,जल्दी ही ऑफिस चला गया।
शाम को ऑफिस से लौटा तो देखा पूरा घर साफ-सुथरा ,व अनेक खुशबू से युक्त था।कमरे में देखा तो अलमारी के सारे कपड़े व्यवस्थित थे।
"आ गए संजू...... ये लो तुम्हारी पंसदीदा अदरक वाली चाय"-ज्योति ने मुस्कुराकर कहा।
संजय को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ज्योति के सुर अचानक बदल कैसे गए।
"संजू....,सॉरी ....प्लीज मुझे माफ कर दो"।
'क्या हुआ.... ज्योति तबीयत तो ठीक है', सच,सच बताओ हुआ क्या है.?संजय ने हतप्रभ होकर कहा।
"संजू आज मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है ....कि प्यार में दिखावा नहीं होना चाहिए,.... सच्चा प्यार तो वो है,जहाँ कुछ कहने की आवश्यकता नहीं होती....एक -दूसरे को देखकर ही भावनाओं को समझ लेना चाहिए।"
संजय ने मुस्करा के व्यंग्यात्मक ढंग से कहा....,"शुक्र है,मैडम को समझ तो आया,पर ये चमत्कार हुआ कैसे..?सहीं -सहीं बताओ ज्योति"।
"संजू ,दरअसल वो खुशी और मोहित के बारे में बताया था ना ....तो वो मोहित का अफेयर चल रहा है....,आज सुबह कामवाली ने बताया , दोनों में तलाक तक बात पहुंच गई है।सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए... ही .. मोहित मीठी-मीठी तारीफे करता था,...पर हकीकत में तो....उसकी ऑफिस की किसी लड़की के साथ 2साल से अफेयर कर रहा है"
और रीटा गोवा गई ही नहीं ....छूट्टियों मे गांव गई है",
और संजू एक बात बताऊं, पर वादा करो....तुम हँसोगे नहीं...."ज्योति ने नजरे नीची करते हुए कहा।
बोलो तो '......संजय बोला।
"वो दिशा है ना....वो खुद ही अपने पति की फेसबुक आई -डी चलाती है,और खुद की तारीफ खुद ही लिखती है"।
क्या!.....हा हा हा."..संजय जोर से हँसा।
"धन्य है....सोशल मीडिया.... जहाँ सिर्फ दिखावें व कृत्रिमता को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है,...अब समझ आया देवी जी! कि सोशल लव प्रदर्शन कहा तक टिकता है"।
'चलो .....अब छोड़ो ये सब......बाहर चलते है डिनर पर ,तैयार हो जाओ'....और हाँ फेसबुक पर लिखना मत भूलना ,"Happily going to dinner".
क्या ...संजू ....तुम भी️....और दोनों साथ मे हंसने लगे।

वास्तव में दोस्तों आजकल लोगों ने हद से ज्यादा प्रदर्शन को ही प्यार की परिभाषा मान लिया है.ऐसा नहीं कि मैं फेसबुक या सोशल मीडिया के खिलाफ हूँ...पर प्यार केवल सबके सामने, जाहिर करने से ही होता है,
ऐसा मानना गलत है।
आपके क्या विचार है,मुझे जरूर बताइयेगा। आप के विचारों का मुझे इंतजार रहेगा।

कविताएं/ चुका नहीं है आदमी ,शायद - चर्चित कवि सुबोध श्रीवास्तव


चुका नहीं है आदमी...

बस,

थोड़ा थका हुआ है

अभी

चुका नहीं है

आदमी!

इत्मिनान रहे

वो उठेगा

कुछ देर बाद ही

नई ऊर्जा के साथ,

बुनेगा नए सिरे से

सपनों को,

गति देगा

निर्जीव से पड़े हल को

फिर, जल्दी ही

खेतों से फूटेंगे

किल्ले

और/चल निकलेगी

ज़िन्दगी

दूने उत्साह से|

हां, सचमुच

जीवन के लिए

जितना ज़रूरी है

पृथ्वी/जल/नभ

अग्नि और वायु

उतनी ही ज़रूरी है

गतिमयता,

जड़ता-

बिलकुल गैरज़रूरी है

सृष्टि के लिए..!

मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

मैडम कल मेरी शादी है -वंशु विनेश


सिया एक आठ साल की छोटी बच्ची जो अपने गाँव के स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ती है।आम बच्चों की तरह वो भी रोज स्कूल जाती,खेलती- कूदती।पढ़ने में तेज,अपनी मासूम बातों और हरकतों से सब टीचर्स की लाड़ली थी।एक दिन वो स्कूल नही आई,अगले दिन हाथो में मेहँदी लगी,पाँवों में छम-छम पायल बजाती स्कूल में दाखिल होती है,तभी गीता मैडम उसे रोकती है और कहती है-
"सिया तुम सब बच्चों को कितनी बार मना किया है, कि स्कूल में कोई भी गहना पहन कर नही आना,क्या तुम्हे याद नही याद है??

"मैडम मैने माँ को बोला भी जब वो उतारने लगी,तो दादी ने डांटा और बोला पहनना जरूरी है,नही तो अपशकुन होता है।"सिया बोली।

"क्यों ऐसा क्या है इस पायल में?"
गीता मैडम में आश्चर्य से पूछा।
"वो ये मेरी सास ने पहनाई है,कल मेरा रोका था ना!!"
एक आठ साल की बच्ची के मुँह से ऐसे भारी भरकम शब्द सुन कर गीता का सर चकरा गया... उसने प्यार से  सिया से पूछा-"बेटा आपको पता है,रोका क्या होता है?"
सिया ने बोला-"नही"

"अच्छा कोई बात नही जाओ अपनी क्लास में" सिया को क्लास में भेज कर गीता सोच में पड़ जाती है और मन ही मन कुछ सोच कर क्लास में चली जाती है।
स्कूल खत्म होने के बाद वह घर जाती है पर उसका मन नही लगता...अगले दिन वह स्कूल की प्रिंसिपल को सारी बात बता कर सिया के घर जाने की परमिशन माँगती है।

सिया के घर गीता उसकी माँ से मिलती है और कल के बारे में पूछती है तो सिया की माँ बताती है कि आने वाली अक्षय तृतीया को सिया की शादी है।
"क्या!!! आप पागल तो नही हो गयी,आप बाल विवाह करवाना चाहते है??आपको पता नही ये कानूनन अपराध है।"

"ए मास्टरनी थारो ज्ञान थारे खने राख...मने समझावण री जरूरत कोनी...दो आखर के पढ़ ल्या पोथी का,खुद ने खुदा समझण लाग गी के... तने के बेरो "धरम परनावन"को कितो महत्तम है,,इच्छा हुवे तो चाय पाणी पी,,नही तो जै रामजी की...."

"पर माताजी" गीता ने कुछ बोलना चाहा,

"पर-वर की कोनी चाल अठे सूं और सुण आखा तीज रो ब्याव है म्हारी पोती रो जीमण ने जरूर आ जाये।"

गीता भारी मन से चल दी और स्कूल आकर प्रिंसिपल मैडम को सब कुछ बता दिया...फिर उसने सिया और कुछ दूसरे बच्चों को लेकर एक नाटक तैयार किया....और सरपंच से बात करके उसका आयोजन चौपाल में करवाया। जिसे लगभग गाँव के हर सदस्य ने देखा।उस नाटक के माध्यम से गीता ने गाँव वालों को बाल विवाह से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत करवाया।

नाटक खत्म होने के बाद गीता ने गाँव वालों को समझाया,,"कल मै सिया की दादी से मिली उन्होंने बोला म्हे म्हारी सिया ने धरम परणावा मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,,"धरम परणावा" अर्थात किसी भी लड़की का मासिक धर्म शुरू होने से पहले उसकी शादी करने को आप लोग बहुत अच्छा मानते हो....पर यह तो एक प्राकृतिक क्रिया है,जो हर लड़की में होती है.... इसे धर्म से जोड़कर पाप के भागी मत बनिये,, याद कीजिये कुछ दिनों पहले हरी काका की बेटी कच्ची उम्र में माँ बनने वाली थी और स्वास्थ्य बिगड़ने से मर गयी.....क्या आप चाहते है ये सिया,मीरा,खुशबु,सोनू,किरण और बाकी सब बच्चियाँ भी हरी काका की बेटी की तरह??......"

