रविवार, 5 सितंबर 2010

रिश्तों को स्ट्रांग बनाने के छह फंडे




अनुजा भट्ट

शादी-प्यार, विश्वास, देखभाल और आदर पर आधारित होती है। अगर इनमें से कोई एक चीज गायब है तो समझिए शादी दिक्कत में है। क्या परफेक्ट मैरिज की परिभाषा तय की जा सकती है? मनोवैज्ञानिक डॉ. भावना बर्मी कहती हैं,आज के समय में परफेक्ट मैरिज जैसी कोई परिभाषा नहीं बनाई जा सकती। हर व्यक्ति के लिए इसके मायने भी अलग-अलग हैं। यह इस सोच पर निर्भर करता है कि कोई अच्छे दांपत्य जीवन के बारे में क्या सोचता है। हालांकि अच्छा दांपत्य जीवन 100 फीसदी संभव है। अगर इन बातों पर गौर किया जाए-

प्रतिबद्धता (कमिटमेंट)

किसी भी दांपत्य रिश्ते में एक-दूसरे के प्रति कमिटमेंट बेहद जरूरी है। इसके तहत दोनों पति-पत्नी को अपने रिश्ते के संबंध में एक साझा मूल्य और लक्ष्य की ओर बढ़ना होता है। आज जब समय की कमी है तो यह कौशल बेहद जरूरी है। संवाद का का मतलब यह नहीं कि आपसे पूछा जाए कि तुम्हारा दिन कैसे बीता। संवाद का मतलब है कि आपसी विचारों और भावनाओं को साझा करना। जोड़ों में यह बात स्वाभाविक तौर पर शुरू में नहीं भी आ सकती है लेकिन आपको इसकी ओर लगातार प्रयास करना होगा। एक बार शुरू कर दिया तो आपको इसमें आनंद आने लगेगा। बहस के दौरान धैर्य बनाए रखना, समझदारी से काम लेना और एक-दूसरे के प्रति सद्भाव बनाए रखना जरूरी है।

बहस के दौरान आप एक-दूसरे का तर्क नहीं सुनते। हमेशा दूसरा तर्क तैयार रखते हैं। विवाद छोटी से लेकर बेहद बुनियादी चीजों को लेकर हो सकता है। जब भी आपको आपके पार्टनर से शिकायत हो उसे सही संवाद शैली में व्यक्त करना आना चाहिए। संकट के समय आप कैसे संवाद करेंगे, इस पर काफी कुछ निर्भर करता है। आप सही संवाद शैली का इस्तेमाल करते हैं तो आपके पार्टनर के साथ चाहे आपकी कितनी भी मतभिन्नता हो आप उससे जुड़ाव महसूस करेंगे। नकारात्मक मुद्दों पर ही स्वस्थ तरीके से बात हो सकती है।

समय दीजिये

आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में पति-पत्नी एक-दूसरे को दिए जाने वाले समय के मामले में समझौता कर लेते हैं। उन्हें लगता है नहीं भी दिया तो क्या है। पति-पत्नी के लिए बेहद जरूरी है कि वे एक-दूसरे के साथ समय बिताएं। आप साथ-साथ सप्ताहंत के काम करें, कोई फिल्म देखें, रोमांटिक डिनर करें, मूवी देखने जाएं। इस क्वालिटी टाइम से आप एक-दूसरे के प्रति ज्यादा संतोष और सुरक्षित महसूस करेंगे। काम और घर के बीच संतुलन बिताएं। बहुत से लोग दफ्तर में घर और घर में आफिस के बारे में सोचते रहते हैं। पति-पत्नी के रिश्ते में ख्रराब समय भी आता है। लेकिन ऐसी चीजों को हल्के में लेना भी सीखना चाहिए। विवादों को खींचने के बजाय उन्हें सुलझाना और कुछ चीजों को हंसी में उड़ाना बेहतर रहता है।

आदर और आजादी

जरूरी नहीं कि पति-पत्नी के शौक एक ही हों। एक ही दोस्त हों। पसंद-नापसंद भी एक हों। आजकल हम ज्यादा से ज्यादा पतियों को हाउस डैड की भूमिका में देख रहे हैं। अगर आप कोई चीज साथ-साथ कर रहे हैं तो उसमें भी एक-दूसरे को आजादी देने की पूरी गुंजाइश रखें। अगर दंपती अपनी दांपत्य जीवन को सुखी और लंबा बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्ध हैं तो वे मतभेदों के बावजूद बीच का रास्ता निकाल लेते हैं।



