प्लाजो को करें विदा और सरारा गरारा को करें नमस्ते अनुजा भट्ट



फैशन में हर बार कुछ ऐसा होता है जिसे हर कोई अपनाता है। अभी पिछले साल पामपाम फैशन में था। पहनावे से लेकर चप्पलों तक, घर की सजावट ले लेकर जूड़े तक। हर जगह यह अपनी खास अदा के साथ मौजूद था। अब पाम पाम की जगह चुन्नटों ने ले ली है। यह चुन्नटें कई तरह से है। कहीं यह परत दर परत है तो कहीं आड़े तिरछे। कहीं चुन्नटें अलग अलग किस्म की आकृतियां बनाती हैं ते कहीं एकदम सादा। कहीं भड़कीलें रंगों के साथ सजती हैं तो कहीं हलके रंगों के साथ मेल करती हैं। कभी कुर्ते में, तो कभी साड़ी में, कभी लंहगे में, कभी ब्लाउज में तो कभी बैग या पर्स में भी...
लंबी कुर्ती हो या ब्लाउज इनके आकर्षण का मुख्य केंद्र है अलग अलग तरह से चुन्नटों का प्रयोग। गले के डिजाइन से ज्यादा जोर इस बार कंधों को आकर्षक बनाने में किया जा रहा है। चूड़ीदार पजामा और अंगरखा स्टाइल के कुर्ता की मांग इस मौसम में सबसे ज्यादा है।

उत्सव और शादी ब्याह के इस मौसम की जानकारी सभी के पास है और सभी इस मौके पर सुंदर दिखना चाहते हैं। अपनी अलमारी को सहजने का यह सुंदर मौका है। और आप भी चाहेंगे कि आपके पहनावे में नयापन हो। लेकिन, जब आपकी नजर पुरानी कढ़ाई वाले लंहगे और नीरस सी दिखने वाली शेरवानी पर पड़ती है तो आप मायूस हो जाते हैं। यह बहुत स्वभाविक है। यह सब आपके साथ ही नहीं हो रहा है। कहने का अर्थ यह है कि इस तरह की परेशानी आपकी अकेले की नहीं है। लेकिन मैं आपको बताऊं आजकल के युवा लोग पहले से अधिक प्रयोग करने के इच्छुक हैं।

बदलाव के लिए सबसे पहला प्रयोग हम रंगें के साथ ही करते हैं। फैशन में रंगों का महत्व हमेशा रहा है। रंग और पहनावे के शिल्प में थोड़ा बहुत परिवर्तन करके आप अपने परिधान को नयी सजधज के साथ पहन सकते हैं जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं। अभी भी शादी ब्याह के मौके पर लोग परंपरागत परिधान के ही महत्व देते हैं। इसलिए, एक तरफ, शरारा और गरारा जैसी पोशाक दुबारा से फैशन में छायी हुई है पर देखने वाली बात यह है कि शरारा गरारा के चमकीले रंगों की जगह अब गैर परंपरागत रंग पसंद किए जा रहे है। चमकीले की जगह हलके रंगों ने ले ली है। पहनावे में कई तरह के शिल्प और कलाकारी का प्रयोग एक साथ है। घेरदार पहनावे में चुन्नटों का प्रयोग भी है।

कंधा है खास

डिजाइनर प्रिया कटारिया पुरी कंधों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए धनुष, कपड़े के फूल, पंख, फ्रिंज और पफ आस्तीन जैसे सजावट चुनने का सुझाव देती हैं, जबकि ब्लॉगर ब्रिंडा शाह कंधों के डिजाइन के लिए कढ़ाई, पैड और अन्य सजावट की पेशकश करती हैं।




फैशन डिजाइनर बर्बर कहती हैं कि शादी के इस मौसम में बहुत ज्यादा कसीदाकारी वाली शेरवानी पसंद किए जाने की उम्मीद कम ही है। कुर्ता और स्लिमकट शेरवानी इस मौसम में खास है।अलीगड़ी शेरवानी और अलीगड़ी पैंट फैशन में है। शेरवानी की उंचाई पहले से कम है।

इसकी वजह यह है कि कोई भी खुद को बोरियत भरे अहसास के साथ नहीं देखना चाहता। नए रंग, नयी सजधज का दिवाना हर कोई है चाहे वह पुरूष हो या स्त्री।