"समझाना मेरा काम था...बाकी आपकी मर्जी हम चाहते तो कानून की मदद लेकर भी ये काम कर सकते थे,पर कानून की मदद से एक बार सिया को बचा लेती तो दूसरी सिया की छिप कर शादी करवा दी जाती...मै इस जहरीले पेड़ का केवल तना ही नही काटना चाहती....मै चाहती हूँ इस बुराई को जड़ से समाप्त कर सकूँ....आगे आप लोगों की मरजी।"

गीता मैडम ने अपनी बात समाप्त की पूरी चौपाल में एक दम चुप्पी छा गयी....इस चुप्पी को तोड़ा सिया की दादी की तालियों की गड़गड़ाहट ने....

" रे मास्टरनी तू तो म्हारी आँख्यां खोल दी अब म्हारी सिया ही नही गाँव री कोई भी छोटी छोरी ब्याव कोणी करे बे सब भी थारे तांई पढ़ लिख कर मास्टरनी बणसी।"

सोमवार, 16 अप्रैल 2018

#मैंअपराजिताकहानीप्रतियाेगिता - मंजू सिंह

हाँ सभी फ़र्ज़ पूरे हो गए | बच्चों को उनके पैरों पर खड़ा करने के लिए जितना कर सकी किया| सब के लिए बहुत जी मर ली | सभी ने तो अपनी ज़िन्दगी में जो चाहा वो किया | मैं ही कभी मन की नहीं कर पायी जब भी चाहा अपने लिए कुछ तब परिवार की कोई न कोई ज़िम्मेदारी पाँव की बेड़ी बन गयी | उदय भी तो मंझधार में छोड़ गए मुझे | वो भी ऐसे समय जब मुझे उनकी सबसे ज़्यादा ज़रुरत थी | उन्होंने भी तो मन की करने में कोई कसर नहीं छोड़ी | तब गए तो आज तक मुड कर नहीं देखा | न कभी मेरी न बच्चों की सोची | क्या पैसे से ही सारी ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो जाती हैं ? क्या बच्चों की ज़िन्दगी में पिता की कोई अहमियत नहीं होती ? हे भगवान ये सब कहाँ से घूमने लगा दिमाग में ! नहीं अब और नहीं निभा दिन अपनी ज़िम्मेदारियाँ मैंने अकेले ही | उदय भी तो अपनी दुनिया अलग बसाये मस्त हैं | तो फिर मैं ही क्यों ? कल रात ही तो मुझे चमकते जुगनुओं ने राह दिखाई थी नयी | और आज यह सब | नहीं अब नहीं अब मुझे भी जीना है अपने लिए अपनी ख़ुशी के लिए अपने सपनों के लिए | मैंने अपने सर को एक ज़ोरदार झटका दिया मानों ऐसा करने से हर फालतू की बात को दिमाग से झटक कर दूर फेंक दूँगी | कोशिश ज़रूर करूंगी | शादी से पहले फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था कितने अरमान थे कितने सपने थे कि मैं अपना लेबल लॉन्च करूंगी | लेकिन गृहस्थी में एक बार जकड़ी तो सब सपने धरे के धरे रह गए | अब करूंगी , ज़रूर करुँगी | किसी भी नयी शुरुआत के लिए कभी देर नहीं होती | और फिर रुझान तो मेरा कभी टूटा ही नहीं | इसी चक्कर में कंप्यूटर भी तो सीख लिया था मैंने |
       आज मेरी ज़िन्दगी कि नयी सुबह है | आज से ही नयी ज़िन्दगी कि आगाज़ होगा | सब कुछ बहुत आसान लग रहा था लेकिन अब सोच रही हूँ तो समझ ही नही आ रहा कि कौन सा सिरा कहाँ से पकड़ूँ | अरे हाँ याद आया ऋतु है न | हम दोनों ने एक साथ ही तो ट्रेनिंग ली थी | सोशल मीडिया पर तो उसके डिजाइन देखती ही रहती हूँ फोन नम्बर भी मिल जायेगा कॉल करती हूँ उसे | "हेलो " "कौन पुन्नो ? " उसने हेलो कहते