यौन नजदीकी और रोमांस

यौन नजदीकी और रोमांस किसी भी दांपत्य जीवन का ऑक्सीजन है। कई बार हम रिश्तों में बुरा वक्त गुजार रहे हों तो हम बेहद थकेऔर दुखी महसूस करते हैं। अपनी व्यस्त जिंदगी में इस संकेत को नजरअंदाज कर देते हैं। अचानक देखेंगे कि आपसे शारीरिक संपर्क की इच्छा कम होने लगी है।

आपको लग सकता है कि पार्टनर थका हुआ है या बरसों साथ रहने की वजह से यौनेच्छा में कमी आ गई है। ऐसे समय में हमें रोमांस की जरूरत होती है। ऐसे में पार्टनर का ध्यान आकर्षित करने का तरीका काम आ सकता है। मसलन कोई ऐसा ड्ेस पहनें जो आपका पार्टनर नोटिस करे। कोई छोटा सा उपहार ही दें,चाहे गुलाब का छोटा फूल हो, पत्नी को कोई अंगूठी । कैंडिल लाइट डिनर। वह करें जो आपके पार्टनर को अच्छा लगता है। याद रखें पति-पत्नी के रिश्ते में सेक्स को अहमियत न देना एक बड़ी दरार पैदा करना है, जिसे पाटना काफी मुश्किल होता है और कभी-कभी असंभव है। देह एक बड़ी सचाई है, इससे इनकार न करें।

रिश्ते में चुप्पी ठीक नहीं

मनोवैज्ञानिक समीर पारिख कहते हैं रिश्ते बनाने से ज्यादा कठिन रिश्ते निभाना है। किसी भी व्यक्ति के मन को जानना आसान नहीं है। रिश्ते में चुप्पी ठीक नहीं है। आप सोच रहे हैं कि काम के बोझ से साथी आपसे ज्यादा बात नहीं करता। लेकिन साथी कम बात कर रहा है या चुप्पी साधे हुए है तो यह ब्रेक-अप के संकेत हो सकते हैं। आप पाएंगी आप ही उसे कॉल कर रही हैं, जबकि वह ऑफिस में लोगों से मेल-जोल बढ़ाने में लगा है। वह आपको फोन नहीं क रता और यह भी नहीं बताता कि वह कहां हैं या घर कब पहुंचेगा। परस्पर संवाद के जरिए एक-दूसरे को समझा जा सकता है इसीलिए यदि आपके रिश्ते में संवादहीनता की स्थिति आ रही है तो संभल जाइए और संवाद की कोशिश कीजिए।

हो सकता है पहले लड़ाई या बहस हो पर संबंध में मौन सबसे खतरनाक है। संवादों से आप जान सकते हैं कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अगर संबंधों में खटास है तो पुरुष मुंह से ज्यादा कुछ नहीं कहता है। पुरुष इसलिए भी नहीं कहते हैं कि हो सकता है कि महिला को बुरा लगे या वह लड़ना-झगड़ना शुरू कर दे। मौखिक तौर पर संबंधों को तोड़ने में वे माहिर नहीं होते। लेकिन अगर सेक्स में अरुचि दिख रही है तो समझिए कि गड़बड़ शुरू हो गई है।

छोटी-छोटी बातें

जिन चीजों का पहले आपके जीवन में महत्व नहीं था, अब वे चीजें आपके बीच झगड़े और बहस का मुद्दा बन रही हैं। मसलन बिल कौन जमा करेगा। बाथरूम में कौन कितना समय बिताता है। या छोटे-मोटे सामान कौन लाएगा। अगर आप दोनों का मूड खराब है तो छोटी-छोटी बातें भी बवाल बन जाती हैं।

