रविवार, 19 फ़रवरी 2017

युवा भी हो रहे हैं हाइपरटेंशन के शिकार- डा. अनुजा भट्ट



य‌‌दि आप 20 साल से ऊपर के हैं, और आप का वजन ज्याद‌ है, आप परेशान रहते हैं, चिडचिड़ा स्वभाव हो गया है और जीवनशैली शारीरिक गतिविधियों से खाली है तो इस बात का जोखिम है कि आप को हाइपरटेंशन हो सकता है. शोर्धकत्ताओं ने पता लगाया है कि उच्च रक्त चाप का संबंधकेवल उम्र दराज लोगों से नहीं है, बल्कि युवा पीढ़ी विशेषकर तरूण भी इसका तेजी से शिकार बन रहे है.10 साल तक निरंतर हुए एक अध्ययन से पता चला है कि तरूणों में चिंताजनक स्तर तक रक्तचाप की समस्या बढ़ी है. पुराने वक्त में अब जीवन की गतिआज से कहीं कम थी तब इस समस्या का कहीं आता पाता नहीं था. इंसान कीबढ़ती तरक्की ने यह समस्या भी बढ़ाई है. विशेषज्ञों के अनुसार समस्यामानसिक व पर्यावरणीय कारणों और नये जमाने के जीने के तौर तरीकों सेबढ़ी है. यह भी पाया गया है की हाइपरटशेंन से और भी कई बीमारियां होतीहैं जैसे ह्रदय रोग जिनमें शामिल हैं इस्केमिया हार्ट डिसीज, पेरिफेरलवैस्कुलर डिसीज, ए.एम.आई आघात एवं मोतियाबिंद.भारत में समस्या गंभीर है. स्कूली बच्चों में ग्लूकोज स्तर का तीनवर्षों तक अध्ययन किया गया. इन बच्चों की उम्र 13 से 18 साल के बीच थीऔर ये सभी दिल्ली के अच्छे खाते पीते परिवारों के थे. परिणाम यह निकलाकी तीन में से एक बच्चा हाइपरटेंसिव होने की ओर बढ़ रहा था.दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीटयूट के प्रो.डा. के के सेठी का कहना है,आज की पीढ़ी काम के तनाव, खानपान व नींद लेने की अनियमित आदतों,शारीरिक और मनोरंजक गतिविधियों की कमी का शिकार है और वंशानुगत तौर परभारतीयों को ह्रदय रोगों का अधिक खतरा रहता है.1990में ह्रदय रोगों से भारत में 23 लाख मौतें हुई. अनुमान है कि साल2020 में ह्रदय आघात से होने वाली 57 प्रतिशत मौतों और ह्रदय धमनी केरोगों से होने वाली 24 प्रतिशत मौतों के लिए हाइपरटेंशन सीधे तौर परजिम्मेदार हैं. इन अध्ययनों से प्राप्त आंकड़ों से मालूम चलता है किशहरों में 25 प्रतिशत और गांवों में 10 प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन सेग्रस्त हैं. गांवों में करीब 3 करोड़ 15 लाख और शहरों में 3 करोड़ 40लाख हाइपरटेंसिव लोग मौजूद हैं.भारतीय संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संघ के दिशानिर्देश प्रोसेस्डखाद्य पदार्थ, अचार, परांठे, चिप्स, पापड़, चटनी से परहेज करने कोकहते हैं. इनके अनुसार घी का प्रयोग कम करना चाहिए और योग-ध्यान कोअपनाना चाहिए.डा. सेठी के मुताबिक, आजकल बच्चे चीज टपकाते जंक फूड बहुत खाते हैं जबकि इनमें मौजूद चीजें बड़ी मारक होती हैं. यह समस्या इस लिए भी बढ़जाती है कि हाइपरटेंशन कोई लक्षण प्रकट नहीं करती. इस लिए समय से इसकापता लगा कर उपचार करना संभव नहीं हो पाता.यह भी सलाह दी जाती है कि ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थों के परहेज केसाथ-साथ साबुत अनाज और फोर्टिफाइड सीरियल जैसे ओट्स खाने चाहिए औरजीवन शैली में बदलाव करके हाइपरटेंशन जैसी बीमारी को दूर रखा जा सकताहै.हाइपरटेंशन से ग्रस्त लोगों को अपनी बीमारी का पता नहीं चलता. उनकीसामाजिक व पेशेवर जिंदगी अप्रभावित रहती है, पर तब तक, जब तक की वेअपनी छाती में बेहद पीड़ा महसूस नहीं करते या फिर गिर नहीं पड़ते.हालांकि डॉक्टर कहते हैं कि हाइपरटेंशन के कोई खास लक्षण नहीं होतेकिंतु कुछ सामान्य लक्षण जैसे-सिरदर्द, सर व आंखों में भारीपन, आलस्य,चिड़चिड़ापन, सामान्य कमजोरी, चक्कर आना, स्पंदन, नकसरी, पेशाब मेंखून आना छाती में दर्द. लेकिन चूंकि इन लक्षणों को किसी और मर्ज कालक्षण भी समझा जा सकता है इस लिए हाई बीपी पता करने का सबसे सरलमाध्यम है नियमित जांच. जीवन शैली में परिवर्तन करने के साथ नियमितजांच से ही आप दवाओं की भारी खुराक से बच सकते हैं. यदि यह बीमारीबिना इलाज के रह गई तो यह आप के दिमाग, दिल व गुर्दों को भी क्षतिपहुंचा सकती है.यह बहुत गंभीर स्थिति है. बच्चों के रक्तचाप में बढ़ोत्तरी अशुभ संकेतहै. इसका संबंध बच्चों में बढ़ती मोटापे की समस्या से है. तो यदि अगलीबार आपके बच्चे के सिर में दर्द हो या दम फूलने लगे, धड़कनें बढ़नेलगें तो इस स्थिति को नजर अंदाज न करें, ऐसे में एक गोली दे देना हीकाफी नहीं है, बल्कि उसे डॉक्टर के पास ले जाएं और उसके रक्त चाप कीजांच कराएं.