ही मुझे पहचान लिया चार साल पहले ही मिली थी पर ज़्यादा बात नहीं होती थी | "वाह पहचान लिया" "कैसे नहीं पहचानती ,और बता आज इस नाचीज़ को कैसे याद किया ? तुझे तो कभी फुर्सत ही नहीं मिली अपने घर से " "क्या यार ताना मत मार अब छोटी उम्र में शादी हो गयी थी मेरी और फिर न चाहते हुए भी चार बच्चे | क्या करती दो बेटियों के बाद सबको बेटा चाहिए था | मेरी तो चलती ही नहीं थी तुझे पता है |" "हाँ पता है यार फिर तेरे ट्विन्स हो गए " "हम्म अब मैं फ्री हूँ सोच रही हूँ अपने शौक पूरे कर लूँ ।" "अरे वाह मेरी बिल्ली | चल फिर मिलते हैं किसी दिन ।" "किसी दिन क्या इसी संडे मिलते हैं ।" "चल ठीक है कनाट प्लेस मिलते हैं अपनी पुरानी जगह |" "डन,ओके बाय " ऋतु से बात करने के बाद जैसे मेरे सपनों को पंख लग गये । सोचा आज बुधवार है तब तक थोड़ा अपना हुलिया ठीक कर लूँ | ऋतु से मिलना है कहेगी क्या ओल्ड फैशन के कपडे पहने हैं फैशन डिज़ाइनर| हाहाहा | पार्लर भी जाना है | ऋतु से बात करके मैं नयी ऊर्जा से भर गयी थी झट से अपॉइंटमेंट ली और पार्लर गयी | अपना हेयर स्टाइल बदलवाया सबसे पहले नए स्टाइल के बाल अच्छे लगेंगे | फिर उन्हें कह दिया कि मेरा मेकओवर कर दो | मुझे खुद को नए रूप में देखना है | बस फिर क्या था उन्होंने मेरा रंग रूप ही बदल दिया | खुद को आईने में देखा तो देखती ही रह गयी | क्या मैं आज भी इतनी सुन्दर दिख सकती थी कभी सोचा क्यों नहीं मैंने !! अगला दिन मैंने शॉपिंग के लिए रखा | अपने लिए आज के फैशन के हिसाब से कपडे खरीदे | घर आकर सोचा यह सब तो हो गया अब थोड़ा लैपटॉप की सुध लेनी होगी खुद को आज के फैशन ट्रेंड से अपडेट तो कर लूँ न | बस संडे तक कैसे समय निकला पता भी नहीं चला | अपनी पुरानी जगह ठीक समय पर दोनों मिले | खाया पीया मस्ती की और पुराने दिन याद किये | दोस्तों की बातें भी कीं | फिर मुद्दे की बात शुरू की | "अच्छा बाकी छोड़ अब ये बता मैं अपना बिज़नेस कैसे शुरू करूँ ?" वह हंसने लगी और बोली, “ देख जल्दी मत कर इतनी | ऐसा कर पहले मेरे साथ ही आजा | काफी सालों से तू टच में नहीं है तो ठीक रहेगा | फिर कर लेना काम शुरू |” “ठीक है तो बता कब से आऊं ?” “कल से ही आजा |” अरे वाह कल से ही ? चल फिर कल ११ बजे मिलते हैं | घर आकर मैंने सपने बुनना शुरू कर दिया | सोचा नहीं था कि नयी ज़िन्दगी इतनी जल्दी शुरू हो जायेगी | अगले ही दिन से मेरी ठहरी हुई ज़िन्दगी में रवानी आ गयी | काम में मन लगा तो मैं सारे दुःख भूलने लगी | अब तो बस हंसी, ख़ुशी पार्टियों का दौर , मीटिंग्स यही सब रहने लगा | ऋतू के दोस्तों से भी मुलाकात होने लगी फ्रेंड सर्किल अच्छा हो गया | ऋतू के साथ मैंने भी ज़ुम्बा क्लास ज्वाइन कर ली |