डिज़ाइनर अर्पिता मेहता कहती हैं ,अपने लंहगे को आकर्षक बनाने एक और आसान तरीका है अपने चोली या ब्लाउज के ऊपर एक केप या पोंचो को पहन लें। केप और पेंचों दोनो ही इस समय खूब पसंद किए जा रहे है।



चुन्नटदार लंहगे के साथ स्कर्ट भी खूब चल रही है। साड़ी पहनने का अंदाज अब पूरी तरह बदला है। स्कर्ट, और ढीले ढ़ाले पैजामे के पसंद करने वालोंकी संख्या में इजाफा हुआ तो साड़ी को भी आरामदायक बनाने की कोशिशें तेज हुईं। फैशन में चुन्नदार साड़ी आई जो काफी लोकप्रिय हो रही है। चुन्नटों का प्रयोग सिर्फ परंपरागत परिधानों में ही नहीं हुआ आधुनिक परिधान भी इससे खूब सजे। 1990 में भी यह फैशन में आया था पर तब लोगों ने इसे ज्यादा पसंद नहीं किया। पर इस बार इसके कद्रदानों में फिल्मी हस्तियां भी शामिल है। पल्लू में छोटी चुन्नट और प्लेट्स के सामने वाले हिस्से में बड़ी चुन्नटों का प्रयोग इसे अभिनव बना रहा है। इस तरह की साड़ी जार्जेट औक शिफान में पसंद की जा रही है।



लंबी आस्तीन

साड़ी के साथ अब लंबी बाजू वाले ब्लाउज का फैशन है। कह सकते है 1990 के दशक का फैशन नई सजधज के साथ लौटा है। लेकिन यह आस्तीन सादी नहीं है। इसमें भी चुन्नटों का प्रयोग है और ऊपर से यह फूली हुई है। इसे पफ स्टाइल कहा जाता है।

चूड़ीदार पैंट के साथ साड़ी

साड़ी अभी भी लोकप्रिय हैं बस इसे अब पेटीकोट के बजाय चूड़ीदार पैंट के साथ पहना जा रहा है। यह पेंट साड़ी के साथ दिखाई देती है। इसके साथ आप आर्टिफिशियल ज्वैलरी पहन सकती हैं। जिस साड़ी का चुनाव करें वह हलके कपड़े में होनी चाहिए। पीला लाल और नीला रंग इस बार फैशन में हैं इसके हलके और गहरे शेड में से आप कुछ भी चुन सकते हैं।

यदि भारी, अत्यधिक सजावट वाले लहंगे के देखकर आप अटपटा महसूस कर रहे है और आपको नवंबर की सर्दी में भी गर्मी का अहसास हो रहा है तो आप अपने लिए गहरे रंग के लंहगे का प्रयोग करें और उसके साथ फूलों के प्रिंटवाली जैकेट पहनें। पुरूष भी फूल प्रिंट वाली जैकेट पहन सकते हैं। चुन्नटों वाले लंहगे और साड़ी इस समय का नवीनतम फैशन है एक बार आप भी आजमाएं।

प्लाजो को करें विदा और सरारा गरारा के करें नमस्ते. जी हां यह चलन है इन दिनों। इसके साथ ही आप लंबी या छोटी जैकेट जैकेट भी पहन सकती हैं। साड़ी के साथ कोट ब्लैजर या जैकेट भी इन दिनों खूब पसंद की जा रही है।

तो आप भी इस त्यौहार में सजने संवरने के लिए तैयार हो जाइए। क्रिसमस से लेकर शादी तक के निमंत्रणपत्र तैयार हो चुके हैं। बस आप अपने निमंत्रण पत्र का इंतजार कीजिए।