फिट रहने के उपाय- 
  • भोजन पकाने के तरीके बदलें. नमक खाना खाते वक्तमिलाएं.डब्बा बंद उत्पाद प्रयोग करते समय खारे पानी को फेंक दें और ताजीपानी से धोएं।
  • उबला मांस, प्रोसेस्ड मांस व मछली को पहले कुछ देर पानी में रखें और फिर पानी फेंक दें. इन उत्पादों का फालतू सोडियम निकलजाएगा
  • .इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति कोएक दिन में 2 से 4 ग्राम ही नमक खान चाहिए, इससे ज्यादा नहीं.
  • हाइपरटेंशन के मरीज के लिए तो यह 2 ग्राम से अधिक होना ही नहीं चाहिए.कुछ मात्रा में वजन घटा कर भी बीपी कम किया जा सकता है. इस लिए हर रोज सुबह शाम सैर करें या कोई अन्य व्यायाम करें.शरीर में पानी की क⧭मी न होने दें. पर्याप्त पानी पीएं. इसके साथ100 प्रतिशत शुध्द फलों का जूस पीना भी अच्छा विकल्प है.
  • हमेशा शांत रहें और जीवन के तनाव से निजात पाने के उपाय करें।


रविवार, 12 फ़रवरी 2017

घर का आंगन दिखे सबसे सुंदर- डॉ. अनुजा भट्ट


 घर के आंगन में बैठते समयहमें अहसास होता है कि यह भी घर का एक खास हिस्सा है फिर क्यों हम इसकी साजसज्जा पर ध्यान नहीं देते। आस पास लगे पौधे, फूल इसकी सजावट को और ज्यादा बढ़ाते हैं। फिर अगर इसका फर्श भी आकर्षक हो तो कहना ही क्या? जब हम फर्श के डिजाइन देखते हैं तो हमेशा दुविधा में रहते हैं कि कौन सा डिजाइन चुनें। या  हमें लगता हैं कि यह हमारे बजट में भी है या नहीं तीसरी बात हमको नए डिजाइन के बारे में जानकारी भी नहीं होती। फिर जब हमने घर नया बनवाया है तो फिर उसके  सबसे महतवपूर्ण हिस्से की अनदेखी क्यों करें। अधिकांश घरों में तो यह प्रवेश द्रार ही होता है। पर यह जरूरी नहीं, पिछवाड़े भी घर का आंगन होता है।
 आज के दौर में घर के बाहरी हिस्से के फर्श  के लिए भी कई तरह के विकल्प हैं। कंकरीट फ्लोर, स्टोन फ्लोर, सीमेंट की टाइल्स, ईंट फ्लोर, स्लेेट फ्लोर आदि। फर्श के ये नए नमूने आज के मार्डन घरों में  देखे जा सकते हैं। ये ऐसे उहाहरण है जो घर के आंगन में प्रयोग किए जाते हैं।  लेकिन हमें यह निश्चित करना  पड़ेगा कि हम  किस तरह का फर्श चुनें। पहला यह जानने का कोशिश करें कि कौन सा फर्श ज्यादा समय तक टिका रहेगा। क्योंकि इस जगह पर बारिश- धूप का असर सबसे ज्यादा होता है। और इसके खराब होने का सबसे ज्यादा अंदेशा भी होता है।  