       आह ! कहाँ दुखों में डूबी थी मैं ! मेरी ज़िन्दगी इतनी पास थी लेकिन कभी सोचा ही नहीं | सबकी ख़ुशी में ही बिता दिया जीवन | अभी उम्र ही क्या है | १८ की ही तो थी जब शादी हो गई थी | ५२ की उम्र भी कोई उम्र है निराश होने की | पार्टियां अटेंड करते करते ऋतू के और मेरे म्यूच्यूअल फ्रेंड अभिजीत से काफी बातें होने लगीं | वे भी मेरी ही तरह अकेले थे | बच्चे तो कभी थे ही नहीं उनके और पत्नी की असमय मृत्यु हो चुकी थी | एक दिन वे बोले "देखो हम दोनों ही उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहाँ शारीरिक से ज़्यादा मानसिक रूप से किसी साथी की ज़रुरत होती है | " मैं समझ रही थी उनका मतलब "आगे आगे उम्र बढ़ेगी और आपस में हम एक दूसरे का दुःख भी बाँट सकेंगे | मन की बात कहने सुनने को कोई चाहिए होगा |" "आपकी बात समझ रही हूँ लेकिन बच्चे ----" "देखो बच्चे अपनी दुनिया में खोये हुए हैं | तुम कब तक अकेली रहोगी । अब अपने लिये सोचो । वैसे बात करके देखो ,आजकल के बच्चे बहुत प्रोग्रेसिव सोच के हैं | मेरे हिसाब से उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं होगा |" " मुझे थोड़ा समय चाहिए | बच्चों से ज़रूर बात करूंगी तभी कोई फैसला लूंगी |" |"मुझे कोई जल्दी नहीं है और  तुम इंकार भी कर दोगी तो मुझे बुरा नहीं लगेगा |" मुलाकात के बाद घर लौटने पर मन में अजीब सी हलचल थी | एक अपराध बोध था मन में कि क्या इस उम्र में यह सब---फिर सोचा सारी ज़िन्दगी अकेले ही तो काट दी । उदय ने कब परवाह की मेरी। और फिर दुनिया दो चार दिन बोल कर चुप हो ही जायेगी । जानती हूं यह कोई छोटा कदम नहीं है लेकिन मेरे जुगनू अब भी मुझसे कुछ कह रहे हैं । बहुत सोच समझ कर मन में आया कि अपनी बेटियों से तो मैं बात कर ही सकती थी | मैंने चारों बच्चों को घर बुलाया | और अपनी बात कह डाली | आश्चर्य की बात है कि बेटियां खुश हो गयीं | मुझे लगता नहीं था कि वे मेरे लिए इतनी भावुक हो जाएँगी | पर बच्चे तो बच्चे होते हैं वे व्यस्त ज़रूर हैं पर मुझे बहुत प्यार करते हैं | " मां वी आर वैरी हैप्पी फॉर यू | गो अहेड |" मीना ने कहा | बेटे थोड़े झिझक रहे थे पर बहुओं ने हामी भर दी | सब खुश थे | और अगले ही महीने कोर्ट मेरिज की बात भी तय हो गयी | अभिजीत भी तैयार थे मैंने उन्हें बच्चों से मिलाया | शादी का दिन भी आया सभी बच्चे ऋतु और उसका परिवार और अभिजीत के परिवार के कुछ लोगों कि मौजूदगी में शादी हो गयी | सभी बच्चों ने मिलकर पार्टी अरेंज की | शादी के बाद जब सब चले गए तो बच्चों ने अभिजीत से कहा , “थैंक्यू पापा | सारा जीवन पापा के लिए तरसे अब आप मिल गए हैं | वी आर सो लक्की ! “ अभिजीत भी अपने लिए पहली बार पापा सम्बोधन सुनकर भावुक हो गए | और बच्चों को गले से लगा लिया | माहौल थोड़ा भारी हो गया था तो अभिजीत ने कहा, ”चलो अब मेरे फैशन हाउस को भी मालकिन मिल जायेगी | सब ने ठहाका लगाया |” मुझे आज अपने भीतर किसी तरह का अपराध बोध नहीं होना चाहिए आखिर उदय ने तो मुझे दुखों की आग में इतने बरस पहले झोंक ही दिया था न !
मुझे भी हक़ है , अपने हिस्से का एक मुट्ठी आस्मां मुझे भी तो चाहिए