फैशन ये कहता है यारा तुझमें मैं, मुझमें तू.. अनुजा भट्ट


फैशन में यह समय जड़ों की तरफ लौटने का है। हम अपने प्राचीन संगीत नृत्य और ताल को खोज रहे हैं। परंपरागत पहनावे और संस्कृति को महत्व दे रहे हैं। हमारी बोली बानी में भले ही अंग्रेजियत रच बस गई हो पर जब बात उत्सव की आती है तो हम अपनी संस्कृति को याद करते हैं। परंपरा के अनुसार पहले शादी के अवसर पर परिवार के सभी सदस्य एक जैसी पगड़ी या साफा पहनते थे और परिवार की महिलाएं दुप्पटा या ओढ़नी. फिर सब कुछ बदल गया था. लेकिन अब हम वापसी कर रहे हैं...
शादियों में फैशन हर साल एक नया ट्रेंड लेकर आता है जिसे सब महसूस करते हैं। पिछले साल तक शादियों में थीम को बहुत महत्व मिला। थीम के मुताबिक शादी के मंडप सजाए गए। कहीं ताजमहल ते कहीं लाल किला नजर आए। पर इस बार जो शादियां हो रही हैं वहां संस्कृति रचबस रही हैं। शादी के कार्ड के साथ मिठाई देने की पुरानी परंपरा थोड़े फैशन के साथ और ज्यादा ताजी हो गई है । शादी का कार्ड और मिठाई का डिब्बा अब साथ है। दूल्हा दुल्हन का जोड़ा ही अब डिजाइनर नहीं है बल्कि परिवार के अन्य लोगों के परिधान भी डिजाइनर हो गए हैं। फिल्मी सेलिब्रिटी शादियों का यह माहौल अब मध्यमवर्ग को भी प्रभावित कर रहा है। यह मौका शादियों में किसी थीम को दिखाने का नहीं रहा बल्कि अब तो हम अपनी संस्कृति में फैशन को घोल रहे हैं।


यह समय हॉलीवुड- वॉलीवुड और उद्योगपतियों की शादियों का है। दीपिका पादुकोण- रणवीर सिंह तो प्रियंका निक की जोड़ी के साथ उद्योगपति मुकेश अंबानी की बेटी ईशा आनंद की शादी की सुर्खिया सभी जगह छाई हुई हैं। इन सुर्खियों में जिस पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह है पहनावा और संस्कृति। शादी के संगीत में जिस तरह से डीजे धमाल मचा रहा था और कुछ खास गानों पर लोग थिरक रहे थे। वहां से हम वापस हे लिए हैं अब हमें वहीं पुराने लोकगीत, शास्त्रीय संगीत, नृत्य, सूफी और कब्बाली याद आ रही है। नीता अंबानी का नृत्य इसी परंपरा का फैशनबल रूप है। अपने को पहचानने की ललक और प्रेम, शादी का मूल मंत्र भी यही है।


इन शादियों में मेहमानें के साथ ही साथ उनका पहनावा भी कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। महत्वपूर्ण इसलिए भी क्योंकि यह अलग अलग संस्कृतियों के मिलन का भी प्रतीक था और विविधता का भी। विभिन्न संस्कृतियों का पहनावा, सजधज, आभूषण और अलंकार साथ ही रीति नीति के जरिए हमने बहुत सारी विविधताएं देखी। यह विवधताएं फैशन के गलियारों से होते हुए जब हम तक पहुंची तो उसमें ग्लैमर का तड़का भी था। दीपिका ने कोंकणी रिवाज के अनुसार पहले सफेद रंग का लंहगा पहना तो रणवीर ने भी सफेद रंग का कुर्ता, चूड़ीदार और पगड़ी पहनी। सफेद रंग के बाद दीपिका ने नारंगी रंग का लंहगा पहना। कोंकणी शादी के बाद उनकी शादी सिंधी और पंजाबी रीतिनीति से भी हुई जिसमें उन्होंने सलवार कुर्ता पहना। इस तरह कोंकणी गहनों के साथ ही दीपिका ने पंजाबी चूड़ा भी पहना। प्रियंका की शादी भी दो तरह से हुई। इसाई रीति रिवाज और पंजाबी संस्कृति की झलक हर जगह दिखाई दी। प्रियंका ने भी ईसाई शादी में लंबा गाउन पहना तो लंहगा और साड़ी भी पहनी।


इन दिनों फैशन में जो ट्रेंड सामने दिखाई दिया वह है जोड़े का एक जैसा पहनावा, सिर्फ रंग में ही नहीं स्टाइल में भी..आइए पहले बात करते हैं हाल ही में शादी के बंधन में बंधे रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की। शादी से पहले भी कई बार और शादी के बाद तो लगातार यह जोड़ा साथ में एक दूसरे से मेल खाते पहनावे में नजर आ रहे हैं।