ऐसे में जरूरत इस बात की है कि आपस में काम बांट लें। ऐसे मौके पर किसी भी प्रकार की बहस से बचें क्योंकि बेवजह की बहस आपके रिश्तों में और खटास भर देगी। जहां तक हो सके छोटी-छोटी बातों को नजर अंदाज करें। साथ ही जिस बात से आपके साथी को गुस्सा आता है उस काम को न करने में ही भलाई है। अगर कोई पुरुष चाहे वह दुनिया का सबसे विनम्र और स्वीट व्यक्ति हो, बहस के बाद सॉरी नहीं कहेगा। रिश्तों मेंअहम को बीच में न लाएं। यदि आपका साथी आपसे बात नहीं कर रहा तो आप अपनी तरफ से पहल करें। आपकी बढ़ाया एक कदम आपके रिश्तों को नया जीवन दे सकता है।

समझ लीजिए बजने वाली है खतरे की घंटी

घर से भागे, दोस्तों में रमे

डॉ.अरुण कुमार

मनोवैज्ञानिक

संबंध टूटने से पहले जो संकेत दिखाई देते हैं, उसमें प्रमुख हैं पहला-एक-दूसरे के प्रति दिलचस्पी न लेना, भावनात्मक लगाव का कम होना। शारीरिक और भावनात्मक संपर्क में गिरावट दो ऐसे लक्षण हैं, जो कमजोर रिश्ते में गिरावट के सबसे आम संकेत हैं। आपकी जिंदगी में आपके पार्टनर की दिलचस्पी का कम होने का मतलब चीजें गलत दिशा में जाने लगी हैं। सोशल गेदरिंग, साथ में खाना खाना और लेट नाइट फिल्म देखना, वह सब जो आप पहले करते थे, अब कम होने लगा है। आपका पार्टनर यह सब साथ-साथ करने का विरोध करने लगा है। धीरे-धीरे वह आपकी जिंदगी में अपनी दिलचस्पी कम लेने लगा है। मसलन वह आपसे नहीं पूछेगा फलां चीज के बारे में क्या विचार है? या आज ऑफिस कैसा रहा? या तुमने अपना दिन कैसे बिताया।

कुछ शारीरिक लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं मसलन नींद न आना, बेचैनी रहना, रात को उठकर कोई काम करने लगना, फिल्म देखना, अकेलापन पसंद करना है। लोगों की भूख मर जाती है, खाना कम हो जाता है या फिर वह बहुत खाने लगता है। वह छोटी सी छोटी बात पर तूफान खड़ा करा करना। ऐसा लगता है कि वह लड़ने के मूड में है और बहाना तलाश रहा है।

खुद से पूछती हैं कई सवाल

डॉ. विनीता मेहरोत्रा झा

यह ऐसा सवाल है, जो महिलाएं अपने आप से पूछने से डरती हैं, जब तक कि असलियत उनके सामने न आ जाए। दांपत्य जीवन में संबंधों में कठिनाई का दौर शुरू होते ही महिलाओं के दिमाग में यह सवाल गूंजने लगता है। क्या वह अब भी मुझसे प्यार करता है? क्या मुझमें उसकी दिलचस्पी खत्म हो गई है? क्या उसका प्यार बांटने के लिए दूसरा भी है? वह रात-दिन इस सवालों में उलझीं रहती हैं।

दोस्तों की राय को नकारें नहीं

रचना सिंह



रिलेशनशिप काउंसलर

पारिवारिक सदस्य और दोस्त आपके रिश्तों में आ रही गड़बड़ी को सबसे पहले पहचान लेते हैं। चूंकि आप साथी के सकारात्मक चीजों में विश्वास करते हैं और लड़ाई-झगड़े से बचना चाहते हैं इसलिए इस निर्णय पर पहुंचने में देर हो जाती है। लेकिन परिवार के लोग और नजदीकी दोस्त बता देंगे कि गड़बड़ शुरू होने के संकेत मिलने लगे हैं। लेकिन उन्हें नकारने के बजाय सच्चाई को स्वीकार करना सीखें। इससे आपको संबंधों को पूरी तरह बिगड़ने से पहले सुधारने का मौका मिल जाएगा।

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कुमाऊंनी भाषा के कबीर रहीम की जोड़ी डा. अनुजा भट्ट

   हल्द्वानी जो मेरे बाबुल का घर है जिसकी खिड़की पर खड़े होकर मैंने जिंदगी को सामने से गुजरते देखा है, जिसकी दीवारों पर मैंने भी कभी एबीसी़डी ...