बढ़ता जा रहा माइग्रेन का मर्ज- डा. दीपिका शर्मा


नव्या राजपूत 20 साल की हैं। दो साल पहले उन्हें हल्का सिर दर्द शुरू हुआ। लेकिन इन दो साल में यह दर्द अब असह्य हो चुका है। नव्या कहती हैं कि अब तो ऐसा लगता है जैसे कोई सिर में हथौड़े मार रहा हो। अक्सर यह दर्द कई घंटों रहता है और इस दौैरान उन्हें बुरी तरह चक्कर आते हैं। वह पसीने से तरबतर हो जाती हैं या फिर तेज ठंड लगने लगती है। इस दर्द से वह इतनी बेबस हो जाती हैं कि उन्हें लेटना पड़ता है। नव्या माइग्रेन की शिकार हैं।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं माइग्रेन की ज्यादा शिकार हैं। माइग्रेन के अटैक के दौरान मरीज आवाज और रोशनी के प्रति अति संवेदनशील हो जाता है। मरीज की आंखों के सामने तेज रोशनी सी आती दिखती है तो कभी तारे चमकने लगते हैं। ऐसा लगता है जैसे चारों और तेज पटाखे फूट रहे हों। आंखों के सामने तरह-तरह की ज्यामितीय आकार बनने लगते हैं और वे अपनी तेज रोशनी और चकाचौंध से मरीज को हलकान कर देते हैं।
मरीज के इर्द-गिर्द चलने वाला यह तेज रोशनी और आवाज का खेल 20 मिनट से लेकर एक घंटे तक चल सकता है। इसमें मरीजों के लिए एक ब्लाइंड स्पॉट पैदा करता है और ऐसा लगता है कि उनकी आंखें हमेशा के लिए खराब हो जाएगी।
  माइग्रेन एक तरह का ब्रेन डिसऑर्डर हैजो सेरोटोनिन लेवल में उतार-चढ़ाव की वजह से पैदा होता है। माइग्रेन का अटैक कई कारणों से होता है। इनमें भोजन की कमीकिसी खास खाद्य पदार्थ के इस्तेमाल  मसलन चॉकलेटडेयरी प्रोडक्ट्सखट्टे फल या ऐसी चीजें जिनमें मोन्सोडियम ग्लूटामेट हो। मासिक धर्म से जुड़े हार्मोनल परिवर्तन की वजह सेमीनोपॉज के दौरान परिवर्तन से माइग्रेन हो सकता है। गर्भनिरोधक गोलियोंसोने में गड़बड़ीगर्दन या गले के दर्द या लगातार कंप्यूटर पर बैठ कर काम करने से माइग्रेन का दर्द पैदा हो सकता है। 
÷माइग्रेन का दर्द और इलाज
शुरुआती हल्के सिर दर्द में एस्पीरिन या पारासिटामोल इसे ज्यादा बढऩे से रोक सकती हैं। कुछ मामलों में एंटी माइग्रेन दवा सुमाट्रिप्टेन कारगर हो सकती है। चिकित्सकों का कहना है कि माइग्रेन के इलाज के लिए सिर्फ एक पद्धति पर निर्भर रहना जरूरी नहीं है। इसमें आयुर्वेदिकएलौपैथी और होम्योपैथीतीनों का इस्तेमाल किया जा सकता है।  योग और टहलने से भी फायदा होता है।