यहां पर ऐसे फर्श की जरूरत है जिस पर मौसम का असर न पड़े और  जिसमेंं फिसलन न हो। अमूमन  बारीश के समय  फिसलने का डर बना रहता है। यह ध्यान देना जरूरी है कि आंगन   कितनी जगह में है? फर्श बनवाने  के खर्च  के लिए यह सबसे पहले जानना जरूरी है। इसका साइज जानने के बाद ही आप  प्लान बनाएं।  ईंट से बना फर्श देखने में सुंदर लगता  है बशर्ते वह बहुत सुंदरता और सलीके से लगाई गई हों। यह गर्मी- बारिश और फिसलन से दूर करता है। आप अपनी कल्पनाशक्ति से ईंट से बहुत  बेहतरीन डिजाइन बना सकते हैं। आजकल कई रंगों की ईंटे आ रही है जो देखने में बहुत सुंदर लगती हैं। पत्थर भी आउटडोर प्लोरिंग के लिए अच्छा विकल्प हैं। आप अपने मन पसंद पत्थर को चुन कर भी अपनी सृजनात्मकता का परिचय दे सकते हैं।  पत्थर में भी कई रंग हैं जैसे नीला पत्थर ,लाल पत्थर, इसके अलावा स्लेट।

स्लेट फर्श ज्यादा समय तक चलता है और इसमें दरारे नहीं आ पाती। इन सभी विकल्पों मे स्टोन फर्श ही सबसे अच्छा है। पेबली फ्लोर टाइल्स भी एक अच्छा विकल्प हैं यह कई रंगों और साइज में आसानी से मिल जाते हैं। जो कंपनियां टाइल्स बेचती हैं उनके पास कई तरह के डिजाइन रहते हैं। उनको देखकर भी मनपसंद चुन सकते हैं। पेबली फ्लोर की कीमत बाजर में सबसे कम है। कंकरीट फ्लोर भी ज्यादा लोकप्रिय हैं। यहां पर भी कई तरह के रंग आपको मिल सकते हैं। आंगन भी आपके घर के अन्य कमरों का तरह ही है इसीलिए इसकी अनदेखी न करें।

फिर से हाजिर हैं आपके लिए नई पाेस्ट के साथ

 मित्राें, नमस्कार
 आज बहुत  दिनाें के बाद आपसे फिर से रूबरू हाे रहे हैं।  इस बीच हमारा ध्यान पूरी तरह  वागीशा क्लब काे मजबूत बनाने में रहा। हमने मैं अपराजिता नाम से मासिक पत्रिका निकाली जिसे पाठकाें ने बहुत पसंद किया। यह पत्रिका ई मैग्जीन के रूप में आप मैजिस्टर और राक स्टेंड में ङी पढ़ सकते हैं।  डेस्क टाप के  लिए मैजिस्टर और माेबाइल के लिए राक स्टैंड में यह सुविधा है। हा़र्ड कापी के  लिए  सब्सिक्रप्शन लेना हाेगा।  आपके पते पर मैग्जीन भेज दी जाएगी। दिल्ली एन,सीआर में रहने वाले मात्र 100 रूपये का पेटीएम करके मैग्जीन के 3 अंक मंगवा सकते हैं।

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कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...