दुनिया की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक ऐश्वर्या और उनके पति अभिषेक बच्चन भी कई बार एक ही तरह के पहनावे में नजर आ चुके हैं । इनकी अंतरंगता लोगों के बीच सफल जोड़े की पहचान विकसित करती है। क्रिकेट कप्तान विराट कोहली और बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा पिछले ही साल शादी के बंधन में बंधे हैं। अक्सर हाथों में हाथ डाले ये जोड़ा एकजैसे पहनावे में नजर आ चुका है।


देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा और हॉलिवुड के चर्चित गायक निक जोनस को भी कई बार एकजैसे पहनावे में एकसाथ कभी साइकिल चलाते हुए तो कभी एयरपोर्ट पर देखा गया है।


दिव्यंका विवेक-छोटे पर्दे का ये खूबसूरत और मशहूर जोड़ा शादी करके अपने प्यार को नाम दे चुका है। चाहे परंपरागत परिधान हों या पाश्चात्य शैली में बने परिधान.. दोनों कई मौकों पर एकजैसे पहनावे में नजर आ चुके हैं।


इसी साल शादी के बंधन में बंधे युविका और प्रिंस ने हाल ही में एक फोटो शेयर की है जिसमें दोनों एक जैसी टी-शर्ट पहने हैं। बिपाशा और करण भी कई बार एक साथ रंग में रंगे नजर आते हैं।


वैसे तो मीरा बॉलिवुड से नहीं है लेकिन वो किसी बॉलिवुड की अभिनेत्री से कम नहीं लगतीं। दोनों अपने रोमांटिक अंदाज से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते नजर आते हैं। इन दोनों को भी कई बार एक जैसे पहनावे में में देखा गया है।


क्या है यह ट्रेंड


इस ट्रेंड का सीधा सा मतलब यह है कि लोग जोड़े में हो या समूह में वह एक जैसा दिखना और महसूस करना चाहते हैं। पहले यह मैचिंग यानी समरूपता वाला फैशन हर कोई अपने लिए करता था । मैचिंग यानी समरूपता पहले परिधान औरर आभूषणें तक ही सीमित थी फिर उसके साथ अन्य चीजें भी जुड़ी जैसे पर्स चप्पल जूते आदि. फिर जमाना आया कंट्रास्ट यानी विरोधाभासी रंगों का। लेकिन अब यह मैचिंग वाला फैशन व्यक्तिगत न होकर सामूहिक हे गया है। जोड़े कई तरह के हो सकते हैं।


पतिपत्नी


सिर्फ सेलीब्रिटी पति पत्नी ही नहीं आम पतिपत्नी भी आजकल किसी कार्यक्रम में जाते हैं तो कोशिश होती है एक तरह के परिधान पहनने की। पहनावा एक जैसा न हो तो बात रंग पर आ जाती है। एक ही रंग..


दोस्ती में भी यह चलन में है। दोस्त भी पार्टी में यह ट्रेंड अपनाते हैं यहां पर वह एक जैसी एक्सेसरीज पर जोर देते हैं लड़किया हैं तो एक जैसी इयररिंग ,पर्स और लड़के हैं तो एक जैसे मफलर. कुछ न कुछ मैचिंग जरूर होना चाहिए।


मां बेटी और पिता पुत्र


मां बेटी और पिता पुत्र भी इस ट्रेंड में पीछे नहीं हैं। वह भी एक जैसा फील चाहते हैं कभी टीशर्ट में तो कभी एक जैसे कुर्ते में वह फैशन का यह बदलाव महसूस करते हैं। अलग अलग साइज में एक ही प्रिंट या डिजाइन की सहूलियत भी है। ब्रांड अलग अलग साइज में एक ही डिजाइन के कई परिधान बनाती हैं। परिधान सब तरह के डिजाइन में हैं आप चाहें तो पाश्चात्य शैली से लेकर भारतीय शैली तक किसी से भी कुछ भी चुन सकते हैं।


एक जैसा दिखने और महसूस करने के लिए जरूरी नहीं कि पहनावा परंपरागत ही हो। भारतीय और पाश्चात्य शैली में बने किसी भी परिधान के साथ यह प्रयोग किया जा सकता है। यह बहुत खर्चीला भी नहीं है। आप सीमित बजट में भी इसे अपना सकते हैं।


संक्षेप में कहूं तो फैशन में यह समय समरूपता, एकाग्रता और संस्कृतियों के मिलन का है। फिर चाहे वह संगीत हो खानपान हो या हो पहनावा.. आप भी इस ट्रेंड को अपनाएं और कुछ खास महसूस करें।

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