प्यारा रिश्ता सास बहू का- साेमा सुर

बेटी,बहू ,पत्नी और मॉ की जिम्मेदारियों को निभाने के बाद अब मेरी सास बनने की बारी है। बेटे ने अपने लिए जीवनसाथी ढूंढ ली है। सोचा था, उसके लिए लड़की मै ढूंढगी पर फिर मैने खुद को समझाया कि मै भी तो उसकी पसंद की ही लड़की ढूंढती। अच्छा है उसने ही चुन ली, वरना हमारे पड़ोसी शर्मा जी को अपने बेटे के लिए 2 साल तक लड़की ढूंढनी पड़ी थी। जब सुधा (हमारी होने वाली बहू) को पहली बार देखा तो बड़ी खुशी हुई कि मेरे बेटे ने इतनी अच्छी लड़की पसंद की। लेकिन ये खुशी थोड़ी देर मे ही काफूर हो गयी। मेरी बहन ने सुनते ही कहा," बस.... दीदी, सुंदर लड़कियाँ तो अपने रूप रंग के घमंड मे ही रहती है।" मैने कहा,"नही नहीं बहुत पढ़ी लिखी, MNC मे जॉब करने वाली है सुधा।" इतना सुनते ही वो बोली फिर तो दीदी आप को किचन से कभी छुट्टी नही मिलने वाली । सुधा को देखकर जितनी खुशी हुई थी बहन की बातो से ठंडी हो गई । फिर शुरू हुई शादी की  shopping। मेरा बेटा जिसने कभी अपनी शर्ट नही खरीदी थी, बड़े शौक से सुधा के कपड़े खरीदने लगा। मुझे बहुत अच्छा लगा, चलो जिम्मेदार हो रहा है मेरा बेटा । पर साथ मे गई मेरी बेटी ने हँसकर कहा," देखा मॉ, भाई को तो कभी हमारे लिए कपड़े लेने नही आये अब तो सुधा के complexion से match करके dresses ले रहा है।" अचानक ही मन उदास हो गया सच ही तो कह रही है बेटी ,जब भी shopping के लिए कहती तो वो हमेशा बहाने बना देता था । मै क्या करूँगा जा कर ? मेरे समझ नही आता। कितना time लगाते हो आप लोग । ये सारी बातें सुनने से अच्छा था कि मै अकेले ही चली जाया करती थी। और देखो तो अब कैसे कर रहा shopping, office से leave लेकर। बस अब तो रोज की बाते हो गयी जो भी सुनता बेटे की शादी होगी मेरे लिए उनकी आँखो मे तरस साफ दिख जाता । और सबकी बाते सुन सुन कर मेरे मन मे सुधा के लिए  प्यार से ज्यादा नफरत घर करने लगी । मुझे भी अब लगने लगा बहु मेरे बेटे को मुझसे दूर कर देगी । ये बाते मै किसी से कह नही पी रही थी क्योकि मन तो ये जानता था कि मै गलत हूँ । अब शादी को सिर्फ 2दिन बचे थे । करने को इतना काम था पर मन ही नही कर रहा था कुछ करने को।  शाम को बेटे ने आकर बताया मॉ सुधा बहुत upset है , मुझे कुछ बता नही रही आपसे बात करना चाहती  है। मैने कहा ठीक है । मै उससे मिलने चली गयी। उसने मेरे पैर छु़ये फिर गले से लिपट गई एक छोटे से बच्चे की तरह। काफ़ी देर तक इधर उधर की बाते करने के बाद वो बोली ,"मम्मी  जी मै बहुत परेशान हूँ । जो भी मिलता है वो डरा जाता है, सास ये कहेंगी, सास वो कहेंगी । सास को ये बात पसंद होगी सास को वो बात नापसंद होंगी । मुझे बहुत डर लग रहा है । मै तो आपकी बेटी बनकर आपके घर आना चाहती हूँ। जब मै गलती करूँ आप मुझे डाँटे । जब मै कुछ अच्छा करूँ आप खुश हो जाएं। जैसे मैं अपनी मॉ को हर बात बताती हूँ वैसे ही आपको भी बताऊँ  । मैने उसे आगे कुछ भी कहने नही दिया । उसका हाथ थामकर  कहा," बेटा ऐसा ही होगा। न तो तू मेरी बहु होगी ,न तो मै तेरी सास । तू एक मॉ के घर से दुसरे मॉ के पास आ रही है ।" वो फिर से मुझसे लिपट गई।  
घर वापस आते हुए मै सोच रही थी कि जैसा मेरे साथ हो रहा था वही सब सुधा के साथ भी हो रहा है। मेरे बेटे के पैदा होने  के बाद से ही मैंने सोच रखा था जो भी गलत मेरे साथ हुआ था वो मै अपनी बहू के साथ नही करूँगी पर  मै उसी रास्ते पर चलने लगी थी । हमारे हितैषी अनजाने ही पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो कर अपनी सोच हम पर थोप देते है। 
 कोई भी बहु घर तोड़ने का सोच कर शादी नही करती और न तो कोई सास, बहु को सताने को ही जीवन का ध्येय समझती है । हम पहले से ही अपनी सोच बना लेते है बहु है तो ऐसा ही करेगी , सास है तो ऐसा ही करेगी । फिर गलतफहमियों की वजह से वही सारी बातें सच  हो जाती है। पर मैने अपने आप से और सुधा से वादा किया है, मै गलतफहमियो की वजह से हमारे इस प्यारे से रिश्ते को खराब नही होने दूँगा । 
ये कहानी हर बहु और सास की है , क्या ये आपकी भी कहानी है ??? अगर है तो comments जरूर करे ।

special post

कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...